Edited By Punjab Kesari,Updated: 10 Feb, 2018 01:08 PM
2 दिन पहले गुरदासपुर के संगलपुरा रोड पर स्थित फैक्टरी में छापेमारी के दौरान बरामद हुई सिंथैटिक पनीर की भारी खेप से जनता स्तब्ध है।
पठानकोट/बमियाल(शारदा, राकेश): 2 दिन पहले गुरदासपुर के संगलपुरा रोड पर स्थित फैक्टरी में छापेमारी के दौरान बरामद हुई सिंथैटिक पनीर की भारी खेप से जनता स्तब्ध है। उस पर भी तुर्रा यह है कि संबंधित फैक्टरी के मालिक ने हैरान करने वाला खुलासा किया है कि वह प्रतिदिन 12 क्विंटल सिंथैटिक पनीर बनाता व इसकी सप्लाई पंजाब के साथ पड़ोसी प्रांतों में भी की जाती थी। इस रहस्योद्घाटन से पनीर जैसी खाद्य सामग्री जो कि डेली नीड में आता है, के सेवन से मानवीय स्वास्थ्य पर पडऩे वाले दुष्प्रभावों को लेकर जनता खौफजदा हो गई है।
वहीं शादी-समारोहों में पनीर की अक्सर डिमांड व भारी खपत रहती है, ऐसे में इससे तैयार लजीज व्यंजन मानवीय अंगों को कितना आघात पहुंचाते होंगे, इसको लेकर जनता में ऊहापोह की स्थिति में विशेषज्ञ विश्लेषण करने में जुटे हैं क्योंकि सामान्य पनीर की जगह सिंथैटिक पनीर बनाने में घातक रसायनों व सामग्री का प्रयोग किया जाता है। हालांकि इसकी लागत कम होती है परन्तु तैयार करने व बेचने वाला अ४छा मुनाफा कमाता है क्योंकि आम लोगों को इसकी गुणवत्ता व पहचान संबंधी आसानी से पता नहीं चलता। इससे 90 प्रतिशत रूप से आंखें बंद करके आसानी से मार्कीट व लोगों में खपत हो जाती है।
सिंथैटिक पनीर की फैक्टरी का मामला प्रकाश में आने के बाद अब राज्य के हर व्यक्ति की नजर अपने घर में उपलब्ध दूध-दही और पनीर पर टिकी है कि कहीं यह नकली या मिलावटी तो नहीं? कहीं यह कैमिकल से तैयार तो नहीं किया गया? क्योंकि पंजाब में अभी बहुत सारी ऐसी फैक्टरियां चल रही हैं जोकि सिंथैटिक पनीर तथा सिंथैटिक दूध बनाती हैं जिनकी अभी तक सेहत विभाग तथा पुलिस प्रशासन को सूचना तक नहीं मिली होगी। इन परिस्थितियों में जनता को स्वास्थ्य के मामले में सावधान होकर जागरूक होना होगा कि कहीं उनके घर में उपलब्ध दूध, दही, पनीर आदि सिंथैटिक तो नहीं?
