बारिश से भारी मात्रा में भीगी धान की बोरियां

Edited By Punjab Kesari,Updated: 17 Nov, 2017 08:00 AM

rains of heavy paddy sacks from the rain

कल से शहर में भारी बारिश हो रही है। इसके बावजूद भी प्रशासन की ओर से अनाज मंडी में खुले आसमान तले पड़ी धान की बोरियों को ढकने का कोई प्रबंध नहीं किया गया। जिस कारण लाखों ही धान की बोरियां बारिश के पानी से भीग गईं। इन बोरियों को ढकने के लिए न तो अनाज...

बरनाला (विवेक सिंधवानी, गोयल): कल से शहर में भारी बारिश हो रही है। इसके बावजूद भी प्रशासन की ओर से अनाज मंडी में खुले आसमान तले पड़ी धान की बोरियों को ढकने का कोई प्रबंध नहीं किया गया। जिस कारण लाखों ही धान की बोरियां बारिश के पानी से भीग गईं। इन बोरियों को ढकने के लिए न तो अनाज मंडियों में तिरपालों का कोई प्रबंध था व न ही शैडों का। भीगी हुई बोरियां काफी संख्या में फटी हुई भी थीं जिसमें से धान निकलकर बाहर आ रहा था। इतना ही नहीं मंडी में आया हुआ खुला धान भी काफी मात्रा में भीग गया। 

धान की बोरियां भीगने से किसानों में रोष
मार्कीट कमेटी अंतर्गत खरीद केन्द्रों में खुले आसमान के नीचे पड़ा करोड़ों रुपए का धान बारिश में भीग गया। किसान भिन्दर सिंह, सतनाम सिंह,जगदेव सिंह, जगजीत सिंह निवासी ढिल्लवां ने बताया कि खरीद केन्द्रों में धान की बोरियों के अंबार लगे पड़े हैं जिसकी सरकार की हिदायतों अनुसार 72 घंटों के अंदर-अंदर लिफ्टिंग करनी होती है परन्तु आज तक खरीद केन्द्रों में लाखों बोरियां पड़ी हैं जो बारिश में भीग गईं। मार्कीट समिति तपा के सचिव के अनुसार सभी खरीद केन्द्रों में 8579 मीट्रिक टन धान की लिफ्टिंग होनी बाकी है।

भ्रष्टाचार के कारण सिस्टम हुआ गंदा
आढ़तिया एसोसिएशन के अध्यक्ष दर्शन सिंह संघेड़ा ने कहा कि अनाज मंडी में 4 लाख से भी अधिक धान की बोरियां पड़ी हैं। यह धान गत 15 दिनों से अनाज मंडियों में पड़ा है जबकि खरीद एजैंसियों ने 72 घंटे के भीतर बिके हुए माल की लोडिंग करनी होती है। 15 दिनों का धान अनाज मंडियों में एकत्र हुआ पड़ा है जिस कारण बोरियों की संख्या लाखों में पहुंच गई। धान भीगने की जिम्मेदार खरीद एजैंसियां हैं। आढ़ती इसके लिए कसूरवार नहीं हैं। 

भीगा हुआ माल नहीं लगाएंगे अपने शैलरों में 
शैलर एसोसिएशन के अध्यक्ष अजैब सिंह जवंधा ने कहा कि खरीद एजैंसियों द्वारा सूखा माल शैलर में लगवाना होता है। हम किसी भी कीमत पर भीगा हुआ माल अपने शैलरों में नहीं लगाएंगे। सूखा माल शैलरों में लगाने की जिम्मेदारी खरीद एजैंसियों कीहै।

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