Edited By Punjab Kesari,Updated: 22 Jan, 2018 01:27 PM
पिछले लंबे समय से सी.एम. सिटी ट्रैफिक समस्या से जूझ रही है। भले शाही शहर का दूसरी बार मुख्यमंत्री बना हो, लेकिन लोगों को अब भी लंबे जामों का सामना करना पड़ रहा है। इतना ही नहीं दक्षिण बाईपास भी चालू हो चुका है, परंतु फिर भी शहर वासियों को ट्रैफिक से...
पटियाला (बलजिन्द्र, राणा): पिछले लंबे समय से सी.एम. सिटी ट्रैफिक समस्या से जूझ रही है। भले शाही शहर का दूसरी बार मुख्यमंत्री बना हो, लेकिन लोगों को अब भी लंबे जामों का सामना करना पड़ रहा है। इतना ही नहीं दक्षिण बाईपास भी चालू हो चुका है, परंतु फिर भी शहर वासियों को ट्रैफिक से राहत नहीं मिल रही।
दक्षिण बाईपास का काम साल 2007 में शुरू हुआ था, तब उस समय एक सिंगल रोड थी और बाद में बाईपास का काम लंबे समय तक लटका रहा, फिर अकाली-भाजपा सरकार सत्ता में आई और बाईपास का काम तेज किया गया। पहले सिंगल तैयार किया और बाद में जब जीरकपुर-बङ्क्षठडा रोड को फोरलेन करने की घोषणा की गई तो बाईपास को भी फोरलेन कर दिया गया, बहुत ही कम समय में इसे चालू भी कर दिया गया। इसके बावजूद शाही शहर के लोगों को ट्रैफिक की समस्या से निजात नहीं मिली।
कई बार मास्टर प्लान बना, परंतु अभी तक नहीं हो सका लागू
पटियाला शहर को ट्रैफिक से निजात दिलाने के लिए कई बार मास्टर प्लान तैयार गया, जिसे लागू करने के लिए नगर निगम, ट्रैफिक पुलिस व जिला प्रशासन के बीच मीटिंगें भी हुईं। कौन-सा ट्रैफिक कहां, कैसे क्रॉस करता है का सर्वेक्षण भी हुआ पर मास्टर प्लान आज तक लागू नहीं हो सका। लगभग 8 साल पहले शहर को ट्रैफिक समस्या से राहत दिलाने के लिए वन वे प्लान भी लागू किया गया था पर कुछ ही दिनों में वह धराशाही हो गया था।
थ्री-व्हीलरों पर शिकंजा न कसने के कारन ट्रैफिक हो जाती है उथल-पुथल
शाही शहर में थ्री-व्हीलरों की संख्या सैंकड़ों में है जो शहर के भीतरी ट्रैफिक को उथल-पुथल करके रख देती है क्योंकि जो थ्री-व्हीलर चालक हैं वे ट्रैफिक कानूनों को ताक पर रखते हैं, जिन पर कोई भी कानून लागू नहीं होता। वहीं ट्रैफिक पुलिस इन के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं करती जिससे इनके हौसले बुलंद रहते हैं। जबकि थ्री-व्हीलरों की कई यूनियनों होने के बावजूद बाहरी थ्री-व्हीलर हर दिन शहर के अंदर सवारियों की ढुलाई करते हैं, जिससे ट्रैफिक हाल से बेहाल हो जाता है। जब कोई ट्रैफिक जाम लगता है तो वहां पुलिस भी बेबस दिखाई देती है। आखिर ये थ्री-व्हीलर किस माफिया की शह पर चल रहे हैं, का कोई अता पता नहीं।
7 मेन सड़कों को मिलाता है 10 किलोमीटर लम्बा दक्षिणी बाईपास
पटियाला के बाहरी तरफ से निकाला गया दक्षिणी बाईपास जोकि 10 किलोमीटर के घेरे में बना हुआ है 7 मेन सड़कों को आपस में मिलाता है। इन मुख्य सड़कों में देवीगढ़/चीका रोड, समाना रोड, डकाला/चीका रोड, मेन रोड, संगरूर रोड, चंडीगढ़ आदि शामिल हैं।
वाहनों की बढ़ती संख्या मुताबिक शहर में नहीं हैं पार्किंग स्थल
