Edited By Updated: 24 May, 2017 12:37 PM
अक्सर देखा गया है कि हार के बाद कई राजनीतिक पार्टियों के अंदर घमासान शुरू हो जाता है। जैसा कि आम आदमी पार्टी में इन दिनों देखने को मिल रहा है, लेकिन चुनावों में भारी जीत के बाद भी दिल्ली भाजपा के अंदर जबरदस्त खींचतान चल रही है।
जालंधर (पाहवा): अक्सर देखा गया है कि हार के बाद कई राजनीतिक पार्टियों के अंदर घमासान शुरू हो जाता है। जैसा कि आम आदमी पार्टी में इन दिनों देखने को मिल रहा है, लेकिन चुनावों में भारी जीत के बाद भी दिल्ली भाजपा के अंदर जबरदस्त खींचतान चल रही है। यह लड़ाई दिल्ली भाजपा के अध्यक्ष मनोज तिवारी और विजय गोयल के बीच चल रही है। यह लड़ाई इतनी अधिक बढ़ गई है कि केंद्रीय संगठन मंत्री रामलाल को इसमें दखल देना पड़ा तथा उन्होंने दिल्ली के संगठन मंत्री सिद्धार्थन को मामला शांत कराने की जिम्मेदारी सौंपी है। वैसे दिल्ली भाजपा में गुटबाजी तो पहले से ही चल रही थी लेकिन अब लड़ाई खुलकर सामने आ गई है। विजय गोयल ने 16 मई को नवनिर्वाचित पार्षदों के लिए सम्मान समारोह आयोजित किया था। मनोज तिवारी ने सम्मान समारोह में खुद आने से इंकार कर दिया। इतना ही नहीं, संगठन का प्रोग्राम न होने की बात कह कर पार्षदों को भी समारोह में भाग न लेने का फरमान जारी कर दिया।
सूत्रों का कहना है कि विजय गोयल के प्रोग्राम में विजयी 184 पार्षदों में से सिर्फ 26-30 पार्षद ही पहुंचे जिसमें जयप्रकाश, शिखा राय, नंदनी शर्मा प्रमुख हैं। इस पूरी खींचतान में विजय गोयल के साथ दिल्ली प्रभारी श्याम जाजू नजर आए। सूत्रों का कहना है कि पहले मनोज तिवारी को जो सूचना दी गई थी उसमें कहा गया था कि कार्यक्रम नेहरू युवा केंद्र का है इसलिए उन्होंने हामी भर दी थी लेकिन जब उन्हें पता चला कि विजय गोयल पार्षदों को सम्मानित करेंगे तो उन्होंने प्रोग्राम में भाग लेने से इंकार कर दिया। जानकारी अनुसार पार्षदों के लिए सम्मान समारोह पर मनोज तिवारी की प्रतिक्रिया के बाद इस प्रोग्राम का नाम स्लम आंदोलन कर दिया गया जहां पार्षदों को एक स्लम एरिया गोद लेने की बात कही गई। सूत्रों का कहना है कि मनोज तिवारी ने व्यक्तिगत संदेश भेजकर भी विजय गोयल को उन्हें अन्य प्रोग्राम का नाम लेकर आमंत्रित करने की बात कही। मनोज तिवारी ने विजय गोयल की शिकायत हाईकमान से भी की है। मनोज तिवारी ने अपने समर्थन में तर्क रखा है कि केंद्र में मंत्री और राजस्थान से राज्यसभा सांसद होने के बावजूद विजय गोयल द्वारा प्रदेश में जीते हुए पार्षदों को सम्मानित करने का कोई औचित्य नहीं बनता।