Edited By Punjab Kesari,Updated: 09 Jan, 2018 11:45 AM
बुढ़ापे के सहारे की उम्मीद में उम्र भर परिवार को बगिया की तरह सजाने-संवारने वाले बागबां को पंजाब में अपने ही घर में ठिकाना नहीं मिल रहा है। यही नहीं बुढ़ापे में उनकी देखरेख को लेकर राज्य सरकार की तरफ से भी कोई ठोस कदम नहीं उठाए जा रहे हैं।
नई दिल्ली(विशेष) : बुढ़ापे के सहारे की उम्मीद में उम्र भर परिवार को बगिया की तरह सजाने-संवारने वाले बागबां को पंजाब में अपने ही घर में ठिकाना नहीं मिल रहा है। यही नहीं बुढ़ापे में उनकी देखरेख को लेकर राज्य सरकार की तरफ से भी कोई ठोस कदम नहीं उठाए जा रहे हैं।
देश के आठ राज्यों में कराए गए सर्वे में यह हकीकत सामने आई है। बेसहारा बुजुर्गों की देखरेख करने वाली संस्था हैल्प एज इंडिया ने हाल ही में देश के आठ राज्यों पंजाब, हरियाणा, केरल, तमिलनाडु आदि में एक अध्ययन करवाया है। इसमें सीनियर सिटीजन एक्ट 2007 के प्रावधानों के तहत बुजुर्गों की देखरेख को लेकर अध्ययन किया गया।
संस्था ने सोमवार को इसके आंकड़े जारी किए हैं, इसके मुताबिक बुजुर्गों की देखभाल नहीं करने के मामले पंजाब में सबसे ज्यादा पाए गए हैं। सरकार भी इनकी शिकायतों को गंभीरता से नहीं ले रही है। संस्था के सी.ई.ओ. मैथ्यू चेरियन के मुताबिक लुधियाना और अमृतसर में बुजुर्गों ने सबसे ज्यादा केस दर्ज कराए हैं।
पंजाब का रिकार्ड सबसे खराब
संस्था के पंजाब, हरियाणा और जम्मू-कश्मीर के प्रमुख भवनेश्वर शर्मा कहते हैं कि बुजुर्गों की सहायता के मामले में पंजाब का रिकार्ड सबसे खराब है। देश के अन्य राज्यों की तुलना में यहां बुजुर्गों को सबसे कम पैंशन दी जाती है। उन्होंने बताया कि हाल ही में रिवाइज्ड किए जाने के बाद यहां बुजुर्गों को 750 रुपए प्रति माह पैंशन मिलती है, जबकि हिमाचल और हरियाणा क्रमश: 1200 व 1600 रुपए पैंशन देते हैं।