खालिस्तान समर्थकों ने शुरू किया नाम बदलकर नशीले पदार्थ भारत भेजने का काम

Edited By Punjab Kesari,Updated: 15 Oct, 2017 09:34 AM

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पाकिस्तान में बैठे खालिस्तान समर्थक अपने नाम बदलकर नशा तस्करी करने के लिए तो तैयार हो गए हैं परंतु उन्होंने पाकिस्तान के दबाव के बावजूद भारतीय सीमा में प्रवेश करने से इंकार कर दिया है क्योंकि वे अपनी जान गंवाने के लिए तैयार नहीं हैं।

गुरदासपुर(विनोद) : पाकिस्तान में बैठे खालिस्तान समर्थक अपने नाम बदलकर नशा तस्करी करने के लिए तो तैयार हो गए हैं परंतु उन्होंने पाकिस्तान के दबाव के बावजूद भारतीय सीमा में प्रवेश करने से इंकार कर दिया है क्योंकि वे अपनी जान गंवाने के लिए तैयार नहीं हैं।

जानकारी अनुसार गत दिनों पाकिस्तान की गुप्तचर एजैंसी आई.एस.आई. ने आतंकवाद के कारण पाकिस्तान की अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर हो रही बदनामी के चलते कश्मीर सहित भारत के अन्य राज्यों में आतंकवादी घटनाओं में पुन: तेजी लाने व अपनी अन्य योजनाओं को सफल बनाने के लिए आतंकवादी संगठनों की कमान अब विदेशी भाड़े के आतंकवादियों को सौंपी है।

खालिस्तान समर्थकों को भी इनके साथ मिलकर काम करने के लिए कहा गया है। उन्हें केवल नशीले पदार्थ भारत में भेजने का काम दिया गया है, परंतु पता चला है कि पाकिस्तान में शरण लिए बैठे खालिस्तान समर्थकों व कश्मीर के कुछ आतंकवादी संगठनों के नेताओं ने विदेशी भाड़े के आतंकवादी नेताओं के साथ मिलकर काम करने से इंकार कर दिया है। आई.एस.आई. ने पाकिस्तान में बैठे खालिस्तान समर्थकों को स्पष्ट कह दिया है कि वे ऐसा नहींं कर सकते तो पाकिस्तान छोड़कर चले जाएं।

डिफैंस कालोनी लाहौर में शरण लिए बैठे हैं 10 खालिस्तान समर्थक

सूत्रों के अनुसार डिफैंस कालोनी लाहौर में इस समय लगभग 10 खालिस्तान समर्थक शरण लिए बैठे हैं और ये सभी आई.एस.आई. के लिए ही काम कर रहे हैं। पता चला है कि इस समय खालिस्तान समर्थकों व कश्मीरी आतंकवादी संगठनों के बीच भी बेहतर तालमेल नहींं है। डिफैंस कालोनी लाहौर में खालिस्तान जिन्दाबाद फोर्स का चीफ रणजीत सिंह नीटा अपनी पत्नी व बेटी के साथ रह रहा है। नशीले पदार्थों की सप्लाई की जिम्मेदारी उसे सौंपी गई है। इस कालोनी में नीटा के अतिरिक्त गजेन्द्र, परमजीत सिंह, महल सिंह, वधावा सिंह, हरविन्द्र सिंह तथा गुरमीत सिंह आदि रह रहे हैं। सूत्रों के अनुसार गुरमीत सिंह खुद को खालिस्तान का प्रधानमंत्री कहता है। खालिस्तानी समर्थक परमजीत सिंह ने अपना नाम बदलकर जसबीर सिंह, वधावा सिंह ने गुरचरण सिंह, हरविन्द्र सिंह ने मंजीत सिंह व गुरमीत सिंह ने रेशम सिंह रख लिया है।

नीटा की अगुवाई में काम करने को तैयार नहींं है वधावा सिंह
 नीटा तथा उसका विशेष कृपापात्र जाइका ईसाई, जो जम्मू इलाके का ही रहने वाला है, ने यह काम बुझे दिल से शुरू किया है जबकि खालिस्तान बब्बर खालसा इंटरनैशनल संगठन की चीफ बने वधावा सिंह ने नशीले पदार्थ भारत भेजने का काम करने से इंकार कर दिया है। वधावा सिंह को कुछ अन्य खालिस्तान समर्थकों का समर्थन प्राप्त है। एक तो वधावा सिंह विदेशी भाड़े के आतंकवादियों के साथ मिलकर काम नहींं करना चाहता, दूसरे वह रणजीत सिंह नीटा की अगुवाई में भी काम करने के लिए तैयार नहींं है। आयु अधिक होने के कारण वह अपने आपको सबसे ऊपर समझता है जबकि आई.एस.आई. रणजीत सिंह नीटा को महत्व देती है।

गुरदासपुर में हुई गुप्तचर व सुरक्षा एजैंसियों की संयुक्त बैठक
पाकिस्तान की भारत विरोधी नीतियों की गुप्तचर एजैंसियों से मिली इनपुट के आधार पर गुरदासपुर में पुलिस, सीमा सुरक्षा बल तथा गुप्तचर एजैंसियों की एक संयुक्त बैठक हुई, जिसमें सीमा सुरक्षा बल के अधिकारियों के अतिरिक्त गुरदासपुर तथा पठानकोट के पुलिस अधीक्षक शामिल हुए। दोनों जिलों के एस.एस.पी.15 अक्तूबर को लोकसभा चुनाव की मतगणना के चलते मीटिंग में शामिल नहीं हुए। इस दौरान सीमा पार की गतिविधियों के अतिरिक्त गुप्तचर एजैंसियों से मिली इनपुट पर विचार-विमर्श हुआ।     

पाकिस्तान की मदद के लिए आई ‘पॉपुलर अर्थ एंड इस्लामिक कांग्रेस’                 
जानकारी अनुसार इस समय पाकिस्तान की मदद में ‘पॉपुलर अर्थ एंड इस्लामिक कांग्रेस’ खुलकर आ गई है जिसने अपने एजैंटों को कश्मीर मामले में पाकिस्तान का खुलकर साथ देने और पाकिस्तान की इस मसले में हर मदद करने को कह दिया है। इससे विदेशी भाड़े के आतंकवादियों का पाकिस्तान आना तेज हुआ है। अरब देशों के नौजवान अब पाकिस्तान को हर सहयोग देने को तैयार हो गए हैं, यही कारण है कि आई.एस.आई. ने अब कश्मीर में संघर्ष कर रहे आतंकवादियों की कमान भी इन भाड़े के आतंकवादियों को सौंप दी है। आई.एस.आई. ने अपनी इस योजना को सफल बनाने के लिए बंगलादेश में भी अपने अड्डे स्थापित किए हैं, जहां कई आतंकवादियों के ट्रेनिंग कैम्प चल रहे हैं। 

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