Edited By Punjab Kesari,Updated: 04 Jan, 2018 12:13 PM
नववर्ष की शुरूआत के मौके पर कैप्टन सरकार ने पंजाब के किसानों को कर्जा माफी की राहत देने के लिए संबंधित विभाग की ओर से सूचियां जारी करने के उपरांत मालवा के किसानों का कड़ाके की सर्दी में गुस्सा खौलने लगा है, क्योंकि लिस्टें जारी होने के उपरांत छोटे...
जीरा/फिरोजपुर(अकालियांवाला): नववर्ष की शुरूआत के मौके पर कैप्टन सरकार ने पंजाब के किसानों को कर्जा माफी की राहत देने के लिए संबंधित विभाग की ओर से सूचियां जारी करने के उपरांत मालवा के किसानों का कड़ाके की सर्दी में गुस्सा खौलने लगा है, क्योंकि लिस्टें जारी होने के उपरांत छोटे किसानों को कर्जा माफी की सहूलियत उनके लिए एक पहेली बन गई है। सरकार की ओर से जारी नोटीफिकेशन के मुताबिक अढ़ाई एकड़ की मालिकी वाले किसानों को भी लाभ मिलता नजर नहीं आ रहा। जिस कारण किसान शीत लहर में सरकारी दफ्तरों में इधर-उधर भटकने के लिए मजबूर हो रहे हैं। सरकार की ओर से जारी नोटीफिकेशन के मुताबिक अढ़ाई एकड़ की मालिकी वाले किसानों का कुल कर्जे में से 2 लाख रुपए तक कर्जा माफ किया जाना था, जबकि इससे ऊपर 5 एकड़ की मालिकी वाले किसानों का 2 लाख से कम कर्जा होने की शर्त पर माफ होना था, लेकिन 7 जनवरी को मालवा के कुछ जिलों के किसानों का मानसा में होने जा रहे समागम में कैप्टन अमरेन्द्र सिंह द्वारा कर्जा माफी के पत्र बांटे जाने हैं तथा सहकारिता तथा राजस्व विभाग के अधिकारियों की ओर से जल्दबाजी में जो सूचियां जारी की गई हैं, वे नोटीफिकेशन मुताबिक जारी नहीं की गईं।
सहकारिता विभाग द्वारा भेजी गई सूचियों मुताबिक नहीं आए किसान के नाम
7 जनवरी को मानसा में हो रहे राज्य स्तरीय समागम में मानसा, मुक्तसर, फरीदकोट, भटिंडा तथा मोगा जिले के किसान शामिल हो रहे हैं। इस समागम में संबंधित जिलों के किसानों की शमूलियत करवाने तथा उनकी सूचियां बनाने के लिए दिसम्बर 2017 के आखिर में पूरा सरकारी स्टाफ ड्यूटी से अधिक समय तक इस कार्य को मुकम्मल करने के लिए जुटा रहा। किसान पूरे आशावाद थे कि अढ़ाई एकड़ तक की मालिकी वाले किसानों के नाम इस सूची में दर्ज होंगे, लेकिन जब गांवों के सरपंचों को ये सूचियां प्राप्त हुईं तो किसान इन सूचियों को देखकर उदास होकर घरों को लौट गए। प्राप्त जानकारी के मुताबिक मालवा के गांव में 2 भाइयों पर कर्जा तथा जमीन बराबर-बराबर थी। उनमें से एक का कर्ज माफ कर दिया गया। यदि देखा जाए तो 100 किसानों के पीछे सिर्फ 10 से 15 के करीब ही किसान कर्जा माफी की सूची में आए हैं।
कर्मचारी भी हैरान हैं
इस सूची को देखकर सहिकारिता विभाग के कर्मचारी भी हैरान हैं, क्योंकि जिस कर्जे की माफी के लिए उन द्वारा सिफारिश की गई थी, उसके मुताबिक लिस्टें नहीं जारी हुईं, जिस कारण किसान सहकारी सभाओं के सचिवों के पास ऐतराज के लिए पहुंचते रहे। इन द्वारा किसानों को एक प्रोफार्मा देकर संबंधित एस.डी.एम. के पास एतराज के लिए भेजा गया ताकि किसान इस सूची में अपना नाम दर्ज करवा सकें।