Edited By Updated: 03 Mar, 2017 07:54 PM
दिल्ली यूनिवॢसटी की छात्रा गुरमेहर कौर ने विवादों से बचने के लिए सोशल.....
जालंधर(धवन): दिल्ली यूनिवर्सिटी की छात्रा गुरमेहर कौर ने विवादों से बचने के लिए सोशल मीडिया पर अपनी सक्रियता घटा दी हैं। दिल्ली में विद्यार्थी संगठन ए.बी.वी.पी. के साथ छिड़े विवाद के बाद उनकी फेसबुक पोस्ट पर आपत्तिजनक बातें लिखी गई थीं। इसके बाद यह विवाद पूरे देश भर में फैल गया। कुछ संगठन व लोग गुरमेहर के समर्थन में आए, जबकि कुछ विरोध में भी खड़े हुए। पता चला है कि गुरमेहर ने अपना फेसबुक खाता बंद कर दिया है।
गुरमेहर का कहना था कि उन्होंने केवल अपने विचार दिए थे, परन्तु बातें उनके क्षेत्राधिकार से बाहर चली गईं। अब वह इस मामले पर कोई बातचीत नहीं करना चाहती है। उन्होंने यह भी कहा कि वह ऐसे सभी विवादों से दूर रहना चाहती है क्योंकि वह राजनीति में नहीं आना चाहती हैं। बताया जाता है कि गुरमेहर को उनके पारिवारिक सदस्यों ने समझाया है कि वह अपना ध्यान शिक्षा की तरफ केन्द्रित करे। उन्हें इस तरह के विवादों से दूर रहना है। गुरमेहर को भी ऐसे घटनाक्रम से भारी ठेस लगी क्योंकि कुछ संगठनों ने उन्हें रेप तक की धमकी दे डाली। उसके बाद गुरमेहर दिल्ली से वापस अपने घर जालंधर पहुंच गई। गुरमेहर आजकल मीडिया से दूर रहते हुए जालंधर में अपने घर में ही है।
सोशल मीडिया पर पिछले कुछ दिनों से गुरमेहर के हक व विरोध में काफी कुछ लिखा जाता रहा। गुरमेहर का भी पूरा ध्यान इसी तरफ लगा रहा। गुरमेहर सोशल मीडिया में ही उलझ कर रह गई थी। बताया जाता है कि पिछले दो दिनों से गुरमेहर ने अपने ट्विटर पर कोई बयान नहीं लिखा। स्पष्ट है कि वह ऐसे विवादों से बचने की कोशिश में लगी हुई हैं। इन्हीं टकराव व विवादों की घटनाओं को देखते हुए जालंधर पुलिस ने उन्हें सुरक्षा भी उपलब्ध करवाई थी। इतना जरूर है कि गुरमेहर देश की प्रमुख हस्तियों द्वारा अपने ट्विटर पर लिखे जा रहे बयानों को फिलहाल अपने ट्विटर पर रीटवीट अवश्य कर रही है। उन्होंने आज सुखविन्द्र समरा का बयान रीटवीट किया, जिसमें उन्होंने लिखा था कि गुरमेहर की खामोशी भरी जंग शांति के लिए है।
उन्होंने जावेद अख्तर का बयान भी रीटवीट किया, जिसमें जावेद अख्तर गौतम गंभीर द्वारा बिना किसी भय के गुरमेहर की विचारों की आजादी के पक्ष में आने का स्वागत किया था। उन्होंने राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी का बयान भी रिटवीट किया, जिन्होंने लिखा था कि नेताओं व राजनीतिक कार्यकत्र्ताओं को जनता की आवाज सुननी चाहिए तथा उनसे सीखना चाहिए। उनकी जरूरतों व मुश्किलों की तरफ ध्यान देना चाहिए। राष्ट्रपति ने यह भी लिखा था कि आलोचना को सुनने का भी सामथ्र्य होना चाहिए। राष्ट्रपति ने लिखा कि भाषण व विचारों की अभिव्यक्ति हमारे संविधान द्वारा दिए गए मौलिक अधिकारों में सबसे महत्वपूर्ण है।