Edited By Punjab Kesari,Updated: 17 Oct, 2017 11:31 PM
औद्योगिक क्षेत्र को 5 रुपए प्रति यूनिट की दर से बिजली देने के वायदे को पूरा करने की घोषणा के बाद अब अमरेंद्र सरकार ने अपना ध्यान किसानों को राहत पहुंचाने के लिए कर्जा माफी के मुद्दे की ओर देने का निर्णय किया है। मुख्यमंत्री ने हाल ही में संकेत दिया...
चंडीगढ़(पराशर): औद्योगिक क्षेत्र को 5 रुपए प्रति यूनिट की दर से बिजली देने के वायदे को पूरा करने की घोषणा के बाद अब अमरेंद्र सरकार ने अपना ध्यान किसानों को राहत पहुंचाने के लिए कर्जा माफी के मुद्दे की ओर देने का निर्णय किया है। मुख्यमंत्री ने हाल ही में संकेत दिया है कि राज्य सरकार ने केंद्र से इस मामले में सहायता के लिए पहुंच की है लेकिन यदि वहां से कोई सकारात्मक प्रतिक्रिया न मिली तो पंजाब सरकार खुद अपने संसाधनों से किसानों को राहत पहुंचाने की कवायद शुरू कर देगी।
एक्ट में करना होगा संशोधन
राज्य सरकार ने ग्रामीण विकास फंड व कृषि उत्पाद पर चार्ज की जाने वाली मार्कीट फीस को कर्जा माफी के लिए प्रयोग करने का निर्णय लिया है। इस फीस से राज्य सरकार को प्रति वर्ष कोई 36,000 करोड़ रुपए की आय होती है। इसके लिए सरकार को रूरल डिवैल्पमैंट एक्ट 1967 व एग्रीकल्चर प्रोड्यूस मार्कीट्स एक्ट 1961 में संशोधन करना होगा। इस सिलसिले में एक बिल विधानसभा के आगामी सत्र में लाए जाने की संभावना है।
10 हजार करोड़ का अतिरिक्त बोझ पड़ेगा
याद रहे कि मुख्यमंत्री ने जून में लगभग 10.5 लाख किसानों के कर्ज माफ करने की घोषणा की थी। इनमें छोटे और मार्जनल किसानों के 2 लाख रुपए तक के फसली ऋण व माॢजनल किसानों के हर प्रकार के 2 लाख रुपए तक के कर्ज शामिल थे। कर्जा माफी से सरकारी खजाने पर लगभग 10,000 करोड़ रुपए का अतिरिक्त बोझ पड़ेगा।