मोदी को टक्कर देने में सफल चेहरा नहीं बन पा रहे हैं राहुल

Edited By Punjab Kesari,Updated: 17 Aug, 2017 12:18 PM

narender modi

2019 के संसदीय चुनावों में अभी 2 वर्षों का समय शेष है परंतु कांग्रेस के राहुल गांधी अभी देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के लिए चुनौती पेश करने

जालंधर (रविंदर शर्मा): 2019 के संसदीय चुनावों में अभी 2 वर्षों का समय शेष है परंतु कांग्रेस के राहुल गांधी अभी देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के लिए चुनौती पेश करने में नाकाम साबित हो रहे हैं। यह कांग्रेस व यू.पी.ए. के लिए आने वाले लोकसभा चुनावों के लिए चिंता का विषय है। मोदी को टक्कर देने के लिए यू.पी.ए. के पास ऐसा एक भी सशक्त चेहरा नजर नहीं आ रहा है जो भाजपा के रथ को रोक सके। खासकर जनता दल (युनाइटेड) के नेता नीतीश कुमार के यू.पी.ए. गठबंधन के छोड़ जाने के बाद अब चुनौती और बड़ी नजर आ रही है।
 
नोटबंदी व EVM मशीनों की छेड़छाड़ में केजरीवाल ने ही मोदी को था घेरा
एन.सी.पी. के नेता शरद पवार पहले ही खुद को यू.पी.ए. गठबंधन से बाहर मानकर चल रहे हैं। ऐसे में अब विपक्ष के लिए अरविंद केजरीवाल 2019 में प्रमुख चेहरा बन कर सामने आ सकते हैं क्योंकि चाहे मामला ई.वी.एम. की छेड़छाड़ का हो या फिर नोटबंदी का, केजरीवाल ही मोदी के सामने प्रमुखता से खड़े दिखाई दिए थे। इन दोनों मामलों में केजरीवाल ने जमकर मोदी व भाजपा को घेरा था जबकि राहुल गांधी केजरीवाल से पीछे खड़े दिखाई दे रहे थे। विपक्ष के लिए प्रधानमंत्री की दौड़ में केजरीवाल के अलावा पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी व त्रिपुरा के मुख्यमंत्री मानिक सरकार भी हो सकते हैं, क्योंकि यह दोनों नेता भी मोदी का हर पल विरोध करते रहे हैं, मगर राहुल गांधी अभी तक यू.पी.ए. गठबंधन में शामिल पार्टियों का विश्वास जीतने में सफल नहीं हो पाए हैं। विपक्ष अभी तक अपनी एकजुटता को दर्शाने में भी विफल साबित हो रहा है। विपक्ष की एकजुटता अभी कुछ दिन पहले हुए राष्ट्रपति व उप-राष्ट्रपति चुनावों में भी टूटती नजर आई।

केजरीवाल व ममता बनर्जी हो सकते हैं विपक्ष का प्रमुख चेहरा 
आम आदमी पार्टी के अरविंद केजरीवाल ने भी पहले राष्ट्रपति चुनाव में यू.पी.ए. की नेता मीरा कुमार को समर्थन देने से इंकार कर दिया था मगर बाद में सी.पी.आई.(एम.) के नेता सीताराम येचुरी के हस्तक्षेप के बाद केजरीवाल ने मीरा कुमार का समर्थन किया था। वहीं यू.पी.ए. में शामिल एन.सी.पी. के नेता शरद पवार ने भी सोनिया गांधी की ओर से बुलाई गई मीटिंग का खुलेआम बायकाट किया था हालांकि कांग्रेस के नेता बायकाट के पीछे शरद पवार का स्वास्थ्य ठीक न होने को कारण बता रहे हैं। भाजपा गठबंधन में शामिल होने से पहले ही जनता दल (यू) के नेता नीतीश कुमार ने खुले तौर पर भाजपा के उम्मीदवार रामनाथ कोविंद का समर्थन किया था। इसलिए तार-तार हो रही विपक्षी एक्ता को दोबारा पिरोने के लिए अब विपक्षी पार्टियां किसी ऐसे चेहरे की तलाश में हैं जो खुले तौर पर मोदी का विरोध कर सके। ऐसे में विपक्ष के सामने अरविंद केजरीवाल और ममता बनर्जी दो चेहरे नजर आ रहे हैं।

2019 में राहुल गांधी प्रधानमंत्री पद के होंगे उम्मीदवार
दूसरी तरफ कांग्रेस इतनी जल्दी यू.पी.ए. में शामिल अन्य पार्टियों के सामने हथियार नहीं डालने की रणनीति पर काम कर रही है। कांग्रेस के नेताओं का कहना है कि राहुल गांधी ही 2019 में पार्टी की ओर से प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार होंगे। कांग्रेस नेताओं का कहना है कि अक्तूबर में पार्टी के संगठनात्मक चुनावों के बाद राहुल गांधी पार्टी की कमान संभालने जा रहे हैं और उनके कमान संभालने के बाद पार्टी में एक नई क्रांति आएगी और देश के युवाओं समेत अन्य वर्गों के लिए राहुल गांधी एक सशक्त चेहरा होंगे। 

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