Edited By Punjab Kesari,Updated: 31 Dec, 2017 02:10 PM
वर्ष 2017 पटियाला पुलिस के लिए काफी चुनौती भरा रहा क्योंकि विधानसभा चुनाव होने के कारण वर्ष के शुरू से ही अमन-कानून की व्यवस्था को बनाए रखना एक बड़ी चुनौती था। इस वर्ष डेरा प्रमुख को सी.बी.आई. कोर्ट द्वारा जब सजा सुनाई गई तो कई दिन कर्फ्यू भी रहा।...
पटियाला(बलजिन्द्र): वर्ष 2017 पटियाला पुलिस के लिए काफी चुनौती भरा रहा क्योंकि विधानसभा चुनाव होने के कारण वर्ष के शुरू से ही अमन-कानून की व्यवस्था को बनाए रखना एक बड़ी चुनौती था। इस वर्ष डेरा प्रमुख को सी.बी.आई. कोर्ट द्वारा जब सजा सुनाई गई तो कई दिन कर्फ्यू भी रहा। पटियालवियों ने दशकों बाद कर्फ्यू का माहौल देखा।
इसी तरह वर्ष शुरू होते ही जिले में चुनाव आचार संहिता लगने के कारण समूची जिम्मेदारी पुलिस के कंधों पर आ गई थी क्योंकि आचार संहिता दौरान कोई सरकार नहीं होती बल्कि चुनाव आयोग की हिदायतों पर पुलिस की तरफ से अमन-कानून की व्यवस्था को बनाए रखना एक बड़ी जिम्मेदारी होती है। जनवरी माह में चुनाव प्रचार और फरवरी में हुए मतदान दौरान एक माह तक पुलिस सक्रिय रही। जैसे ही नई सरकार आई तो नशा तस्करों के खिलाफ चलाई गई मुहिम में पुलिस को काफी भागदौड़ करनी पड़ी। सरकार बनते ही पहले 6 माह में सैंकड़ों केस नशा तस्करों के खिलाफ दर्ज किए गए।
गैंगस्टरों ने खुलकर चक्कर में डाला पुलिस को
पूरा वर्ष गैंगस्टरों ने पुलिस को चक्कर में डाले रखा। हालांकि नाभा जेल ब्रेककांड 2016 में हुआ था परन्तु उसकी कई गिरफ्तारियां 2017 में ही हुईं। इसके अलावा भी अलग-अलग मामलों में गैंगस्टरों ने पुलिस को चक्कर में डाल कर रखा और वर्ष खत्म होने यानी 30 दिसम्बर को भी नाभा जेल ब्रेककांड मामले में एक डिसमिस पुलिस मुलाजिम को गिरफ्तार किया गया है। इसके अतिरिक्त पूरा वर्ष देश व पंजाब के अलग-अलग हिस्सों से नाभा जेल ब्रेककांड में एक दर्जन के लगभग गिरफ्तारियां की गईं।
नगर निगम चुनाव में खुलकर हुई गुंडागर्दी
मुख्यमंत्री के शहर में हाल ही में हुए नगर निगम चुनाव में खुल कर गुंडागर्दी हुई। बड़े स्तर पर बूथ कैप्चरिंग और अन्य घटनाओं को लेकर पटियाला पूरे पंजाब में चर्चा में रहा।
डेरा प्रमुख के मामले में एक माह पुलिस रही सड़कों पर तैनात
वर्ष 2017 की सबसे बड़ी घटना पटियाला के लिए डेरा प्रमुख को सी.बी.आई. अदालत की तरफ से सजा सुनाने की रही। इसमें पुलिस लगभग एक माह तक सड़कों पर तैनात रही और पटियालवियों ने कई दशकों बाद यानी कि आतंकवाद के दौर के बाद कफ्र्यू का माहौल देखा।
डेरा प्रमुख को हुई सजा दौरान पटियाला में भी 27 डेरों को सील किया गया था क्योंकि जिस पंचकूला अदालत में सजा सुनाई गई, वह पटियाला के बिल्कुल नजदीक था, दूसरा डेरा मुखियों की पटियाला जिले में बड़ी संख्या थी, लिहाजा डेरा प्रमुख को सजा सुनाने के मामले में पटियाला बड़ा संवेदनशील रहा। सबसे बड़ा कारण पंजाब का मालवा इलाका था जहां डेरा प्रमुख का बड़ा प्रभाव था, पूरे मालवा के डेरा प्रेमी पटियाला से होकर पंचकूला पहुंचे थे, लिहाजा पटियाला को संवेदनशील करार देकर पटियाला में स्थिति को कंट्रोल करना सबसे बड़ा चुनौतीपूर्ण काम था।
तेल कारखाने में हुआ धमाका
इस वर्ष पुरानी मिर्च मंडी में तेल कारखाने में धमाका हुआ, जिसमें मालिक के पुत्र की मौके पर मौत हो गई।
आंगनबाड़ी वर्करों और हैल्परों पर किया लाठीचार्ज
