Edited By Updated: 29 Dec, 2016 11:12 AM
इस हलके में ज्यादातर कब्जा कांग्रेस का ही रहा चाहे किसी समय अकाली दल के सिरमौर नेता जत्थेदार प्रीतम सिंह गुज्जरा की अकाली दल में चढ़त के कारण इस हलके को निरोल अकाली हलका ही कहा जाता था
इस हलके में ज्यादातर कब्जा कांग्रेस का ही रहा चाहे किसी समय अकाली दल के सिरमौर नेता जत्थेदार प्रीतम सिंह गुज्जरा की अकाली दल में चढ़त के कारण इस हलके को निरोल अकाली हलका ही कहा जाता था, परन्तु 1985 में पूर्व अकाली मंत्री बलदेव सिंह मान के बाद अकालियों की पाटोधाड़ के कारण यह कांग्रेस की झोली में पड़ता रहा, परन्तु मौजूदा विधायक बाहर से आकर फिर से इस हलके को अकाली दल की झोली में डालने में कामयाब रहा परन्तु यह हलके की बदकिसमती है कि लोकल नेताओं ने उसको काम ही नहीं करने दिया जिस कारण वह फिर अपने पुराने हलके भदौड़ पर ही चला गया और अब अकाली दल ने एक बाहरी खिलाड़ी के सिर इस हलके का किला फतेह करने की जिम्मेदारी डाली है।
चाहे कि यहां से जीतने वाले सभी विधायक ही यहां कोई बड़ी इंडस्ट्री लगाने व लड़कियों का कॉलेज और समूह नौजवान वर्ग के लिए कोई तकनीकी संस्था लगाने और सेहत सुविधाएं देने के अलावा बढिय़ा ढांचा देने के वायदे करके चुनाव लड़ता रहा है परन्तु अभी तक सिवाए एक अस्पताल बनने के वह भी आधार डाक्टरों के हलके में कुछ भी नहीं हुआ, यहां तक कि बीते करीब 15 वर्षों से बनता आ रहा बस स्टैंड भी अभी तक चालू नहीं हो सका।