Edited By Punjab Kesari,Updated: 08 Jan, 2018 05:40 AM
शहर में अवैध रूप से बिना कागजात चलने वाले ऑटो रिक्शा चालकों के पीछे एक बहुत बड़ा माफिया काम कर रहा है। यह माफिया बेहद सुनियोजित ढंग से शहर में ऑटो रिक्शा के अवैध धंधे को अंजाम दे रहा है। महानगर में रजिस्टर्ड ऑटो तो महज 5 से 6 हजार हैं, मगर चलते...
जालंधर(रविंदर शर्मा): शहर में अवैध रूप से बिना कागजात चलने वाले ऑटो रिक्शा चालकों के पीछे एक बहुत बड़ा माफिया काम कर रहा है। यह माफिया बेहद सुनियोजित ढंग से शहर में ऑटो रिक्शा के अवैध धंधे को अंजाम दे रहा है।
महानगर में रजिस्टर्ड ऑटो तो महज 5 से 6 हजार हैं, मगर चलते 25,000 से भी ज्यादा हैं। हैरानी की बात यह है कि इन ऑटो रिक्शा चालकों को शहर में हर ट्रैफिक नियम और कानून तोडऩे की इजाजत है। पुलिस व कानून का इन्हें कोई डर नहीं है क्योंकि इनके माफिया आका ऊपर तक पहुंच रखते हैं। धंधा भी इतना बड़ा है कि पुलिस को इनकी कानों-कान खबर तक नहीं है।
दरअसल शहर की ट्रैफिक व्यवस्था को ध्वस्त करने में ऑटो रिक्शा चालकों का बहुत बड़ा हाथ है। बेलगाम ऑटो रिक्शा मौत बनकर शहर में दौड़ते हैं। पुलिस की ओर से तमाम जागरूकता अभियान चलाने का भी इन पर कोई असर नहीं पड़ता है। यह कानून व पुलिस को ठेंगे पर रख कर चलते हैं। रखे भी क्यों न, क्योंकि इनके माफिया आकाओं का इन्हें पूरा संरक्षण प्राप्त है। शहर में सक्रिय ऑटो माफिया प्रत्येक ऑटो रिक्शा चालक से रोजाना 10 रुपए की अवैध वसूली करता है। यानी 25,000 ऑटो का रिकार्ड रखा जाए तो रोजाना अढ़ाई लाख रुपए की अवैध वसूली। किसी ऑटो रिक्शा चालक को तो 10 रुपए देने में चुभते भी नहीं हैं, मगर ऑटो माफिया हर महीने इकट्ठा करता है 75 लाख रुपए की अवैध वसूली। यह सब काम हो रहा है पुलिस अधिकारियों की नाक के नीचे।
इस 10 रुपए की अवैध वसूली के बदले में ऑटो माफिया ऑटो रिक्शा चालकों को कानून से पूरी तरह से बचाता है। इसमें खाकी वर्दी के पीछे छुपी कुछ काली भेड़ों के भी शामिल होने की आशंका है। तभी ऑटो रिक्शा चालकों पर कभी कोई बड़ा एक्शन नहीं हो पाया है। ऑटो माफिया प्रत्येक ऑटो रिक्शा चालक का चालान होने से बचाते हैं। अगर शहर में कोई ईमानदार अधिकारी आ आए और ऑटो रिक्शा के चालान काटे जाएं तो यही माफिया इन ऑटो रिक्शा चालकों को सड़क पर उतरकर प्रदर्शन करने को मजबूर करता है। प्रदर्शन के जरिए कानून और पुलिस पर दबाव बनाया जाता है और फिर सड़कों पर मौत के इस खेल को दोबारा खेलने की इन्हें इजाजत मिल जाती है।