Edited By Punjab Kesari,Updated: 05 Dec, 2017 10:44 AM
आम आदमी पार्टी पंजाब में विधानसभा चुनाव के बाद ऐसी पटरी से उतरी है कि इसके बड़े-बड़े नेता सियासी तौर पर कम और विवादों के लिए अधिक चर्चा में रहने लगे हैं।
बटाला (सैंडी): आम आदमी पार्टी पंजाब में विधानसभा चुनाव के बाद ऐसी पटरी से उतरी है कि इसके बड़े-बड़े नेता सियासी तौर पर कम और विवादों के लिए अधिक चर्चा में रहने लगे हैं। पहले विवादों का पार्टी के प्रदेश कन्वीनर एम.पी. भगवंत मान से गहरा रिश्ता चलता रहा अब यह जगह विधानसभा में विरोधी गुट के नेता सुखपाल सिंह खैहरा ने ले ली है।
जिस तरह पार्टी गुरदासपुर से लोकसभा उपचुनाव में बुरी तरह हारी, उसके बाद चाहिए तो यह था कि पार्टी के दिग्गज नेता सरहदी जिले में हार के कारणों का गहराई से निरीक्षण करते और वर्करों, समर्थकों से पार्टी के ग्राफ में आई भारी गिरावट प्रति माथापच्ची करते, परन्तु ऐसा कहीं भी दिखाई नहीं दिया और पार्टी जिले में पूरी तरह पटरी से उतरी दिखाई दे रही है जिसकी झलक आज ‘आप’ द्वारा जारी की गई हलका अध्यक्षों (अप्रत्यक्ष तौर पर इंचार्ज) की लिस्ट से दिखाई देती है।
बता दें कि ये तीनों हलके पहले पार्टी के पूर्व कन्वीनर गुरप्रीत सिंह घुग्गी के कारण और बाद में माझा जोन के इंचार्ज कंवलप्रीत सिंह काकी और हलका फतेहगढ़ चूडिय़ां से उम्मीदवार गुरिन्द्र सिंह शामपुरा के पार्टी छोडऩे के कारण काफी चर्चा में रहे थे लेकिन पार्टी द्वारा जारी लिस्ट में ये तीनों हलके इसलिए गायब बताए जा रहे हैं क्योंकि पार्टी हाल की घड़ी तीनों हलकों में कोई भी नया नामवर चेहरा उक्त तीनों नेताओं के बदलते रूप में नहीं ढूंढ सकी, यहीं बस नहीं, सूत्रों के अनुसार चर्चा है कि पार्टी का ग्राफ मुंह के बल गिरने कारण कोई चर्चित चेहरा ‘आप’ की ओर आकॢषत होता दिखाई भी नहीं दे रहा।