Edited By Updated: 29 Mar, 2017 09:39 AM
पंजाब विधानसभा सत्र दौरान अाज लाल सिंह को पंजाब मंडी बोर्ड के चेयरमैन नियुक्त किया गया।
चंडीगढ़/पटियाला (भुल्लर/राजेश) : पंजाब कांग्रेस के ‘ब्रेन’ के तौर पर जाने जाते और राजनीति के भीष्म पितामह व पीएच.डी. होल्डर रहे लाल सिंह को पंजाब मंडी बोर्ड का चेयरमैन नियुक्त किया गया है। उन्हें कैबिनेट रैंक भी दिया गया है। लाल सिंह मुख्यमंत्री कै. अमरेन्द्र सिंह के अति नजदीकी और भरोसेमंद साथी हैं। वर्ष 2002 से 2007 वाली कैप्टन सरकार में लाल सिंह वित्त और योजना, सहकारिता, ग्रामीण विकास व पंचायत विभाग, फूड एंड सिविल सप्लाई विभाग के मंत्री रह चुके हैं।
2017 के विधानसभा चुनाव के समय एक परिवार एक टिकट के फार्मूले के तहत उन्होंने चुनाव नहीं लड़ा था और उनके पुत्र रजिंद्र सिंह को हलका समाना से टिकट मिला था और उन्होंने पंजाब के कैबिनेट मंत्री रहे सुरजीत सिंह रखड़ा को करारी हार दी। लाल सिंह 1977 से लेकर 2012 तक हर चुनाव लड़ते रहे। इस दौरान उन्होंने 8 चुनाव लड़े और 6 बार जीते। लाल सिंह की सबसे बड़ी खासियत यह रही कि वह पंजाब के एकमात्र ऐसे नेता हैं, जिन्होंने एक ही क्षेत्र से 40 साल चुनाव लड़ा। लाल सिंह हमेशा कैप्टन के संकटमोचक बन कर रहे।
सूत्रों के अनुसार 2017 के विधानसभा चुनावों से पहले ही कै. अमरेंद्र सिंह ने लाल सिंह को कैबिनट रैंक में पंजाब मंडी बोर्ड का चेयरमैन बनाने का वादा किया था और अपने किए वायदे अनुसार कैप्टन ने अपने साथी लाल सिंह के तजुर्बे का लाभ लेने के लिए उन्हें कैबिनट रैंक में मंडी बोर्ड की चेयरमैनी दी। लाल सिंह जब फूड एंड सिविल सप्लाई मंत्री थे तो उनके कार्यकाल समय कभी भी किसानों को मंडियों में परेशान नहीं होना पड़ा जबकि 10 वर्ष तक अकाली-भाजपा के राज में गेहूं और धान की हर फसल को लेकर किसानों को मंडियों में परेशान होना पड़ा और 3-4 महीने किसानों को भुगतान नहीं हुआ।
इस बार विधानसभा चुनावों में किसानों ने कै. अमरेंद्र सिंह के हक में वोटिंग की क्योंकि कैप्टन के 2002 से 2007 तक के राज में किसानों को कभी भी अपनी फसल बेचने में मुश्किलों का सामना नहीं करना पड़ा।
पंजाब एक खेतीबाड़ी प्रधान प्रदेश है, जिस कारण फसलों की खरीद सबसे बड़ा मुद्दा है। यही कारण है कि कै. अमरेंद्र सिंह ने प्रदेश की सबसे अहम जिम्मेदारी अपने सबसे नजदीकी और भरोसेमंद साथी लाल सिंह को दी है ताकि 1 अप्रैल से शुरु हो रहे गेहूं के सीजन के दौरान किसानों को कोई समस्या न आए। 2009 के लोकसभा चुनावों के समय कै. अमरेन्द्र सिंह ने ही उन्हें पंजाब कांग्रेस का प्रधान बनवाया था।
पंजाब एक खेतीबाड़ी प्रधान प्रदेश है, जिस कारण फसलों की खरीद सबसे बड़ा मुद्दा है। यही कारण है कि कै. अमरेन्द्र सिंह ने प्रदेश की सबसे अहम जिम्मेदारी लाल सिंह को दी है।
कब-कब विधायक रहे लाल सिंह
1977-1980
1980-1985
1992-1997
2002-2007
2007-2012
2012-2017
किन-किन विभागों के मंत्री रहे लाल सिंह
लाल सिंह 9 साल कांग्रेस की अलग-अलग सरकारों में कैबिनेट मंत्री रहे। 1992-97 तक अमर शहीद बेअंत सिंह की सरकार और उसके बाद हरचरण सिंह बराड़ व बीबी भ_ल की सरकार, 2002 से 2007 तक कै. अमरेन्द्र सिंह की सरकार में वह मंत्री रहे जबकि इससे पहले 1982 से 1985 तक वह पनसप के चेयरमैन रहे। इसके साथ ही वित्त, प्लाङ्क्षनग, फूड एंड सिविल सप्लाई, हैल्थ एंड फैमिली वैल्फेयर, मैडीकल एजुकेशन एंड रिसर्च, सहकारिता, सिंचाई, बिजली, ग्रामीण विकास व पंचायत, जेलें, सिविल एविएशन जैसे अहम विभागों के मंत्री रहे।