राहुल गांधी से सीधे संपर्क होने की चर्चाओं से कांग्रेसियों में मची खलबली

Edited By Punjab Kesari,Updated: 19 Jan, 2018 09:18 AM

discussions about congress getting directly involved with rahul gandh

कैबिनेट मंत्री राणा गुरजीत का इस्तीफा स्वीकार होने से जहां कांग्रेस गलियारों में हलचल पैदा कर दी है, वहीं विधानसभा में विपक्ष के नेता सुखपाल खैहरा के राहुल गांधी के साथ सीधा संपर्क होने की चर्चाओं ने कांग्रेसियों में खलबली मचा कर रख दी है।

जालंधर  (चोपड़ा): कैबिनेट मंत्री राणा गुरजीत का इस्तीफा स्वीकार होने से जहां कांग्रेस गलियारों में हलचल पैदा कर दी है, वहीं विधानसभा में विपक्ष के नेता सुखपाल खैहरा के राहुल गांधी के साथ सीधा संपर्क होने की चर्चाओं ने कांग्रेसियों में खलबली मचा कर रख दी है। 


राणा गुरजीत के मामले को लेकर कै. अमरेन्द्र सिंह की पत्रकारवार्ता के समानांतर खैहरा द्वारा चंडीगढ़ में अपने सरकारी निवास आयोजित प्रैस कांफै्रंस से इन चर्चाओं को और भी बल मिला है। कांग्रेसी पेशोपेश में हैं कि क्या राहुल गांधी के साथ कै. अमरेन्द्र की मीटिंग से लेकर राणा के इस्तीफे के स्वीकार होने की भनक खैहरा को पहले ही मिल चुकी थी या उन्हें राहुल गांधी के खेमे में हो रही हरेक हलचल की पल-पल की जानकारी मुहैया करवाई जा रही थी, क्योंकि दिल्ली में हुई मीटिंग के बाद कै. अमरेन्द्र जब बाहर आकर पत्रकारों से मुखातिब हुए तो ठीक उससे आधा घंटा पहले ही खैहरा ने चंडीगढ़ में पत्रकारों को अपने निवास पर न्यौता दे रखा था। इस पत्रकारवार्ता में खैहरा ने जहां राणा के खिलाफ भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगाए वहीं उन्होंने मुख्यमंत्री कै. अमरेन्द्र को भी इसी लपेटे में लिया। राहुल गांधी के निवास पर हुई इतनी बड़ी लीकेज के पीछे क्या उनके किसी विश्वस्त साथी का हाथ है या भ्रष्टाचार के आरोपों में घिरे राणा गुरजीत के मामले पर राहुल गांधी ने कड़ा रुख अपनाकर खैहरा की घर वापसी(कांग्रेस में ) की जमीन तैयार कर दी है। 


जिक्रयोग्य है कि सुखपाल खैहरा और राणा गुरजीत दोनों एक-दूसरे के कट्टर राजनीतिक विरोधी हैं। दोनों नेता एक ही जिले से सबंधित हैं और दोनों में वर्चस्व की लड़ाई को लेकर हमेशा से ही 36 का आंकड़ा रहा है। खैहरा के 2017 के विधानसभा चुनावों के दौरान कांग्रेस का हाथ छोड़कर ‘आप’ को ज्वाइन करने के पीछे भी यही राजनीतिक लड़ाई बड़ा कारण बनी। राणा व खैहरा दोनों चुनाव जीत कर विधायक बने परंतु विपक्षी दलों से संबंधित होना व खैहरा के विधानसभा में विपक्ष का नेता चुने जाना इस लड़ाई की आग में घी डालने का काम कर गया। 


कांग्रेसी गलियारों के अनुसार लंबे समय तक कांग्रेस में रह चुके खैहरा का ऑल इंडिया कांग्रेस के प्रधान राहुल गांधी व उनकी टीम के साथ भी खासा संपर्क रहा है, जिस कारण अनुमान लगाए जा रहे हैं कि राणा पर भष्टाचार के आरोप लगाने वाले खैहरा का संपर्क राहुल के साथ स्थापित हो चुका है और खैहरा ने ही राणा के खनन व अन्य भष्टाचार के मामलों से संबंधित दस्तावेज राहुल दरबार तक पहुंचाए हैं, जिसके उपरांत राहुल गांधी ने राणा के खिलाफ कड़ा स्टैंड लेते हुए कै. अमरेन्द्र को उनके इस्तीफे को मंजूर करने के आदेश दिए। जबकि कै. अमरेन्द्र सिंह अपने चहेते व खासमखास कैबिनेट मंत्री को  मझधार  में से निकालने के पक्षधार दिखाई दे रहे थे। ‘आप’ के पंजाब में निरंतर गिर रहे ग्राफ के चलते क्या खैहरा घर वापसी करने के मूड में है और राहुल खेमे द्वारा उन्हें वापसी की हरी झंडी मिल चुकी है, इन चर्चाओं में कितनी सच्चाई है इसका पता आने वाले समय में लगेगा? 

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