Edited By Punjab Kesari,Updated: 19 Nov, 2017 12:38 PM
इंसानी जिंदगी की रफ्तार ने दिन-ब-दिन रिश्तों की रफ्तार में ब्रेक लगा दी है। ऐसे में इंटरनैट और सोशल मीडिया की यारी ने अपने ही दुश्मन बना दिए हैं। अभी भी अगर इन झमेलों में फंसा इंसान इंसानियत के रिश्तों की अहमियत को न समझा तो वह दिन दूर नहीं जब...
होशियारपुर (अमरेन्द्र): इंसानी जिंदगी की रफ्तार ने दिन-ब-दिन रिश्तों की रफ्तार में ब्रेक लगा दी है। ऐसे में इंटरनैट और सोशल मीडिया की यारी ने अपने ही दुश्मन बना दिए हैं। अभी भी अगर इन झमेलों में फंसा इंसान इंसानियत के रिश्तों की अहमियत को न समझा तो वह दिन दूर नहीं जब इंटरनैट को ही भाई-बहन व माता-पिता बनाना पड़ेगा। इसी आलम के चलते सहनशील इंसान आज असहनशीलता की ओर बढ़ा चला जा रहा है।
अपनों से बनती जा रही दूरियां
जिंदगी में व्यस्तता के बीच इंटरनैट ने अपनों से दूरी बना दी है। व्यस्तता के कारण दिमाग अशांत होने के कारण लोग दूसरों से बात करना, काम करने की कोई रुचि नहीं दिखाते हैं जिससे वे अपने में ही गुमसुम रहते हैं। वे हमेशा किसी अन्य की बात को सहन नहीं करते हैं। ऐसे में उनके रिश्तों में कड़वाहट, दूरी, घृणा आ जाती है।
पैसा होने के बावजूद सुखी नहीं इंसान
पुराने समय में लोगों के पास पैसा कम था परन्तु शांति व सहनशीलता थी। आज पूंजीवाद समाज में पैसा अधिक होने के बावजूद मन शांत नहीं है। अशांत मन के कारण लोग किसी की बात को सहन करना पसंद नहीं करते हैं। आज की युवा पीढ़ी में सहनशीलता नाम की चीज नहीं। युवा पीढ़ी हस्तक्षेप को सहन करना पसंद नहीं करती है जिसके उनको बुरे परिणाम झेलने पड़ते हैं।
भागमभाग की जिंदगी ने बनाया तनावग्रस्त
कम्पीटीशन के दौर में भागमभाग जिंदगी ने इंसान को रोबोट वाली व तनावग्रस्त जिंदगी जीने पर मजबूर कर दिया है। ऐसे में जल्द सफलता व कोई चीज पाने की ललक इंसान के दिमाग को थोड़ा-सा भी आराम नहीं करने देती है जिससे चिड़चिड़ा हुआ इंसान दूसरों की बात को सहन नहीं करता है और उसके रिश्ते में कड़वाहट आ जाती है।
क्या करें बचाव
सहनशील बनने के लिए जरूरी है अपने परिवार के रसूख को जानें।
सोशल मीडिया व इंटरनैट से अधिक परिवार वालों से अपनी बातें व सुझाव सांझा करें।
किसी भी काम बारे जल्दबाजी में निर्णय न लेने की कोशिश करें।
किसी की खुशी व मौजमस्ती को देख घृणा व पाने की ललक न रखें।
व्यस्तता के बावजूद कुछ समय परिवार के साथ जरूर बिताएं।