अाप के घर में अाने वाला दूध है नकली,बच्चों पर हो रहा सबसे ज्यादा असर

Edited By Punjab Kesari,Updated: 01 Sep, 2017 10:23 AM

adulterated fake milk

खाने-पीने वाली ज्यादातर मिलावटी वस्तुएं बाजार से मिलने कारण ये लोगों को भयानक बीमारियों की गिरफ्त में जकड़ रही हैं, जिससे लोगों की सेहत दिन-प्रतिदिन डाऊन होती जा रही है।

तरनतारन : खाने-पीने वाली ज्यादातर मिलावटी वस्तुएं बाजार से मिलने कारण ये लोगों को भयानक बीमारियों की गिरफ्त में जकड़ रही हैं, जिससे लोगों की सेहत दिन-प्रतिदिन डाऊन होती जा रही है। 


बच्चों को उनकी अच्छी सेहत के लिए डाक्टर दूध अधिक से अधिक पिलाने के लिए अपील करते हैं, परंतु आजकल बाजार में मिलावट वाले दूध के साथ-साथ नकली दूध के मिलने कारण बच्चों का भविष्य खतरे की ओर जाता नजर आ रहा है। जिले भर में कुछ मुनाफाखोरों ने सफेद दूध को काला धंधा बना लिया है जो देश के भविष्य को तरक्की देने की बजाय निचले स्तर पर ले जाने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे और यह काला धंधा करने वाले व्यापारियों की दिन-प्रतिदिन चांदी हो रही है। 

 

किस प्रकार बनता है नकली दूध 
सूत्रों से पता लगता है कि पाकिस्तान की सीमा के साथ लगते गांवों में कुछ मुनाफाखोर अपने दूध के इस काले धंधे को बढ़ाने में लगे हुए हैंं और लोगों में बीमारियां पैदा कर रहे हैं। सूत्रों से मिली जानकारी अनुसार नकली दूध को बनाने के लिए पहले यूरिया और रिफाइंड तेल को आपस में पानी की मदद से घोल तैयार कर लिया जाता है और फिर इसमें कास्टिक सोडा और सैंट मिलाने के बाद नकली दूध तैयार हो जाता है। इसमें ज्यादा झाग बनाने के लिए जहां सर्फ जैसे पदार्थों का इस्तेमाल किया जाता है, वहीं नकली दूध को खराब होने से बचाने लिए कास्टिक सोडे का इस्तेमाल किया जाता है। 

 
कौन-सी हो सकती हैं बीमारियां 
बच्चों की विशेषज्ञ डा. हरिपाल कौर धालीवाल का कहना है कि नकली दूध से बच्चों के सभी अंगों की ग्रोथ रुक सकती है, जिससे वह दिमागी तौर पर पूरा फिट नहीं रहेगा। उन्होंने बताया कि इससे कैंसर, काला पीलिया, आंतड़ी रोग, किडनी और दिल की बीमारियां लग सकती हैं। उन्होंने कहा कि दूध से हमें कैल्शियम, आयरन और मिनरल्स मिलते हैं जो हमारे शरीर को तंदरुस्त रखने में मददगार साबित होते हैं, जिस की हम सभी को बहुत ज्यादा जरूरत है। 

 

क्या होती है अच्छे दूध की पहचान 
दूध का सही मापदंड मापने लिए ग्रैवटी का टैस्ट किया जाता है, जिसमें भैंस के दूध की ग्रैवटी सही मात्रा में 7 से 8 होने पर उसको पीने योग्य माना जाता है, परंतु सच्चाई में यह मात्रा किसी भी डेयरी पर नहीं पाई जाती। जिले भर में मौजूद डेयरियों पर आजकल पाऊडर से तैयार किया हुआ दूध, जोकि कानून अनुसार नहीं बेचा जा सकता, को सरेआम बेचा जा रहा है। एक किलो पाऊडर को 10 किलो पानी में घोलकर तैयार करके इस दूध को बेचा जा रहा है। इतना ही नहीं आसपास के क्षेत्रों से दूध एकत्रित करने के लिए बनाए गए साधनों में दूध के तापमान को कंट्रोल में रखने का कोई इंतजाम नहीं है, जिस कारण वह बर्फ की मिलावट करते आम देखे जा सकते हैं। 

 

शीघ्र सैंपल लिए जाएंगे : सहायक कमिश्नर फूड 
सहायक कमिश्नर फूड डा. गुरप्रीत सिंह पन्नू ने बताया कि उनके द्वारा इस संबंधी शीघ्र ही डेयरियों आदि से सैंपल लिए जाएंगे और बनती कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने कहा कि पिछले कुछ दिन पहले ही जलालाबाद गांव से दूध की शिकायत मिलने पर सैंपल लिए गए थे, जिनकी रिपोर्ट आने के बाद कार्रवाई अमल में लाई जाएगी। 

 

मिलावटखोरों के खिलाफ की जाएगी सख्त कार्रवाई : सिविल सर्जन
इस संबंधी सिविल सर्जन डा. शमशेर सिंह ने कहा कि उनके द्वारा समय-समय पर दूध की डेयरियों आदि से सैंपल लेने के लिए सहायक कमिश्नर फूड को हुक्म दिए जाते हैं। सेहत से खिलवाड़ करने वालों खिलाफ सख्ती कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने कहा कि मिलावट संबंधी उनको कोई भी व्यक्ति गुप्त सूचना दे सकता है। 

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