Edited By Punjab Kesari,Updated: 22 Jan, 2018 08:17 AM
बेशक आधुनिक युग में मनोरंजन के प्राचीन साधन लुप्त होते जा रहे हैं और लोगों का आकर्षण इन पर से हटता जा रहा है परन्तु आज भी मनोरंजन के कुछ प्राचीन साधन ऐसे हैं जिनके प्रति लोगों का उत्साह कभी कम नहीं होता है। ऐसा ही एक मनोरंजक साधन है, पतंग।
सुल्तानपुर लोधी(धीर): बेशक आधुनिक युग में मनोरंजन के प्राचीन साधन लुप्त होते जा रहे हैं और लोगों का आकर्षण इन पर से हटता जा रहा है परन्तु आज भी मनोरंजन के कुछ प्राचीन साधन ऐसे हैं जिनके प्रति लोगों का उत्साह कभी कम नहीं होता है। ऐसा ही एक मनोरंजक साधन है, पतंग।
देश में ही नहीं विदेशों में भी पतंगबाजी के नजारे देखने को मिलते हैं और जहां तक भारत की बात है अलग-अलग स्थानों पर अलग-अलग समय पर लोग पतंगबाजी का आनंद उठाते हैं। जहां कई जगहों पर 26 जनवरी और 15 अगस्त पर पतंगबाजी की जाती है और वहीं कई जगह पर लोहड़ी व बसंत पंचमी पर पतंगबाजी का आनंद उठाया जाता है। बसंत पंचमी के अवसर पर नौजवानों में पतंगबाजी का बेहद उत्साह देखने को मिल रहा है। छोटे-छोटे बच्चे भी पतंगों की खूब खरीदारी कर रहे हैं। छोटे बच्चों और नौजवानों की पतंगों की दुकानों पर भीड़ देखने योग्य है।
समय के साथ हालात में तबदीली
एक समय था जब युवा लोग कई दिन पहले ही पतंगें उड़ाने के लिए डोर पर मांझा लगवा कर तैयारियों में जुट जाते थे पर आज उसकी जगह बाजारी डोर ने ले ली है। दुकानदारों का कहना है कि पतंगबाजी की खास बात यह है कि आधुनिकता और महंगाई की दौड़ में यह मनोरंजन के और साधनों से अभी भी सस्ती है। आज भी बाजार में 5 रुपए से लेकर 100 रुपए तक क ी पतंग और 50 रुपए से लेकर 1000 रुपए की डोर उपलब्ध है।
अलग-अलग तरह की पतंगें
बाजारों में अलग-अलग तरह के डिजाइनों वाली फिल्मी हीरो-हीरोइनें, प्रधानमंत्री मोदी की तस्वीर वाली, कार्टून पात्रों की पतंगें उपलब्ध हैं, जो बच्चों में लोकप्रिय है। डोर में पाडा और आर.के. की डीमांड है। बरेली (यू.पी.) की ‘बारां तीर’ डोर की भी मांग की जा रही है।