Edited By Punjab Kesari,Updated: 15 Dec, 2017 01:15 PM
रमनदीप सिंह संधू जिसने सिंगापुर में हुए बॉडी बिल्डर मुकाबलों में जहां गोल्ड मैडल प्राप्त करके जीरा हलके तथा अपने माता-पिता का नाम चमकाया है, वहीं उसने अपने अंदर छुपी कला का प्रदर्शन करके यह साबित कर दिया है कि मंजिलें उन लोगों के लिए दूर होती हैं,...
जीरा(अकालियांवाला): रमनदीप सिंह संधू जिसने सिंगापुर में हुए बॉडी बिल्डर मुकाबलों में जहां गोल्ड मैडल प्राप्त करके जीरा हलके तथा अपने माता-पिता का नाम चमकाया है, वहीं उसने अपने अंदर छुपी कला का प्रदर्शन करके यह साबित कर दिया है कि मंजिलें उन लोगों के लिए दूर होती हैं, जो लोग रास्तों को नहीं चुनते। सिंगापुर में डब्ल्यू.एफ.एफ. संस्था की ओर से करवाए गए बॉडी बिल्डिंग मुकाबलों में उसने गोल्ड मैडल हासिल किया है। सोचने बाली बात यह है कि दिव्यांगता भी रमनदीप के बढ़ते हुए कदमों को रोक नहीं पाई है।
दिव्यांग है रमनदीप
सेवामुक्त इंस्पैक्टर बचन सिंह संधू के घर पैदा हुए रमनदीप संधू की 2 साल की उम्र में टांगों को नुक्स पड़ गया था, लेकिन इसने अपने नेक इरादे से जिंदगी में कुछ बनने के सपने संजो लिए तथा उसने अपनी काबिलियत का डंका दुनिया में बजाया। इसके पिता बचन सिंह को पुलिस विभाग में निभाई सेवा के बदले राष्ट्रपति अवार्ड प्राप्त हुआ है। अपने पिता के आशीर्वाद से उसने जीरा के साधारण एक स्कूल व कालेजों में पढ़कर एम.बी.ए. तक की डिग्री प्राप्त की। संधू के पिता बताते हैं कि उसने अपने बेटे के इलाज के लिए देश के बड़े-बड़े अस्पतालों में पहुंच की, लेकिन वह इस बीमारी के आगे हारता रहा, लेकिन जो आज प्राप्ति हुई है, इसने गत दर्दों भुला दिया।