Edited By Punjab Kesari,Updated: 19 Feb, 2018 12:00 PM
फगवाड़ा के होशियारपुर रोड चौक स्थित अन्य कई चौकों जिन्हें फगवाड़ा के लोग लंबे समय से अब ‘खूनी चौक’ के नाम से पुकारने को मजबूर हो चुके हैं, को लेकर लोकल प्रशासन का रवैया अनेक वर्षों से जस का तस उपेक्षित ही बना हुआ है। इसके कारण उक्त चौकों पर रोजाना...
फगवाड़ा (जलोटा): फगवाड़ा के होशियारपुर रोड चौक स्थित अन्य कई चौकों जिन्हें फगवाड़ा के लोग लंबे समय से अब ‘खूनी चौक’ के नाम से पुकारने को मजबूर हो चुके हैं, को लेकर लोकल प्रशासन का रवैया अनेक वर्षों से जस का तस उपेक्षित ही बना हुआ है। इसके कारण उक्त चौकों पर रोजाना सैंकड़ों लोगों के सिरों पर मौत मंडरा रही है लेकिन शायद बने हुए गंभीर हालात की हकीकत न तो सरकारी तौर पर पुलिस को दिखाई पड़ रही है एवं न ही शीर्ष सरकारी तंत्र को। हालात की कड़वी सच्चाई यह है कि कई चौकों पर तो पूर्व में घटे सड़क हादसों में अनेक लोगों की दुर्घटनाओं में मौत तक हो चुकी है, जबकि असंख्या लोग घायल हो चुके हैं। यह आंकड़े निरंतर बढ़ते ही चले जा रहे हैं लेकिन जनता की इस जन समस्या का समाधान करने के प्रति सरकारी रवैया उदासीन व उपेक्षित ही बना हुआ है?
बेकाबू ट्रैफिक सरकारी रैस्ट हाऊस चौक की पहचान
शहर की पॉश कालोनियों गुरु हरगोबिन्द नगर, मॉडल टाऊन, न्यू मॉडल टाऊन आदि कई अन्य कालोनियों हेतु मुख्य चौराहे के तौर पर जाने जाते सरकारी रैस्ट हाऊस चौक पर तो आलम यह है कि उक्त चौक पर ट्रैफिक मैनेजमैंट भगवान भरोसे ही चल रही है। इस चौक से वाहन लेकर गुजरने का सीधा अर्थ दुर्घटना को दावत देने के तुल्य है। बेकाबू ट्रैफिक इस चौक की पहचान बन चुका है। कुछ ऐसा ही हाल शहर के मुख्य बस स्टैंड इलाके का है जहां पर फगवाड़ा ट्रैफिक पुलिस का आधिकारिक कार्यालय मात्र कुछ दूरी पर है।
उक्त चौकों में से सबसे अधिक संवेदनशील बना हुआ है। शहर का अति व्यस्त होशियापुर रोड चौक। वर्णनयोग्य है कि फगवाड़ा के उक्त चौक पर अब तक एक नहीं अपितु अनेक बड़े हादसों जिनमें कई लोगों की मौत व कई अन्य जख्मी हो चुके हैं, का सबब बन चुका है। प्रकरण को लेकर ‘पंजाब केसरी’ निरन्तर जनहित में उक्त मुद्दा समय-समय पर उठा अपनी जिम्मेदारी का पालन कर रही है लेकिन लगता है कि शायद यहां के सरकारी अमले को उस भयानक क्षण की प्रतिक्षा है, जब उक्त चौक पर बहुत बड़ी त्रासदी घटे क्योंकि मामले को लेकर सरकारी अमले की साधी गई चुप्पी आम जनता की समझ से बाहर है। हालात की हकीकत यह है कि उक्त चौक पर वर्तमान में सब कुछ राम भरोसे ही दिन भर चलता है।
रोजाना सैंकड़ों की संख्या में गुजरती कालेज व स्कूली छात्राएं
चारों तरफ से खूनी चौक को घेरे रहते भारी ट्रैफिक के कारण यह अंदेशा सदैव बना रहता कि यहां पर भयानक हादसा किसी भी क्षण घट सकता है। यह चौक वह चौक है जहां से रोजाना सैंकड़ों की संख्या में कालेज व स्कूली छात्राएं गुजरती हैं। एक दिशा से पुल ढलाई पर है और इसके साथ शहर का घनी आबादी वाला निममां वाला चौक का इलाका लगता है। यह वह क्षेत्र है जहां से रुटीन में मां भगवती के हजारों भक्तजन माता श्री चिन्तपूर्णी शक्ति पीठ, श्री ज्वाला जी शक्ति पीठ, श्री कांगड़ा जी शक्ति पीठ सहित अन्य तीर्थ धामों की ओर फगवाड़ा-होशियारपुर रोड का प्रयोग कर जाते हैं, लेकिन उक्त तमाम तथ्यों को भली-भांति जानते हुए भी सरकारी तौर पर यहां कि ट्रैफिक पुलिस ने यह जरूरी ही नहीं समझा है कि यहां पर दिन से लेकर रात तक बने रहते खतरनाक हालात के कारण ट्रैफिक पुलिस कर्मचारी की पक्की तौर पर तैनाती की जाए जिससे बेलगाम होते रहते यातायात को ठीक तरीके से संचालित किया जा सके।
कम से कम इस इलाके में ट्रैफिक लाइट्स ही लगा दी जाएं
न ही यह पहल हो सकी है कि कम से कम इस इलाके में ट्रैफिक लाइट्स ही लगा दी जाएं जिससे कुछ हद तक ट्रैफिक की समस्या का समाधान हो जाए। आज तक यह पहल भी नहीं हो पाई है कि उक्त सड़क के साथ लगती सॢवस सड़क जहां पर नगर निगम के लापरवाह रवैए के कारण सरकारी सड़क पर लोगों ने खुलेआम अवैध कब्जे कर रखे हैं, को कब्जा मुक्त करवाया जा सके और तो और यहां के लोकल प्रशासन जिसका काम आज तक केवल यही रहा है कि जब कोई समस्या हो बस वातानकुलित कमरे में चंद सरकारी अफसरों को बुलाकर सरकारी खानापूर्ति को पूरा कर औपचारिकता निभाकर एक बैठक कर ली जाए, ने मामले को लेकर एक बैठक तक नहीं की है।
ऐसे में यह कहना गलत नहीं होगा कि फगवाड़ा के उक्त चौक जहां रुटीन में भयानक सड़क हादसेे घटते हैं व जारी खौफनाक घटनाक्रम को लेकर आज तक कई लोगों की सड़क हादसों में मौत हो चुकी है, पर बने हुए विकट हालात व बेकाबू होते ट्रैफिक का हाल देख यह लिखना गलत न होगा कि यहां पर कभी भी अनर्थ हो सकता है।