Edited By Updated: 17 Jan, 2017 12:08 PM
पंजाब के चुनावी माहौल में इस समय अधिकतर सीटों पर अकाली-भाजपा, कांग्रेस के अलावा तीसरे विकल्प के रूप में उभरी ‘आप’ के बीच ही मुख्य मुकाबला है।
लुधियाना (हितेश): पंजाब के चुनावी माहौल में इस समय अधिकतर सीटों पर अकाली-भाजपा, कांग्रेस के अलावा तीसरे विकल्प के रूप में उभरी ‘आप’ के बीच ही मुख्य मुकाबला है। यह बात खुद डिप्टी सी.एम. सुखबीर बादल ने 21 सीटों पर ‘आप’ के साथ मुकाबला होने की बात कहकर स्वीकार कर ली है। हालांकि ‘आप’ से अलग हुई अपना पंजाब पार्टी व तृणमूल कांग्रेस ने भी काफी सीटों पर उम्मीदवार खड़े किए हैं, जिनमें अधिकतर ‘आप’, अकाली-भाजपा व कांग्रेस के बागी हैं। जहां तक बसपा का सवाल है, वह 1992 के चुनावों में कई सीटों पर जीतने के अलावा अब से पहले तक तीसरा विकल्प मानी जाती रही है लेकिन अब बसपा का आधार दोआबा की कुछ सीटों पर ही सिमटकर रह गया है। वहां भी बसपा को सिर्फ कांग्रेस के दलित वोट बैंक में सेंध लगाने के रूप में देखा जाता है।
यहां तक कि बसपा को कांग्रेस का नुक्सान करने के लिए उम्मीदवार खड़े करने का खर्च मिलने की अटकलों के बीच अकाली दल की बी-टीम तक कहा गया। इन धारणाओं को गलत साबित करने के उद्देश्य से बसपा ने फिल्लौर सीट पर अपने दिग्गज नेता अवतार सिंह करीमपुरी को उतारा है। इस सीट पर अकाली दल की तरफ से बसपा के पिछले चुनावों के उम्मीदवार रहे बलदेव सिंह खैहरा उम्मीदवार हैं, जो 2012 में 43,000 वोट लेने में कामयाब हुए थे। कांग्रेस की तरफ से पूर्व विधायक रहे व अब जालंधर के सांसद संतोख चौधरी के बेटे को टिकट मिली है। आम आदमी पार्टी ने दोआबा में गुरमत प्रचार के लिए सक्रिय सभा के सरूप सिंह कडियाना को उम्मीदवार बनाया है लेकिन वह खास मुकाबले में नहीं हैं। यहां आम आदमी पार्टी द्वारा अलग से दलित मैनीफैस्टो जारी करने तथा सरकार बनने पर दलित उपमुख्यमंत्री बनाने बारे किए गए ऐलान का भी खास असर नजर नहीं आ रहा।
जहां तक करीमपुरी का सवाल है, उनके खड़े होने से बसपा को साथ लगती कुछ सीटों पर भी फायदा मिल रहा है। इस हालात में ‘आप’ को बाकी पंजाब की तरह दोआबा की कुछ सीटों पर अपनी उपस्थिति दर्ज करवाने के लिए जद्दोजहद करनी पड़ रही है, क्योंकि दोआबा में उसका चेहरा रही होशियारपुर से लोकसभा चुनाव लडऩे वाली यामिनी गोमर व जालंधर से उम्मीदवार रही ज्योति मान ने पार्टी छोड़ दी है।