पंजाब विधानसभा के अाखिरी दिन लेखानुदान पास,गहमा-गहमी में रहे वित्त मंत्री

Edited By Updated: 30 Mar, 2017 09:08 AM

executive is accountable to legislature  says minister manpreet badal

पंजाब विधानसभा में बुधवार को भारी शोरशराबे के बीच अगले 3 माह के सरकारी खर्चे के लिए ‘दी पंजाब एप्रोप्रिएशन (वोट ऑन अकाऊंट) बिल-2017’ पारित हुआ।

चंडीगढ़ : पंजाब विधानसभा में बुधवार को भारी शोरशराबे के बीच वित्‍त मंत्री मनप्रीत सिंह बादल ने करीब 293 करोड़ 89 लाख रूपये का लेखानुदान पेश किया। सदन ने इसे पारित कर दिया। पंजाब विधान सभा की कार्यवाही शुरू होने पर सबसे पहले पिछले दिनों दिवंगत हुए नेताओं और प्रमुख लोगों को श्रद्धांजलि दी गई। वित्‍त मंत्री ने 3 माह के सरकारी खर्चे के लिए ‘दी पंजाब एप्रोप्रिएशन (वोट ऑन अकाऊंट) बिल-2017’ पारित हुआ। बिल के जरिए कांग्रेस सरकार अगले 3 माह में विभिन्न मदों पर 29 हजार 389 करोड़ 89 लाख 76 हजार (2,93,89,89,76,000) रुपए खर्च करेगी।

 

 दरअसल, सदन में बुधवार को हंगामा उस समय शुरू हुआ जब लोक इंसाफ पार्टी के बैंस भ्राताओं ने ‘वोट आन अकाऊंट’ बिल पर बहस के लिए स्पीकर राणा के.पी. सिंह से इजाजत मांगी लेकिन स्पीकर ने कहा कि बैंस भाई केवल तभी बहस में भाग ले सकेंगे, जब वह अलॉट सीट पर बैठेंगे। बैंस भ्राताओं की मदद के लिए एच.एस. फूलका, सुखपाल सिंह खैहरा समेत कई अन्य नेता अपनी सीटों पर खड़े होकर बोलने लगे। फूलका और खैहरा का कहना था कि लोक इंसाफ पार्टी का ‘आप’ से गठबंधन है, इसलिए उन्हें ‘आप’ के विधायकों के साथ ही सीटें अलॉट की जानी चाहिए। 

खैहरा ने दावा किया कि गत दिवस चैंबर में हुई बैठक में स्पीकर राणा के.पी. सिंह इस बात पर राजी हो गए थे कि आज के दिन बैंस भाई ‘आप’ विधायकों के साथ बैंठेगे और सीट अलॉटमैंट का मामला नियमों के अनुसार सुलझा लिया जाएगा। लेकिन स्पीकर ने कहा कि उन्होंने बैठने को कहा था, बोलने को नहीं। सीटों की अलॉटमैंट विधायकों की संख्या के अनुसार ही की जाएगी। इस बात को लेकर ‘आप’ विधायकों ने नारेबाजी शुरू कर दी और फिर अपनी सीटें छोड़कर वह सदन के बीचोंबीच धरना देकर बैठ गए। इसी शोरशराबे में स्पीकर ने कार्रवाई जारी रखते हुए ‘वोट ऑन अकाऊंट’ को पारित घोषित कर सदन को अनिश्चित काल के लिए स्थगित कर दिया। 

इससे पहले, ‘वोट ऑन अकाऊंट बिल’(लेखानुदान)  को वित्त मंत्री मनप्रीत सिंह बादल ने सदन में पेश करते हुए कहा कि पंजाब इस समय भारी कर्जे में दबा है। अकाली सरकार ने गत 10 वर्षों में सरकारी खजाने को कुछ इस बेदर्दी से लुटाया है कि पंजाब की आने वाली नस्ले भी गुलामी की जंजीरों में बंधी रहेंगी। 


उन्होंने कहा कि प्रदेश का बजट आय और खर्च के अनुमानों पर आधारित होता है। वह इस सदन के गत लगभग 20 वर्षों तक सदस्य रहे हैं। बजट अनुमानों में थोड़ा बहुत तो फर्क हो सकता है लेकिन पूर्व वित्त मंत्री परमिंद्र सिंह ढींढसा ने तो सभी हदें पार कर दीं। उनके बजट अनुमान में 25,000 करोड़ रुपए से भी अधिक का  फर्क निकला है। यह कितने शर्म की बात है कि पिछली सरकार ने आने वाले 5 सालों में आय के अनुमान पर भी एडवांस ऋण ले लिया है। शायद अंग्रेजों ने भी प्रदेश को इतनी बेदर्दी से नहीं लूटा। मनप्रीत बादल ने कहा कि राज्य सरकार जल्द ही पंजाब की आर्थिक स्थिति का थर्ड पार्टी के जरिए ऑडिट करवाएगी। यह पार्टी या तो दिल्ली से होगी या फिर कोई अंतर्राष्ट्रीय कंपनी। इस स्थिति के लिए जिम्मेदार व्यक्तियों की निशानदेही की जाएगी। 

मनप्रीत ने ढींढसा पर सीधा निशाना साधते हुए कहा कि होशियापुर में चुनाव से ठीक पहले पी.आई.डी.बी. के जरिए 6 करोड़ रुपए विकास कार्यों के लिए जारी किए गए लेकिन यह रकम 300 ठेकेदारों में 20,000 रुपए प्रति  ठेकेदार की दर से बांटी गई। ढींढसा बताएं कि ऐसा क्यों किया गया? ढींढसा ने कहा कि यदि सरकार आर्थिक स्थिति पर व्हाइट पेपर लाना चाहती है तो वह अवश्य लाए लेकिन वह सदन को बताना चाहेंगे कि किसी भी काम में कोई गैर-कानूनी बात नहीं की गई। इसी बीच नवजोत सिद्धू ने ढींढसा पर कटाक्ष करते हुए कहा कि ‘तू इधर-उधर की बात न कर, यह बता कि कारवां क्यों लुटा’। वित्त मंत्री ने कहा कि वह पंजाब की इस नर्क से निकालने का भरसक प्रयास करेंगे।

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