शहर में वाहनों की बढ़ती संख्या के मुताबिक पार्किंगें नहीं हैं। इस कारण लोग अक्सर सड़कों के किनारों पर वाहन खड़े कर देते हैं, जो कि ट्रैफिक में सबसे बड़ी रुकावट बनते हैं। शहर को ट्रैफिक के नजरिए से 2 हिस्सों में बांटा जा सकता है। एक अंदरूनी शहर जहां ए.सी. मार्कीट, अनारदाना चौक, अदालत बाजार, धर्मपुरा बाजार से लेकर किला चौक सनौरी अड्डा और अन्य बाजारों को रखा जाता है। इसके लिए कोई पार्किंग नहीं है।
ए.सी. मार्कीट वाली पार्किंग में संख्या के वाहन ले जाते हैं, जिससे बाहर सड़कों पर वाहन पार्क किए जाते हैं। यहां मल्टी स्टोरी पार्किंग की सबसे ज्यादा जरूरत है। इसी तरह लीला भवन से भूपिंद्रा रोड का एरिया है, जहां लीला भवन और सिटी सैंटर में 2 छोटी पार्किंगें हैं जबकि इस एरिया में लीला भवन में मल्टी स्टोरी पार्किंग की जरूरत है। इस एरिया में पार्किंग न होने के कारण सड़कों पर वाहन पार्क होते हैं जिस कारण ट्रैफिक जाम रहता है।
कई प्रसिद्ध चौक आज भी हैं सिग्नल वाली बत्तियों से वंचित
शाही शहर में कई ऐसे प्रसिद्ध चौक हैं जो सिग्नल वाली लाइटों से वंचित हैं, जहां कई बार बत्तियां न होने के कारण वाहन आपस में टकरा जाते हैं, जिस कारण कई व्यक्तियों को अपनी जान भी गंवानी पड़ी है। इन मुख्य चौकों में सनौरी अड्डा, मोदी कालेज, पटियाला-नाभा रोड पर आई.टी.आई. चौक, एन.आई.एस. चौक, राघोमाजरा पुली वाला चौक आदि कई ऐसे चौक हैं जहां अब तक सिंग्नल वाली बत्तियां नहीं लगीं और कई चौक ऐसे हैं जहां पिछले समय दौरान सिंग्नल वाली बत्तियां लगाई थीं परन्तु अब ये खंबों पर ही अपनी दुर्दशा बयान करती हैं।
चाहे इनमें कई ऐसे चौक हैं जहां ज्यादातर देहाती और शहरी क्षेत्र का यूथ शिक्षा ग्रहण करने आता है क्योंकि पटियाला शिक्षा क्षेत्र का सबसे बड़ा केंद्र ङ्क्षबदू है, वहां साइन बोर्डों के पूरी तरह न होने के कारण भी बाहर से आने-जाने वाले लोग उलझे रहते हैं, जिस कारण बहुतों को पता ही नहीं लगता कि उन्हें किस तरफ जाना है।
नियम बने परन्तु लागू नहीं हुए
शहर के ट्रैफिक को कंट्रोल करने के लिए नियम बने, परन्तु लागू नहीं हुए। पहले वन वे प्लान लागू नहीं हुआ। इसके बाद टो जोन बने, वे लागू नहीं हुए। शहर में कई बाजारों और इलाकों में दिन के समय भारी वाहनों की एंट्री पर पाबंदी के बावजूद वे कानून लागू नहीं हो रहे।
ट्रैफिक पुलिस के मुलाजिम किए गए हैं तैनात : इंस्पैक्टर करनैल सिंह
शाही शहर के अंदर बढ़ती ट्रैफिक समस्या संबंधी जिला ट्रैफिक इंचार्ज इंस्पैक्टर करनैल सिंह ने बताया कि दक्षिणी बाईपास पूरी तरह चालू हो चुका है और ओवरलोड वाहनों को बाहर से निकालने के लिए पुलिस मुलाजिम अलग-अलग चौकों पर तैनात किए गए हैं, जिससे शहर की भीतरी ट्रैफिक व्यवस्था को उथल-पुथल होने से बचाया जा सके। उन्होंने कहा कि शहर अंदर जो थ्री-व्हीलरों कारण ट्रैफिक व्यवस्था उलझती है, से राहत दिलाने के लिए ट्रैफिक पुलिस ने एक अलग मास्टर प्लान तैयार करके विभाग के उच्चाधिकारियों तक पहुंचा दिया है, जिस पर जल्द ही अमल होने का आसार हैं। ताकि शहर अंदर लगते ट्रैफिक जामों से राहत मिल सके और आम लोगों को अपना कीमती समय खराब न करना पड़े। ट्रैफिक इंचार्ज ने कहा कि ट्रैफिक समस्या संबंधी होती अलग-अलग मीटिंगों दौरान उच्च प्रशासनिक अधिकारियों को बता चुके हैं, जिसका जल्द ही हल निकालने की कोशिशें जारी हैं।