सरकार बनने के बाद मुख्यमंत्री कै. अमरेंद्र सिंह के अपने शहर पटियाला में पहली बार आशा वर्करों की तरफ से बड़ा धरना लगाकर न्यू मोती महल तक रोष मार्च भी किया गया, परन्तु रात को ही पुलिस द्वारा आशा वर्करों को बस स्टैंड के नजदीक से खदेड़ दिया गया और उनका धरना खत्म करवा दिया गया।
नर्सों की मांगों को लेकर प्रधान ने लगाई थी भाखड़ा में छलांग
इस वर्ष नर्सों ने अपनी मांगों को लेकर बड़ा संघर्ष किया। संघर्ष दौरान नर्सों की तरफ से भाखड़ा पुल पर रात को धरना लगा दिया गया और कुछ नर्स नेता भाखड़ा पुल पर लगे गलैरनों पर चढ़ गईं। इस दौरान नर्सों की प्रधान कर्मजीत कौर औलख ने भाखड़ा नहर में छलांग भी लगा दी थी, जिसको गोताखोरों ने बचा लिया था।
1 करोड़ 33 लाख की ठगी का नहीं लग सका कोई अता-पता
पटियाला पुलिस के लिए इस बार बड़ी चुनौतियां रहीं। मई माह में चितकारा यूनिवॢसटी के सामने पटियाला-चंडीगढ़ रोड से लुटेरों ने बैंक की कैश वैन में से 1 करोड़ 33 लाख रुपए की लूट की परन्तु उसका आज तक कोई अता-पता नहीं लग सका। पुलिस के लिए यह सबसे बड़ी घटना रही, जिसमें पुलिस पूरी तरह से फेल रही। इसको लेकर पुलिस को कई आलोचनाओं का सामना भी करना पड़ा। इ
नैलो की एस.वाई.एल. की खुदाई को लेकर खुल कर हुई राजनीति
इनैलो की तरफ से एस.वाई.एल. की खुदाई के ऐलान को लेकर इस वर्ष खुलकर राजनीति हुई। इनैलो वर्करों ने शंभू बार्डर द्वारा पंजाब में दाखिल होने की बड़ी कोशिश की। इस दौरान इनैलो के बड़े नेताओं और विधायकों समेत बड़ी संख्या में वर्करों को गिरफ्तार करके केंद्रीय जेल पटियाला में रखा गया। बहुत बड़े स्तर पर राजनीति हुई क्योंकि इनैलो के अकाली दल के साथ बहुत अ४छे संबंध थे, लिहाजा कांग्रेस व पार्टियों की तरफ से काफी ज्यादा बयानबाजी की गई और एस.वाई.एल. व इनैलो वर्करों के अलावा भी बड़े स्तर पर राजनीति चलती रही।
कत्ल को लेकर दलित समाज ने किया हंगामा
इस वर्ष जुलाई में एक गैंगवार में दलित नौजवान का कत्ल हो गया। उसके बाद दलित समाज के कई नेताओं के नेतृत्व में बड़ा प्रदर्शन हुआ। सरकारी राजिन्द्रा अस्पताल में तोडफ़ोड़ हुई, फव्वारा चौक पर जाम लगाया और बड़ी दुकानों की तोडफ़ोड़ हुई। सरकारी बसों की तोडफ़ोड़ की गई और पुलिस ने इस मामले में लाठीचार्ज भी किया था। इसको लेकर पटियाला में कई दिन माहौल बड़ा तनावपूर्ण रहा।
अगवा करके 4 वर्षीय बच्ची का कत्ल
2 माह पहले अगवा करके 4 वर्षीय बच्ची का कत्ल कर दिया गया। मुख्यमंत्री की रिहायश के बाद 4 वर्षीय बच्ची को घर से अगवा कर लिया गया और उसके बाद झाडिय़ों में से उसका शव मिला। इसी तरह यूथ अकाली दल मालवा-2 के मुस्लिम विंग के प्रधान तौफीक खान के भाई नाहद सलमानी का उसके ही घर में तेजधार हथियारों के साथ कत्ल कर दिया था।
राजमाता और देश की अंतिम महारानी महेन्द्र कौर का स्वर्गवास
इस वर्ष मुख्यमंत्री कै. अमरेंद्र सिंह की माता, राजमाता और महारानी महेन्द्र कौर का स्वर्गवास हुआ, जिसको हजारों पटियालवियों ने सड़कों पर आकर श्रद्धांजलियां दीं।
मुख्यमंत्री बनने के बाद पहली बार पटियाला को मिले 1 हजार करोड़
मुख्यमंत्री बनने के बाद पटियाला को इस बार 1 हजार करोड़ रुपए के प्रोजैक्टों का गिफ्ट मिला। मुख्यमंत्री ने कनाल बेस्ड ट्रीटमैंट प्लांट और अन्य बाकी विकास कार्यों के लिए खजाने का मुंह खोला।
पटियाला को मिला पासपोर्ट सेवा केंद्र : इस वर्ष पटियाला को पासपोर्ट सेवा केंद्र मिला, जिसका उद्घाटन मुख्यमंत्री कै. अमरेंद्र सिंह ने खुद अपने हाथों के साथ किया।