जिला गुरदासपुर में सिंथैटिक पनीर के पकड़े जाने के बाद पंजाब भर में दूध को लेकर अनेकों आशंकाएं जताई जा रही हैं। ऐसे में मौजूदा समय में संतुलित आहार का उत्पाद माने जाने वाले दूध की शुद्धता को लेकर कई सवाल खड़े हो गए हैं। कालांतर में जो दूध मानवीय शरीर को ताकतवर बनाता था, वही आज शरीर में अनेक प्रकार की बीमारियों की जड़ें पैदा कर रहा है, क्योंकि दूध बेचने के गोरखधंधे में जुटे लोग मात्र चंद रुपयों के लिए इसमें पानी व घटक पदार्थ टॉक्सिक सब्सटांस डाल देते हैं जिससे वह उत्तम दूध बन जाता है।
वहीं विशेषज्ञ इस बात को लेकर भी ङ्क्षचतित हैं कि इतना दूध ही जिले में नहीं है जितने दूध के उत्पाद आदि बनाए जा रहे हैं। ऐसे में स्पष्ट है कि कहीं न कहीं फल-फूल रहे इस गोरखधंधे में झोल तो अवश्य है। यानि जनता के लिए जिंदगी या खुली मौत है। अगर दूध के बाद सिंथैटिक पनीर यानी कि नकली पनीर बनाने की की जाए तो नकली पनीर का धंधा करने वाले लोग 150 रुपए में 5 किलोग्राम तक पनीर तैयार कर लेते हैं। जानकारी के अनुसार थोड़े से दूध में सोडियम बाइकार्बोनेट डाल कर उसके घोल में वैजीटेबल ऑयल मिलाया जाता है तथा फिर उसे बेकिंग पाऊडर से ‘फाड़कर’ कंटेनर में जमा दिया जाता है जो कि कुछ घंटे बाद पनीर के रूप में तैयार हो जाता है। नकली पनीर सब्जी में या फिर चाइनीस फूड में पकने के बाद नकली होने का अंदाजा बिल्कुल नहीं लगाया जा सकता।
क्या कहना है सेहत विभाग का
वहीं इस विषय पर मैडीकल ऑफिसर डॉ. दिनेश लाल का कहना है कि दूध में मिलाए जाने वाले हानिकारक पदार्थों से सेहत पर बुरा प्रभाव पड़ता है तथा नियमित सेवन से मानवीय शरीर की पाचन शक्ति डैमेज हो सकती है।
क्या कहते हैं फूड सेफ्टी सहायक कमिश्रर
वहीं इस संबंध में फूड सेफ्टी सहायक कमिश्रर राजेन्द्र पाल सिंह ने बताया कि मामला उजागर होने पर विभाग पहले से अधिक मुस्तैद व सतर्क हो गया है। आज विभागीय अमले ने उक्त फैक्टरी मालिक के स्थानीय व्यापारिक प्रतिष्ठान पर छापेमारी करके दूध व पनीर के सैंपल एकत्रित किए हैं। वहीं प्रताप नगर में भी स्वीट हाऊस पर दूध व दही के सैंपल लिए गए हैं, जिन्हें जांच हेतु खरड़ स्थित लैबोरेटरी में भेजा जाएगा। इसके बाद जो रिपोर्ट आएगी उसके आधार पर संबंधित सैंपल वाले दुकानदार के विरुद्ध बनती कार्रवाई फूड एक्ट के नियमों अनुसार की जाएगी। वहीं मिलाटखोरी करने वाले आरोपी के विरुद्ध सजा के प्रावधान संबंधी खुलासा करते हुए उन्होंने बताया कि प्रथम दृष्टता जुर्माना वसूला जाता है। इसके इतर अगर मामला और गंभीर हो तो कानूनानुसार सजा का भी प्रावधान है। उनके अनुसार विभाग औस्तन महीने में 6-8 दुकानदारों के चालान काटता है।
क्या कहते हैं जिला सेहत अधिकारी
वहीं डी.एच.ओ. डा. तरसेम सिंह ने बताया कि विभाग द्वारा मिलावटखोरी के विरुद्ध मुहिम तेज की गई है तथा विभिन्न व्यापारिक प्रतिष्ठानों व दुकानों पर छापेमारी करके सैंपल एकत्रित किए जा रहे हैं। इसके बाद रिपोर्ट आने के बाद अपेक्षित कार्रवाई भी संबंधित पक्ष पर नियमों अनुसार की जाएगी। उन्होंने कहा कि खाद्य पदार्थों में मिलावटखोरी ङ्क्षचता का विषय है तथा दूध उत्पादों में मिलावटखोरी करने की संभावना अधिक रहती है। ऐसे में जनता को भी इन उत्पादों के सेवन के समय एहतियात बरतनी चाहिए तथा खरीदते समय संतुष्ट होने के बाद ही जांच-परखकर दूध उत्पाद दहीं व पनीर आदि खरीदने व खाने चाहिएं।