39 भारतीयों की मौतः जिंदगी की उम्मीद में दफन हो गए सपने

Edited By Punjab Kesari,Updated: 22 Mar, 2018 09:29 AM

39 indian killed in mosul iraq

भविष्य के सपने संजो कर वे विदेशी धरती पर गए थे। यह सोच कर वे अपना भविष्य तो उज्ज्वल बनाएंगे ही साथ में ही अपने माता-पिता को सपनों को भी पूरा कर पाएंगे। मगर उन्हें क्या पता था कि वह दोबारा अपने देश की धरती पर पांव नहीं रख पाएंगे। वह तो काफी दिन पहले...

जालंधर(रविंदर): भविष्य के सपने संजो कर वे विदेशी धरती पर गए थे। यह सोच कर वे अपना भविष्य तो उज्ज्वल बनाएंगे ही साथ में ही अपने माता-पिता को सपनों को भी पूरा कर पाएंगे। मगर उन्हें क्या पता था कि वह दोबारा अपने देश की धरती पर पांव नहीं रख पाएंगे। वह तो काफी दिन पहले ही धरती में दफन हो चुके थे। मगर उनके माता-पिता को आज भी यह उममीद थी कि उनके लाल वापस घर आएंगे और घर की रौनक बनेंगे।
 

जिगर के टुकड़ों के अंतिम दर्शन तक नहीं कर पाएंगे मां-बाप
यह उम्मीद अभी तक इसलिए भी पुख्ता थी क्योंकि भारत सरकार ने भी अब तक उन्हें नाउम्मीद नहीं किया था। मगर जैसे ही विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने ईराक में फंसे सभी 39 भारतीयों की मौत की खबर सुनाई तो सभी के पैरों के नीचे से जमीन खिसक गई। अपने बच्चों के आने की उम्मीद धरी की धरी रह गई। बूढ़े माता-पिता की आंखें तो पहले ही अपने बच्चों की उम्मीद में पथरा गई थीं। हर पल उनके लिए जीना मुश्किल हो रहा था और इसी आस में वे जिंदगी जी रहे थे कि भारत सरकार उनके बच्चों को वापस लाने में सफल होगी। मगर जिस उम्मीद से अपने जिगर के टुकड़ों को विदेशी धरती पर भेजा था, वह उम्मीदें तो काफूर हुईं ही, साथ में जिंदगी भर के सपने भी ईराक की धरती पर दफन हो गए। सबसे दर्दनाक तो यह रहा कि वह अपने जिगर के टुकड़ों के अंतिम दर्शन तक नहीं कर पाए। बचे तो सिर्फ उनके अवशेष, अब तो डी.एन.ए. के सहारे ही यह अवशेष उनके परिजनों तक पहुंचेंगे। 

विदेशी धरती का मोह नहीं छोड़ पा रहे पंजाबी
विदेशी धरती का मोह आज भी पंजाबियों के सिर चढ़कर बोलता है। देश भर में सबसे ज्यादा नौजवान पंजाब से ही विदेशी धरती पर जाते हैं। विदेशी धरती पर अपने सपने पूरे करने के लिए वे अपने माता-पिता की जिंदगी भर की जमापूंजी को गंवा बैठते हैं। कुछ वैध तरीके से तो अनेकों अवैध तरीके से विदेशी धरती पर जाने के लिए हमेशा इच्छुक रहते हैं। पंजाब में ड्रग की नौजवानों पर छाप क्या पड़ी कि अब तो हर माता-पिता अपने बच्चे को यहां रखने की बजाय विदेशों में भेजने का खुद इच्छुक दिखाई दे रहा है। बच्चों की उम्मीदें भी अपनी धरती पर रहने की बजाय मैट्रिक पास करते ही विदेशी धरती पर उड़ान भरने की होती हैं। इसके लिए वे वैध और अवैध हर तरीका अपनाता है और कई बार तो फर्जी ट्रैवल एजैंटों के हत्थे भी चढ़ जाते हैं। कुछ रोजगार के लालच में तो कुछ वहां पढ़ाई करने की इच्छा से मोटी रकम इन फर्जी ट्रैवल एजैंटों के हाथों में गंवा बैठते हैं। आज भी पंजाब भर के अलग-अलग थानों में फर्जी ट्रैवल एजैंटों के खिलाफ 2 हजार से ज्यादा केस पैंङ्क्षडग हैं। कुछ लाखों खर्च कर विदेशी धरती पर पहुंच जाते हैं तो अन्य यहीं जिंदगी भर की कमाई को उजाड़ कर जिंदगी भर तनाव में गुजारते हैं। विदेशी धरती के सपने भी बेहद दर्दनाक है। लाखों खर्च कर विदेशी धरती पर जाने वाले सैंकड़ों नौजवान हर महीने डिपोर्ट होकर वापस पहुंच जाते हैं और वह न घर के रहते हैं और न ही घाट के। एक आंकड़े के मुताबिक हर महीने तकरीबन 50 से 100 करोड़ की राशि सिर्फ पंजाब इलाके से ही विदेशी धरती पर पांव रखने के लालच में पंजाब के नौजवान खर्च कर डालते हैं। मगर इनमें से कुछेक ही ऐसे होते हैं, जिनके सपनों को उड़ान मिल पाती है। अनेकों के सपने तो बीच रास्ते में ही ध्वस्त हो जाते हैं। 

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