Edited By Punjab Kesari,Updated: 28 Dec, 2017 10:28 AM
नगर निगम में पी.एफ. घोटाला की जांच में आज महिला क्लर्क जसप्रीत कौर को दोषी ठहराया गया। कमिश्नर के पास केस की पेशी के बाद आरोपी जसप्रीत फूट-फूट कर रोती हुई बाहर आई। गौर रहे कि उक्त घोटाले को जब से ‘पंजाब केसरी’ द्वारा उजागर किया गया है, तब से निगम...
अमृतसर(रमन): नगर निगम में पी.एफ. घोटाला की जांच में महिला क्लर्क जसप्रीत कौर को दोषी ठहराया गया। कमिश्नर के पास केस की पेशी के बाद आरोपी जसप्रीत फूट-फूट कर रोती हुई बाहर आई। गौर रहे कि उक्त घोटाले को जब से ‘पंजाब केसरी’ द्वारा उजागर किया गया है, तब से निगम में यह चर्चा का विषय बना हुआ है।
इस घोटाले को लेकर निगम कमिश्नर सोनाली गिरि के पास जब यह यूनियन नेता द्वारा शिकायत दी गई थी, तभी से इस मामले की जांच ज्वाइंट कमिश्नर सौरव अरोड़ा, एस.ई. प्रद्युमन सिंह, डी.सी.एफ.ए. मनू शर्मा, अश्विनी भगत, सुपरिंटैंडैंट आशीष कुमार को सौंपी गई थी। इससे उक्त कमेटी सदस्यों द्वारा बारिकी से जांच के बाद रिपोर्ट कमिश्नर को दे दी गई है।
जांच में महिला का रिकार्ड टैम्परिंग किया गया था। निगम खातों में 63 लाख के लगभग घोटाले की रकम जमा हो चुकी है व अधिकारी अभी तक इसके बारे में 65 से 70 लाख तक अंदेशा लगा रहे हैं, लेकिन विश्वसनीय सूत्रों के अनुसार यह रकम 80 लाख से 1 करोड़ रुपए तक भी पहुंच सकती है। इसको लेकर महिला क्लर्क जसप्रीत कौर कमिश्नर के सामने पेश हुई व कहा कि उनसे गलती हुई है और उन्होंने पेमैंट दोबारा से निगम के खाते में जमा करवा दी है।
महिला क्लर्क कमिश्नर सोनाली गिरि के सामने पेश हुई तो एक घंटा तक अंदर अपने बयान देते रही व उनके आगे अपनी गलती का अहसास करते हुए रोती रही। उसने कहा कि इसमें किसी अधिकारी का कोई हाथ नहीं है, यह केवल उनके द्वारा ही किया गया है। निगम कर्मचारियों ने बताया जब उक्त क्लर्क कमिश्नर ऑफिस के अंदर अपनी महिला साथी के साथ गई तो उनका चेहरा काफी मायूस था और जब बाहर निकली तो रोते हुए निकली।
घोटाले के 63 लाख पहुंचे निगम के खाते में
पंजाब केसरी ने पहले ही उजागर कर दिया गया था कि क्लर्क द्वारा उक्त घोटाले की राशि निगम के अकाऊंट में जमा करवाई जा रही है। इसके बारे उसने कमिश्नर के सामने पेशी के दौरान बताया कि उनके द्वारा लगभग 63 लाख रुपए जमा करवा दिए गए हैं। पी.एन.बी के निगम अकाऊंट में सबसे बड़ी रकम 26 लाख रुपए की जमा हुई है जिससे अधिकारी भी हैरान हैं कि एक आम व्यक्ति अगर 50 हजार रुपए जमा करवाने जाता है तो उससे कभी आधार कार्ड तो कभी पैन कार्ड मांगते हैं पर इतनी बड़ी रकम का किसी भी बैंक अधिकारी ने कुछ नहीं नहीं मांगा।
पुलिस कार्रवाई में रिश्तेदारों पर गिरेगी गाज
महिला क्लर्क द्वारा निगम के पी.एफ. घोटाले की राशि रिश्तेदारों के अकाऊंट में भी आई है, जिससे आगामी समय में पुलिस जांच के बाद रिश्तेदारों पर भी गाज गिरेगी कि कैसे उनके अकाऊंट में घोटाले के पैसे आए हैं एवं उनसे भी पूछताछ होगी। निगम द्वारा महिला क्लर्क एवं उनके रिश्तेदारों के अकाऊंट भी चैक करवाने की प्रक्रिया चल रही है।
हर अधिकारियों की नींद उड़ी
निगम में 5 हजार से अधिक कर्मचारी हैं और आए दिन कोई रिटारमैंट व वेतन, जिससे रोजाना अकाऊंट ब्रांच से जुड़े अधिकारी एक-दूसरे पर विश्वास करते हुए हस्ताक्षर कर देते हैं। इसका खामियाजा कुछ अधिकारियों को भुगतना पड़ सकता है, निगम में जब 2015 से यह घोटाला शुरू हुआ है तब से कई अधिकारी सीटों पर आए व गए, अगर एक भी अधिकारी पर कार्रवाई होती है तो ऐसा कभी न होता। कई अधिकारियों पर इसकी गाज गिर सकती है, जो आज के समय निगम की सीटों पर भी नहीं हैं। सभी अधिकारियों की 12 दिनों से नींद हराम हुई पड़ी है। हालांकि महिला क्लर्क द्वारा सीधे तौर पर अपने ऊपर बात ली गई है कि उनके द्वारा अकेले ही यह काम किया गया है।
सिर्फ एक खाते से निकली इतनी घोटाले की रकम और खातों की डिटेल आनी बाकी...
जांच में पाया गया कि महिला क्लर्क द्वारा पी.एन.बी. में वर्ष 2015 में नया खाता खुलवाया गया था। निगम को पहले बैंक द्वारा स्टेटमैंट देने के लिए आनाकानी की गई, जिससे अधिकारियों द्वारा सख्ती से पेश आने के बाद ही महिला क्लर्क के पी.एन.बी एकाऊंट की स्टेटमैंट दी गई व उसके दूसरे खाते एच.डी.एफ.सी. की अभी स्टेटमैंट आनी बाकी है। महिला द्वारा एक रकम अपनी महिला रिश्तेदार के अकाऊंट में भी डाली गई थी, बाद में उसे अपने अकाऊंट में ट्रांसफर किया गया। इससे आगामी समय में और पर्दाफाश हो सकता है एवं घोटाले की रकम और ज्यादा हो सकती है।