डाक्टर भी बोले, बच्च्यिों से दुष्कर्म के आरोपियों को फांसी ही दी जाए

Edited By Punjab Kesari,Updated: 22 Mar, 2018 01:04 PM

rape in punjab

12 वर्ष या इससे कम उम्र की बच्चियों से दुष्कर्म करने वाले आरोपियों को फांसी की सजा ही हो, बारे जनसमूह की राय अदालत व सरकार तक पहुंचाने के लिए ‘पंजाब केसरी’ ने एक विशेष मुहिम शुरू की है जिसके तहत बठिंडा के डाक्टरों ने भी आरोपियों को फांसी ही दिए जाने...

बठिंडा: 12 वर्ष या इससे कम उम्र की बच्चियों से दुष्कर्म करने वाले आरोपियों को फांसी की सजा ही हो, बारे जनसमूह की राय अदालत व सरकार तक पहुंचाने के लिए ‘पंजाब केसरी’ ने एक विशेष मुहिम शुरू की है जिसके तहत बठिंडा के डाक्टरों ने भी आरोपियों को फांसी ही दिए जाने पर सहमति प्रकट की है।ज्ञात हो कि पंजाब में हर वर्ष ऐसी सैंकड़ों घटनाएं होती हैं जिनमें मासूम बच्चियों से दुष्कर्म होता है। बहुत कम मामले हैं जो पुलिस तक पहुंचते हैं जबकि अनेक मामलों में लोग बदनामी के डर से चुप रहना ही बेहतर समझते हैं। नतीजे के तौर पर आरोपियों के हौसले और बुलंद हो जाते हैं और वे जुर्म को अपना हक समझ लेते हैं। और तो और पुलिस तक पहुंचने वाले मामलों में भी बहुत कम मामले अंजाम तक पहुंच रहे हैं। कुछ मामलों में पैरवी नहीं होती और कुछ सबूतों की कमी के कारण बीच में ही दम तोड़ जाते हैं लेकिन अगर इन मामलों में सख्ती की जाए व आम लोग जागरूक हों तो जुर्म को जड़ से खत्म किया जा सकता है। इस मामले में हरियाणा, राजस्थान व मध्य प्रदेश की सरकार पहले ही कानून पास कर चुकी है कि ऐसे आरोपियों को मौत की ही सजा दी जाएगी ताकि इस तरह का जुर्म खत्म हो सके। 

मामला बहुत गंभीर है। इसलिए हर पहलू को देखते हुए इस मामले के आरोपियों के लिए मौत की सजा होनी चाहिए। क्योंकि इस तरह के जुर्म लगातार बढ़ रहे हैं। कई बार तो आरोपी बच्ची का नजदीकी रिश्तेदार ही होता है। इससे हर परिवार को जागरूक होने की जरूरत है जोकि बच्चियों की सुरक्षा के लिए बहुत जरूरी है। ’’
    - डा. सुनील गर्ग    

बच्चिों से दुष्कर्म के आरोपियों को तो जीने का अधिकार ही नहीं होना चाहिए। आरोपियों को फांसी की बजाय चौराहे में खड़ाकर दर्दनाक मौत दी जाए ताकि ऐसी प्रवृत्ति वाले लोगों को पता चले कि ऐसा जुर्म करने का अंजाम उनको भी भुगतना पड़ सकता है।’’
    - डा. राकेश जिंदल

मैं बच्चों का डाक्टर हूं। ऐसे बहुत सारे केस देखे हैं जिनमें पीड़ित ब"ाी शारीरिक कष्ट के अलावा मानसिक तौर पर भी बहुत कष्ट झेलती है। पीड़ित बच्ची इतना अधिक डरी व सहमी होती है कि उसको मर्द जात से नफरत होने लगती है। फिर वह एक डाक्टर, पिता, भाई व अन्य रिश्तेदारों से खौफ खाने लगती है। आरोपियों को मौत से कम सजा देना गलत ही होगा।’’
    -डा. नीरज बांसल    

बच्चियों से दुष्कर्म बहुत गंभीर जुर्म है। इसको प्यार से नहीं, डर से ही खत्म किया जा सकता है। एक आरोपी मौत या अन्य सख्त सजा से ही डर सकता है। अगर एक आरोपी को फांसी दी जाए तभी अन्य आरोपियों को डर होगा। इस तरह के जुर्म पर रोक लगाने के लिए आरोपियों को फांसी देनी होगी। ’’
    - डा. अंकुश जिंदल

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