Pics: कैप्टन से बाजवा,बाजवा से कैप्टन कैसे घूमी पंजाब की सियासत,पढे़ं पूरी खबर

Edited By Updated: 27 Nov, 2015 12:49 PM

how rolled punjab politics

प्रताप सिंह बाजवा को पंजाब कांग्रस का प्रधान बने लगभग 2 साल होने को हैं

चंडीगढ़ः प्रताप सिंह बाजवा को पंजाब कांग्रस का प्रधान बने लगभग 2 साल होने को हैं लेकिन अाज तक वे कैप्टन अमरेंद्र सिंह के सामने अपनी पैंठ नहीं बना पाए शायद इसलिए पार्टी हाईकमान को ये एहसास हुअा कि पंजाबियों का दिल कैप्टन अमरेंद्र सिंह ही जीत सकते हैं ।

राहुल ने हर बार बाजवा का साथ दिया लेकिन समय को भांपते हुए  बाजवा को हटाने का मन बना ही लिया। पंजाब में फेरबदल की अटकलें काफी समय से चल रही थीं। पार्टी प्रधान सोनिया गांधी और उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने कैप्टन अमरेंद्र सिंह और प्रताप बाजवा के साथ कई बैठकें भी की थीं। राहुल ने विधायकों और जिला प्रधानों से भी फीडबैक लिया था। ज्यादातर लोगों का यही कहना था कि सूबे का माहौल अकाली दल के खिलाफ है। इस समय कैप्टन  को प्रदेश कांग्रेस की कमान सौंपी जाए तो पार्टी सत्ता में वापसी कर सकती है। 

कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी पिछले दिनों पंजाब दौरे के समय ही कैप्टन  को प्रधानगी सौंपने के संकेत दे गए थे। पदयात्रा के दौरान जब भी कैप्टन पीछे रह जाते, राहुल रुक कर उनका इंतजार करते थे। बैठकों के दौरान राहुल के सामने लोगों ने कहा कि कैप्टन को प्रधानगी दी जानी चाहिए। फिर बंद कमरे में चुनिंदा नेताओं के साथ मीटिंग में राहुल ने साफ ही कह दिया था। उन्होंने बाजवा से कहा था कि कैप्टन पुरानी बातें छोड़ चुके हैं, वह भी छोड़ दें।

2013 के अंत में पंजाब कांग्रेस प्रधान बने प्रताप बाजवा का  कार्यकाल विवादों से भरा रहा। प्रधानगी मिलने के बाद जैसे ही बाजवा ने 2013 में अपनी कार्यकारिणी घोषित की, हर तरफ विरोध शुरू हो गया। बड़ी संख्या में लोगों ने इस्तीफे दे दिए। और तो और, कैप्टन गुट के लोगों को अपने साथ लाने के चक्कर में बाजवा ने अपने लोगों को भी नाराज कर दिया। लोकसभा चुनाव में बाजवा ने ट्रंप कार्ड खेलते हुए कैप्टन को अमृतसर से प्रत्याशी बना दिया, पर यह उल्टा पड़ गया। बाजवा खुद हार गए और कैप्टन ने बड़े अंतर से अरुण जेटली जैसे राष्ट्रीय नेता को हरा दिया।

बाजवा की यही गलती उनपर भारी पड़ गई। उसके बाद तो कैप्टन धड़े ने उनके खिलाफ मोर्चा खोल दिया। ज्यादातर विधायक कैप्टन के साथ थे, बाजवा के सिर्फ चार-पांच विधायक ही थे। कैप्टन गुट ने कई बार दिल्ली जाकर बाजवा को हटाने की मांग की  लेकिन शकील अहमद और सह प्रभारी हरीश चौधरी बाजवा की ढाल बनते रहे। 

सीएलपी लीडर के  दलित नेता को पहल

वहीं, सूत्र बताते हैं कि सीएलपी लीडर के लिए पार्टी किसी दलित नेता को आगे करना चाहती है। इस दौड़ में फिलहाल तीन नाम सबसे आगे हैं। जिनमें सीनियर कांग्रेसी नेता लाल सिंह, डॉ. राजकुमार वेरका और युवा विधायक चरनजीत सिंह चन्नी। 

 

 

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