Edited By Punjab Kesari,Updated: 12 Dec, 2017 11:23 AM
पंजाब सरकार द्वारा सरकारी स्कूलों में पढने वाले विद्यार्थियों को परोसा जाने वाला खाना पौष्टिक नहीं है। जिला प्रशासन की अनदेखी के कारण विद्यार्थियों को दिया जाने वाला खाना ठंड में ठंडा और अधपका दिया जा रहा है। मिड-डे मील के मैन्यू अनुसार जहां आज तक...
अमृतसर (दलजीत): पंजाब सरकार द्वारा सरकारी स्कूलों में पढने वाले विद्यार्थियों को परोसा जाने वाला खाना पौष्टिक नहीं है। जिला प्रशासन की अनदेखी के कारण विद्यार्थियों को दिया जाने वाला खाना ठंड में ठंडा और अधपका दिया जा रहा है। मिड-डे मील के मैन्यू अनुसार जहां आज तक विद्याॢथयों को खीर नहीं दी गई है, वहीं खाने की क्वालिटी भी सही न होने के कारण ज्यादा बच्चे मिड-डे मील नहीं खा रहे हैं।
जानकारी के अनुसार भारत सरकार द्वारा सरकारी स्कूलों में पढऩे वाले विद्यार्थियों के शारीरिक, मानसिक विकास के लिए पंजाब में मिड-डे मील योजना साल 2005 में शुरू की गई। योजना का मुख्य उद्देश्य विद्यार्थियों को मिड-डे मील के मैनुअल अनुसार पौष्टिक खाना उपलब्ध करवाना था।
पंजाब सरकार ने देहाती क्षेत्रों में मिड-डे मील बनाने की जिम्मेदारी स्कूलों के प्रमुखों को दी, जबकि शहरी क्षेत्र में मिड-डे मील खाना बनाकर स्कूलों तक उपलब्ध करवाने के लिए अलग-अलग एन.जी.ओज से संपर्क किया गया। अमृतसर, पटियाला, बठिंडा, मोगा, संगरूर, मोहाली और नवांशहर के क्षेत्रों के स्कूलों में कई वर्षों से एन.जी.ओ. खाना उपलब्ध करवा रही हैं। अमृतसर की बात करें तो यहां के कई स्कूलों में ठंडा और अधपका खाना खाने से विद्यार्थी गुरेज कर रहे हैं।
सरकार प्रति विद्यार्थी के हिसाब से देती है पैसे
भारत और पंजाब सरकार के सहयोग से शहरी क्षेत्रों में चलने बाली मिल-डे मील योजना के अंतर्गत प्राइमरी के प्रति विद्यार्थी के हिसाब के साथ 6 रुपए 18 पैसे दिए जाते हैं। अमृतसर की बात करें तो अमृतसर के शहर क्षेत्र के 210 स्कूलों के 40 हजार के करीब विद्याॢथयों को एन.जी.ओज खाना उपलब्ध करवा रही हैं।
ठंडा व अधपका खाना खाने से विद्यार्थी काटते हैं कन्नी
अमृतसर शहरी क्षेत्र के स्कूलों में एन.जी.ओज द्वारा ठंड के दौरान सुबह 9 से 10 बजे के बीच विद्याॢथयों के लिए मिड-डे मील स्कूलों में पहुंचा दिया जाता है जबकि विद्यार्थियों को आधी छुट्टी 12.30 बजे होती है। आधी छुट्टी तक खाना ठंडा हो जाता है और स्कूलों के पास भी खाने को गर्म करने के प्रबंध नहीं हैं। विद्यार्थीठंडा खाना खाने से कन्नी काटते हैं।
पौष्टिक न होने से कम मात्रा में लिया जा रहा है खाना
‘पंजाब केसरी’ के साथ कई स्कूलों के अध्यापकों ने इस संबंध में बातचीत की तो उन्होंने बताया कि खाने की क्वालिटी ठीक न होने के कारण विद्यार्थी मिड-डे मील खाना खाने की बजाय अपने घर से खाना लेकर आते हैं। इस कारण उनके स्कूलों में रोजाना कम मात्रा में खाना लिया जा रहा है। कई अध्यापकों ने तो यह भी बताया कि मिड-डे मील के अंतर्गत आने वाली रूमाली रोटियों में मैदे का मिश्रण ज्यादा होता है और आधी कच्ची होती हैं।
अधिकारियों के पास भी पहुंची शिकायत
सरकारी स्कूलों में मिड-डे मील पौष्टिक न होने की शिकायत शिक्षा विभाग के पास भी पहुंची है। विभाग ने इस संबंधी प्रिं. मनदीप कौर, प्रिं. जतिन्द्रपाल संधू, प्रिं. राजेश शर्मा, प्रिं. इकबाल सिंह, प्रिं. मोनिका, प्रिं. मनमीत कौर के नेतृत्व वाली दीम मिड-डे मील तैयार करने वाली रसोई में भेजी। टीम ने उच्च अधिकारियों को भेजी रिपोर्ट में ठंडे खाने, कच्ची रूमाली रोटी आदि की कमी पाई। टीम ने रसोई में इस्तेमाल किए जाने वाले मसाले आदि के सैंपल भी लिए हैं।
मिड-डे मील मैन्यू को किया जा रहा है नजरअंदाज
मिड-डे मील के मैन्यू के अनुसार सप्ताह में विद्यार्थियों को दिया जाने वाले खाने की लिस्ट शिक्षा विभाग ने बाकायदा तैयार की है। मैन्यू अनुसार सोमवार को दाल, कद्दू और रोटी, मंगलवार को खिचड़ी और खीर, बुधवार को काले चने और रोटी, गुरुवार को कढ़ी-चावल, शुक्रवार को मौसमी सब्जी और रोटी, शनिवार को दाल और चावल दिए जाते हैं। कई स्कूलों के अध्यापकों का कहना है कि आज तक उनके स्कूलों में विद्याॢथयों के लिए खीर उपलब्ध करवाई ही नहीं गई है।