‘मेक इन इंडिया’ को उत्साहित करने के बावजूद भारतीय उद्योग को झटका

Edited By Punjab Kesari,Updated: 28 Feb, 2018 04:31 PM

make in india

होली संबंधी चीन से भारत में आयात हो रहे सामान के कारण भारतीय उद्योग को करीब 75 फीसदी नुक्सान हो रहा है। भले भारत सरकार ने ‘मेक इन इंडिया’ के लक्ष्य को लेकर काफी सुविधाएं देने की बात कही है परंतु भारत में कच्चे माल की महंगी कीमतों के कारण भारत के...

रूपनगर (कैलाश): होली संबंधी चीन से भारत में आयात हो रहे सामान के कारण भारतीय उद्योग को करीब 75 फीसदी नुक्सान हो रहा है। भले भारत सरकार ने ‘मेक इन इंडिया’ के लक्ष्य को लेकर काफी सुविधाएं देने की बात कही है परंतु भारत में कच्चे माल की महंगी कीमतों के कारण भारत के उद्योग मंदी का शिकार हैं जबकि दूसरी तरफ चीन से सस्ता व आकर्षक सामान ही अब लोगों की पसंद बन चुका है। देश में मनाए जाने वाले त्यौहारों में होली का त्यौहार ऐसे पर्व है, जिसमें प्रत्येक वर्ग के लोग शामिल होते हैं। भारतीय पंचाग के अनुसार वर्ष के अंतिम माह फाल्गुन की पूर्णिमा को होली का त्यौहार मनाया जाता है। इस बार मनाए जा रहे 2 मार्च को होली के त्यौहार के मद्देनजर बाजारों में रंगों व पिचकारियों, रंगीन पानी के गुब्बारे आदि से दुकानें सजने लगी हैं। इसके अलावा होली के चाइनीज संबंधी सामान की बिक्री भी जोर पकड़ रही है।

75 फीसदी चाइनीज सामान आयात 
सूत्रों के अनुसार होली संबंधी वाटर गन व गुब्बारे आदि में करीब 250 उद्योगपति अपना कारोबार कर रहे हैं जबकि विभिन्न प्रकार के रंगों के उत्पाद के लिए 5 हजार से अधिक मैन्युफैक्चर कार्य में लगे हैं।भारत में कच्चे माल की अधिक कीमत होने के चलते यहां उद्योगों को गहरा झटका लग रहा है तथा सूत्रों के अनुसार चाइनीज सामान के मुकाबले भारत में तैयार 25 फीसदी होली से संबंधित सामान ही मार्कीट में बिक रहा है जबकि 75 फीसदी चाइनीज सामान देश में आयात हो रहा है। यह अपने फैंसी लुक व सस्ते होने के कारण आकर्षण में रहते हैं और 50 फीसदी सस्ता बिक रहा है।

चाइनीज सामान हो सकता है नुक्सानदायक 
माना जाता है कि चाइनीज सामान में खामियां व्याप्त हैं और यह कथित तौर पर सस्ते प्लास्टिक, जहरीले रंगों, एसिड, एल्कलीज, डीजल व ग्लास पाऊडर से तैयार होता है जिनका प्रयोग स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है जबकि भारत में पुरानी पिचकारियों की परम्परा अब लगभग समाप्त होती जा रही है। क्योंकि अब यह चाइनीज पिचकारियों के मुकाबले महंगी होती हैं।दूसरी ओर होली के दौरान हर्बल रंगों के प्रयोग को लेकर भी लोग अधिकतर अनभिज्ञ रहते हैं। त्यौहार के दौरान देश में 5 लाख किलोग्राम रंगों का उत्पादन होता है और इसमें से 2 लाख किलोग्राम की खपत होली के दौरान सिर्फ उत्तर प्रदेश में रहती है।
 
लोग करें चाइनीज सामान का बायकाट 
होली के त्यौहार पर चाइनीज सामान की हो रही बिक्री को लेकर शहर के विभिन्न संगठनों हरे कृष्ण संकीर्तन मंडल के संयोजक मूलराज शर्मा, सतलुज पब्लिक स्कूल के चेयरमैन जे.के. जग्गी, अमित सर्राफ, महेन्द्र सिंह ओबराय, मदनमोहन गुप्ता व राजकुमार कपूर सहित अन्यों ने अपील की कि होली के दौरान लोग अपने स्वास्थ्य के मद्देनजर चाइनीज सामान का बायकाट करें। इसके अलावा शहर के कुछ दुकानदारों की तरफ से चाइनीज पिचकारियों, रंगों, गुब्बारों व अन्य सामान को न बेचे जाने का संकल्प भी लिया गया है। 


 

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