Edited By Punjab Kesari,Updated: 24 Jul, 2017 09:18 AM
एक तरफ जहां पंजाब सरकार तथा खेतीबाड़ी विभाग की ओर से राज्य के किसान वर्ग को आत्मनिर्भर बनाने लिए रिवायती फसली चक्र गेहूं तथा धान का पीछा छोड़कर विभिन्नता वाली फसलों की काश्त करने को प्रेरित किया जा रहा है, वहीं इन फसलों की खेती से किसान पिछले 3...
मोगा (पवन ग्रोवर): एक तरफ जहां पंजाब सरकार तथा खेतीबाड़ी विभाग की ओर से राज्य के किसान वर्ग को आत्मनिर्भर बनाने लिए रिवायती फसली चक्र गेहूं तथा धान का पीछा छोड़कर विभिन्नता वाली फसलों की काश्त करने को प्रेरित किया जा रहा है, वहीं इन फसलों की खेती से किसान पिछले 3 वर्षों से लगातार घाटा खा रहे हैं। पिछले वर्ष से सबसे अधिक आर्थिक मंदी की मार आलुओं की काश्त करने वाले किसान झेल रहे हैं। आलू का अभी तक भाव न बढऩे के कारण आलुओं के काश्तकार गहरी चिंता में हैं।
पंजाब केसरी द्वारा इस संबंधी एकत्रित की जानकारी के अनुसार आलुओं का भाव मंदा रहने की मजबूरी के चलते अधिकतर किसानों ने तो अब स्टोरों में से आलू उठाने से ही कन्नी काट ली है। इस तरह की बनी स्थिति के कारण आलू उत्पादकों के साथ कोल्ड स्टोर मालिकों को भी आर्थिक चूना लगने का सबब अभी से ही बनता नजर आने लगा है।
किसानों का कहना है कि पहले तो जब आलुओं की खुदाई की थी तो आलुओं का भाव 100 से 120 रुपए बोरी था जिससे आमदन तो दूर खर्च भी पूरा नहीं होता था। इसी कारण ही आलू स्टोर किए थे लेकिन खुदाई के लगभग 4 महीने बीतने उपरांत भी आलुओं के भाव में उछाल नहीं आया है जिस कारण किसानों की उम्मीदों पर पानी फिरता नजर आ रहा है।
सरकार ने गंभीरता से नहीं लिया तो आलू सड़कों पर फैंकने पड़ेंगे : किसान सुरजीत सिंह
किसान सुरजीत सिंह जलालाबाद ने कहा कि आलुओं उपरांत लगाई गई मूंगी की फसल भी पिछले महीने पड़ी बारिश से तबाह हो गई है। आलुओं तथा मूंगी दोनों फसलों ने किसानों का इतना नुक्सान किया है कि उसकी भरपाई होनी मुश्किल है। गत अकाली सरकार ने किसानों से 5 रुपए प्रति किलो के हिसाब से आलुओं की फसल उठाने का वायदा किया था लेकिन सरकार बदलाव उपरांत यह वायदा वफा नहीं हो सका। उन्होंने मांग की कि सरकार आलू खरीद कर विदेश भेजे। इसके बिना आलुओं के काश्तकारों की हालत में सुधार नहीं हो सकता। उन्होंने कहा कि यदि सरकार ने गंभीरता न दिखाई तो सितम्बर-अक्तूबर में आलू स्टोरों से निकालकर दोबारा सड़कों पर फैंकने पड़ेंगे।
100 रुपए स्टोर का खर्च, आलू की बोरी 150 रुपए की
जानकारी के अनुसार आलुओं की देखभाल के लिए किसान वर्ग की ओर से प्रति बोरी 100 रुपए के हिसाब से खर्चा कोल्ड स्टोरों को दिया जा रहा है लेकिन अभी तक मार्कीट में आलुओं का भाव 150 रुपए प्रति बोरी के लगभग है जिससे किसानों का खर्च पूरा होने की संभावना भी नहीं है। किसान वर्ग का कहना है कि यदि सरकार ने संजीदा तौर पर किसानों की मुश्किलें हल नहीं कीं तो आने वाले समय में किसान वर्ग को और मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है।
पंजाब सरकार किसानों के आलू खुद उचित दाम पर खरीदकर आगे बेचे : लंडेके
मार्कीट कमेटी मोगा के पूर्व चेयरमैन तथा शिअद के किसान विंग के जिलाध्यक्ष अमरजीत सिंह लंडेके का कहना था कि पंजाब सरकार को चाहिए कि वह किसानों के आलू खुद उचित दाम पर खरीदकर आगे बेचे ताकि किसानों का बड़ा आर्थिक घाटा रुक सके। उन्होंने कहा कि यदि सरकार ने यह पहलकदमी नहीं की तो मजबूरीवश विभिन्नता वाली खेती के काश्तकारों को रिवायती फसली चक्कर की तरफ लौटना पड़ेगा।