Edited By Punjab Kesari,Updated: 02 Nov, 2017 11:49 AM
भले ही समय की सरकारें ग्रामीण क्षेत्र के लोगों को शहरों जैसी सुविधाएं देने की बातें करती हैं परंतु आजादी के 7 दशकों के पश्चात आज भी कई गांवों की स्थिति जैसी थी वैसी ही है व इन गांवों के लोग एसे ही जिंदगी बसर कर रहे हैं।
श्री मुक्तसर साहिब (तनेजा): भले ही समय की सरकारें ग्रामीण क्षेत्र के लोगों को शहरों जैसी सुविधाएं देने की बातें करती हैं परंतु आजादी के 7 दशकों के पश्चात आज भी कई गांवों की स्थिति जैसी थी वैसी ही है व इन गांवों के लोग एसे ही जिंदगी बसर कर रहे हैं। ऐसे में गांवों के लोग पूछते हैं कि भाई कहां हुआ है गांवों का विकास, हमें बताकर जाएं। पंजाब केसरी की टीम आज मंडी लक्खेवाली से मात्र 3 किलोमीटर की दूरी पर बसे गांव गंधड़ में जाकर वहां पर सूरत-ए-हाल जाना। जहां की आबादी 4000 है, जबकि 1600 के करीब वोटर हैं। जमीन का रकबा 2700 एकड़ है।
देश के विभाजन के समय से लेकर अनेक सुविधाओं से वंचित पड़ा व बहुत सी कमियों का शिकार यह गांव पंजाब के वित्त मंत्री मनप्रीत सिंह बादल का सुसराल गांव है। त्रासदी यह है कि भले मनप्रीत सिंह बादल दूसरी बार पंजाब के वित्त मंत्री बन चुके हैं परंतु अपने ससुराल गांव के विकास कार्यों के लिए उन्होंने अभी तक खजाने का मुंह नहीं खोला। पंजाब सरकार को चाहिए कि अनदेखे किए गए इस गांव के विकास की ओर तुरन्त ध्यान दिया जाए ताकि यहां के बाशिंदे सुख सुविधाओं का लाभ उठा सकें।
यातायात की सुविधाओं से वंचित
गांव गंधड़ यातायात की सुविधाओं से वंचित पड़ा है व गत लंबे समय से इस गांव को कोई बस सेवा की सुविधा नहीं थी। जिसके कारण समूचे गांव निवासियों को आने-जाने में भारी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। सुबह 9 बजे बस श्री मुक्तसर साहिब को जाता है, जो शाम को 4 बजे वापस आता है। गांव के समाज सेवक परगट सिंह सरां ने मांग की है कि इस गांव को बसों के और टाइम दिए जाएं।
सरकारी स्वास्थ्य डिस्पैंसरी व पशु अस्पताल नहीं
मानव उपचार के लिए उक्त गांव में कोई सरकारी स्वास्थ्य डिस्पैंसरी नहीं है व लोग गांव से बाहर ही जाकर अपना उपचार करवाने को विवश हैं। इसी तरह गांव में पशुओं के उपचार के लिए भी कोई सरकारी पशु अस्पताल नहीं है। जिस कारण बीमार हुए पशुओं का समय पर उपचार न होने के कारण कई बार भारी नुक्सान भी हो जाता है।
बंद पड़ा है आर.ओ. सिस्टम
जिला प्रशासन द्वारा लोगों को एक ओर साफ व स्वच्छ पानी पीने के लिए कहा जाता है। दूसरी ओर गांव गंधड़ का आर.ओ. सिस्टम बंद पड़ा है व गांव में धरती निचला पानी भी पीने लायक नहीं है, जिस कारण खराब पानी पीने से लोग कई बीमारियों का शिकार हो रहे हैं। कम्युनिटी सैंटर की इमारत का रुका पड़ा है कार्य:गांव में छप्पड़ के पास कम्युनिटी सैंटर बनाने का कार्य शुरू किया गया था व इस पर 15 लाख रुपए का खर्चा आने का अनुमान था परंतु इस सैंटर का कार्य अधर में ही रुक गया व अधूरा पड़ा है। गांव के सरपंच गुरविंद्र सिंह ने बताया कि सिर्फ 5 लाख 75 हजार रुपए ग्रांट ही भेजी गई थी जबकि इसके पश्चात कोई पैसा नहीं आया, जिस कारण कार्य दोबारा शुरू नहीं हो सका।
जलघर की पाइपें नहीं डाली गई नई:भले ही गांव के लोगों ने जलघर की नई पाइप लाइन डलवाने के लिए करीब डेढ़ वर्ष पहले 2 लाख रुपए एकत्रित करके सरकार के पास जमा करवाए थे परंतु फिर भी अभी तक नई पाइपें नहीं डाली गई। जिस कारण समूचे गांव में पहले डाली गई पाइपों से पानी नहीं पहुंच रहा व लोग परेशान हो रहे हैं। ये हैं गांव में कमियां:गांव का जो बस स्टैंड है, उसकी हालत बद से बदतर बनी हुई है।
गांव की कुछ गलियां अभी भी कच्ची पड़ी हैं जिन्हें पक्का करने की जरूरत है। किसानों की फसलें बेचने के लिए अनाज मंडी भी नहीं है। गांव में डाक घर भी नहीं है। जो धर्मशालाएं है, उनकी इमारतें कंडम हो चुकी हैं। फसलों के लिए नहरी पानी की कमी खल रही है। गांव में सिर्फ 8वीं कक्षा तक ही सरकारी स्कूल चल रहा है व इससे अगली कक्षाओं में पढऩे के लिए बच्चों को अन्यों गांवों में जाना पड़ता है जिस कारण कई बच्चे पढ़ाई से वंचित रह जाते हैं।