Edited By Punjab Kesari,Updated: 24 Aug, 2017 12:00 PM
लोकसभा के 2019 में होने वाले आम चुनावों से पहले भाजपा को राजस्थान, कर्नाटक, मध्य प्रदेश व छत्तीसगढ़ में अग्निपरीक्षा से गुजरना होगा। इस वर्ष के अंत में गुजरात तथा हिमाचल प्रदेश में विधानसभा के आम चुनाव होने हैं......
जालंधर (धवन): लोकसभा के 2019 में होने वाले आम चुनावों से पहले भाजपा को राजस्थान, कर्नाटक, मध्य प्रदेश व छत्तीसगढ़ में अग्निपरीक्षा से गुजरना होगा। इस वर्ष के अंत में गुजरात तथा हिमाचल प्रदेश में विधानसभा के आम चुनाव होने हैं परन्तु 2018 में होने वाले राज्य विधानसभा चुनावों को लेकर कई प्रकार की चुनौतियां भाजपा के सामने खड़ी हो सकती हैं।
लोकसभा के आम चुनावों से पहले एक दर्जन छोटे व बड़े राज्यों में विधानसभा के चुनाव होने हैं। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह व उनकी टीम को पता है कि पार्टी के लिए लोकसभा की कई मौजूदा सीटें बचाना मुश्किल होगा इसलिए उन्होंने नई रणनीति के तहत अन्य राज्यों की तरफ रुख किया हुआ है। भाजपा के लिए चिन्ता का विषय छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, कर्नाटक तथा राजस्थान जैसे बड़े राज्य बन सकते हैं जहां पर 2019 से पहले विधानसभा के आम चुनाव होने हैं। इन चार राज्यों में से तीन राज्यों में भाजपा सत्ता में है परन्तु सरकार विरोधी लहर धीरे-धीरे इन राज्यों में तेज हो रही है।
कर्नाटक में इस समय सत्ता कांग्रेस के हाथों में है। अभी तक हुए सर्वे में कांग्रेस की कर्नाटक में वापसी के आसार दिखाई दे रहे हैं जबकि भाजपा शासित प्रदेशों में सरकार विरोधी लहर पार्टी नेतृत्व के लिए चिन्ता का विषय बनी हुई है। भाजपा के लिए छत्तीसगढ़ तथा मध्य प्रदेश काफी अहम हैं जहां वह 2003 में सत्ता में आई थी क्योंकि इन राज्यों में कांग्रेस पूरी तरह से बिखराव की तरफ बढ़ रही थी। मध्य प्रदेश में हाल ही में हुए स्थानीय चुनावों में कांग्रेस का प्रदर्शन अच्छा रहा जबकि भाजपा सबसे बड़ी पार्टी रही। मध्य प्रदेश में शिवराज सिंह चौहान सरकार के खिलाफ हुए किसान आंदोलन से उसकी छवि को चोट पहुंची है।
एक वर्ष बाद होने वाले विधानसभा चुनावों को देखते हुए ही अमित शाह ने ऐलान कर दिया है कि चौहान ही मुख्यमंत्री पद पर बने रहेंगे। छत्तीसगढ़ में रमन सिंह सरकार के खिलाफ जनविरोधी लहर इसलिए जोर पकड़ रही है क्योंकि वह विधानसभा चुनावों में किए वायदों को पूरा करने में असफल रही है। भाजपा नेता भी यह स्वीकार कर रहे हैं कि भाजपा को छत्तीसगढ़ में अब कड़ी मेहनत करनी पड़ेगी। दूसरी तरफ कांग्रेस राजस्थान में सत्ता में वापसी के प्रति आश्वस्त है। कांग्रेस नेतृत्व ने राजस्थान को पूरी तरह से सचिन पायलट के हवाले किया हुआ है। अशोक गहलोत को गुजरात का प्रभारी बनाकर राजस्थान से बाहर भेजा हुआ है।
गुजरात में भी व्यापारियों द्वारा जी.एस.टी. को लेकर चलाए गए सबसे बड़े आंदोलन के बाद इस राज्य में भी भाजपा की सीटों में कमी आने की बातें चुनावी विशेषज्ञों द्वारा की जा रही हैं इसीलिए भाजपा द्वारा अब उन राज्यों की तरफ अपना ध्यान दिया जा रहा है जहां अभी तक उसकी स्थिति मजबूत नहीं रही है।