प्रदूषण फैलाने वाले ऑटो रिक्शा का विकल्प बनेंगी इलैक्ट्रिक बसें व थ्री-व्हीलर

Edited By Punjab Kesari,Updated: 16 Nov, 2017 01:06 PM

electric buses and three wheeler

महानगर में ट्रैफिक व प्रदूषण संबंधी समस्या की बड़ी वजह बने हुए ऑटो रिक्शा से आने वाले समय दौरान निजात मिल सकती है। इसके तहत नगर निगम द्वारा इलैक्ट्रिक बसें व थ्रीव्हीलर चलाने की योजना बनाई जा रही है। इस संबंधी सभी पक्षों के भीतर सहमति बनाने के लिए...

लुधियाना(हितेश): महानगर में ट्रैफिक व प्रदूषण संबंधी समस्या की बड़ी वजह बने हुए ऑटो रिक्शा से आने वाले समय दौरान निजात मिल सकती है। इसके तहत नगर निगम द्वारा इलैक्ट्रिक बसें व थ्रीव्हीलर चलाने की योजना बनाई जा रही है। इस संबंधी सभी पक्षों के भीतर सहमति बनाने के लिए डी.टी.ओ., टै्रफिक पुलिस व पावरकॉम के अफसरों के अलावा आटो रिक्शा यूनियनों के साथ बैठक की गई। इसमें मौजूदा आटो रिक्शा की संख्या का ब्यौरा लिया गया और यह माहौल बनाने के लिए प्रेरित किया कि लोग पुराने डीजल वाले ऑटो रिक्शा की जगह इलैक्ट्रिक थ्री-व्हीलरों को अपनाएं। इनसे प्रदूषण कम करने में मदद मिलेगी और ईंधन की लागत भी कम आएगी। 
 
तेल के आयात के झंझट को कम करना चाहती है सरकार
यह योजना बनाने के पीछे सरकार ने हवाला दिया है कि पैट्रोल-डीजल बनाने के लिए विदेशों से जो क्रूड आयल आयात किया जाता है। वह काफी महंगा पड़ता है और लोगों को सबसिडी भी देनी पड़ रही है। इसके बावजूद तेल के रेट बढऩे को लेकर सरकार को लोगों की नाराजगी भी सहन करनी पड़ती है। इस झंझट से बचने के लिए बिजली से चलने वाले वाहनों को बढ़ावा दिया जाएगा।

 सिटी बस सर्विस का बेड़ा बढ़ाने के लिए मिलेगी 60 फीसदी सबसिडी
निगम द्वारा सिटी बस सर्विस के तहत इलैक्ट्रिक बसें चलाने बारे भी मीटिंग में चर्चा की गई। इस दौरान यह पहलु सामने आया कि 2007 में 200 सिटी बसें चलाने की योजना बनाई गई थीं। इसमें से अब तक आधी बसें ही चल पाई हैं और बाकी बसें सी.एन.जी. से लैस करने के चक्कर में अटकी हुई हैं। अब अगर 1.60 करोड़ की लागत वाली इलैक्ट्रिक बसें ली जाती हैं तो 60 फीसदी तक सबसिडी मिल जाएगी। इससे निगम पर लागत का बोझ कम होगा।  

 पंजाब से लुधियाना व अमृतसर को मिली जगह
केंद्र द्वारा प्रदूषण कम करने के नाम पर बनाई गई इलैक्ट्रिक वाहन चलाने की स्कीम में सभी राज्यों के प्रमुख शहरों को लिया जाएगा। इसके तहत पंजाब से लुधियाना व अमृतसर को जगह मिली है। जिनको इलैक्ट्रिक वाहनों की जरूरत बारे 30 नवंबर तक केन्द्र सरकार को रिपोर्ट भेजनी होगी।
 
यूनियन या कम्पनी को मिलेगी जिम्मेदारी
केंद्र की स्कीम का पहलू यह है कि मौजूदा समय में चल रही डीजल बसों या आटो रिक्शा को इलैक्ट्रिक वाहनों की कैटागरी में लाने की जिम्मेदारी यूनियन या कम्पनी को मिलेगी। इसके तहत ही आटो रिक्शा की यूनियन के मैंबरों को साफ कर दिया गया कि एक वाहन पर 60 हजार तक की सबसिडी मिलेगी।  

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