भाजपा सांसद विनोद खन्ना के निधन से गुरदासपुर सीट हुई खाली, 6 माह में होगा उपचुनाव

Edited By Updated: 27 Apr, 2017 04:27 PM

gurdaspur election

फिल्म अभिनेता व गुरदासपुर लोकसभा सीट से भाजपा सांसद विनोद खन्ना के आकस्मिक निधन से गुरदासपुर लोकसभा खाली हो गई है

जालंधर  (धवन): फिल्म अभिनेता व गुरदासपुर लोकसभा सीट से भाजपा सांसद विनोद खन्ना के आकस्मिक निधन से गुरदासपुर लोकसभा खाली हो गई है तथा केन्द्रीय चुनाव आयोग द्वारा खाली हुई इस सीट पर उपचुनाव अगले 6 महीनों के अंदर करवाया जाएगा, जिसमें राज्य के सियासी दंगल में कांग्रेस, अकाली-भाजपा गठबंधन तथा ‘आप’ में दोबारा सियासी टक्कर होती हुई दिखाई देगी। 2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा उम्मीदवार विनोद खन्ना ने तत्कालीन पंजाब कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष प्रताप बाजवा को चुनावी जंग में शिकस्त दी थी।
 
सियासी हलकों में माना जा रहा है कि राज्य में सत्ता परिवर्तन होने के बाद अब भाजपा के लिए गुरदासपुर लोकसभा सीट को जीतने की राह आसान नहीं होगी। क्योंकि राज्य की सत्ता पर कैप्टन अमरेन्द्र सिंह के नेतृत्व में कांग्रेस सरकार स्थापित हो चुकी है। 

आम आदमी पार्टी ने भी 2014 में अपना उम्मीदवार गुरदासपुर सीट पर उतारा था, परन्तु आम तौर पर उपचुनावों में आम आदमी पार्टी चुनाव लडऩे से पीछे हटती रही है। अब देखना यह होगा कि इस बार आम आदमी पार्टी उपचुनाव लडऩे के लिए आगे आती है या नहीं। अगर वह उपचुनाव नहीं लड़ती है तो उस स्थिति में कांग्रेस तथा भाजपा के बीच में सीधी चुनावी टक्कर होगी। सत्ता परिवर्तन के बाद कैप्टन अमरेन्द्र सिंह अपने समूचे मंत्रिमंडल साथियों व विधायकों की डयूटियां गुरदासपुर संसदीय सीट पर लगा देंगे, जिस कारण भाजपा व शिअद के सामने सियासी चुनौतियां व डगर और कठिन हो जाएगी। अमरेन्द्र ने इससे पहले भी 2002 से 2007 के कार्यकाल के दौरान हुए सभी उपचुनावों को जीता था। 

कांग्रेस गुरदासपुर सीट को जीतकर लोकसभा में अपनी गिनती को बढ़ाना चाहेगी। कांग्रेस अपने किसी नए चेहरे को चुनावी मैदान में उतारना चाहेगी। क्योंकि प्रताप सिंह बाजवा तो राज्यसभा की मार्फत संसद में पहुंच चुके हैं। कांग्रेस को आने वाले समय में मजबूत उम्मीदवार को आगे लाना होगा।  

दूसरी ओर भाजपा भी नए चेहरे को चुनावी मैदान में लेकर आएगी। कुल मिलाकर अगले 6 महीनों में दिलचस्प चुनावी मुकाबले देखने को मिलेंगे। गुरदासपुर लोकसभा सीट के उपचुनाव से पहले पंजाब के सभी नगर निगमों में चुनाव होने हैं। कांग्रेस को भी संगठन स्तर पर अब अपनी गतिविधियां तेज करनी होंगी। सत्ता पर काबिज होने के बाद कांग्रेस नेतृत्व को राज्य में नए प्रदेशाध्यक्ष का चयन भी करना है।
 

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