Edited By Punjab Kesari,Updated: 28 Dec, 2017 03:27 PM
शहर से 10 किलोमीटर दूर मुल्तानिया सड़क पर वन बीड़ तालाब स्थित मिनी जू-कम-डियर सफारी में करीब 4 माह पहले लाई गई मादा तेंदूआ ‘सलमा’ की मौत हो गई। ‘सलमा’ की मौत किस कारण से हुई, इस पर कोई कुछ कहने को तैयार नहीं है।
बठिंडा(आजाद): शहर से 10 किलोमीटर दूर मुल्तानिया सड़क पर वन बीड़ तालाब स्थित मिनी जू-कम-डियर सफारी में करीब 4 माह पहले लाई गई मादा तेंदूआ ‘सलमा’ की मौत हो गई। ‘सलमा’ की मौत किस कारण से हुई, इस पर कोई कुछ कहने को तैयार नहीं है। सभी पोस्टमार्टम रिपोर्ट के आने का इंतजार कर रहे हैं, लेकिन इस मिनी जू में सलमा के मौत का करण कुप्रबंध व्यवस्था ही जिम्मेदार है, क्योंकि यहां देख-रेख करने के लिए कोई गार्ड न होने के वजह से पर्यटक बिना रोक-टोक के घूम रहे हैं व कोई रोकने वाला नहीं है।
बंदर भी हैं बीमार
वैटर्नरी सैंटर में एक बंदर बीमार है लेकिन उसकी कोई देख-रेख करने वाला नहीं था। इसके अलावा अन्य कई जानवर भी बुरी हालत में हैं जिनकी देख-रेख उचित ढंग से नहीं की जा रही। वैटर्नरी में घंटों इंतजार करने के बाद भी कोई नहीं आया। डाक्टर के बैठने वाले रूम पर ताले जड़े हुए हैं, तो बोर्ड भी गिरा पड़ा है व कर्मचारी दिखाई नहीं दिए।
क्या कहते हैं अधिकारी
डियर सफारी के रेंज अधिकारी पवन श्रीधर का कहना है मिनी जू में बकायदा जानवरों के लिए एक डाक्टर की व्यवस्था की गई है। किसी भी जानवर के बीमार पडऩे पर तुरंत डाक्टर को बुलाया जाता है व जानवर का उपचार करवाया जाता है। इसके अलावा जानवरों पर नजर रखने के लिए 5 गार्ड्स भी तैनात हैं व किसी भी संकट की स्थिति को उक्त गार्ड्स तुरंत संभालते हैं व अधिकारियों को सूचित करते हैं।
161 एकड़ में फैली है डियर सफारी
161 एकड़ में फैला मिनी जू-कम-डियर सफारी 1987 में रैडक्रास की ओर से बतौर डियर सफारी बीड़ तलाब शुरू की गई थी, जबकि 1982 में यह डियर पार्क वन्य एवं जंगली जीव सुरक्षा विभाग पंजाब की ओर से अपने अधीन ले लिया गया, वहीं 2014 में सैंट्रल जू अथॉरिटी भारत सरकार की ओर से इस पार्क को मिनी जू-कम-डियर सफारी बनाने का मास्टर प्लान मंजूर किया गया। आज यहां 135 हिरण व 210 पक्षी मौजूद हैं।
खुले आसमान में रह रहे हैं तेंदुए
मिनी जू परिसर में 1500 वर्ग मीटर में तेंदुओं का पिंजरा है। वर्तमान में मिनी जू में रोजाना औसत 200 दर्शक आते हैं। सरकारी अवकाश के दिन दर्शकों की संख्या 700 से अधिक हो जाती है। बन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि तेंदुआ खुले स्थानों में घूमना पसंद करते हैं। दर्शकों की सुरक्षा के लिए पिंजरे में 20 फुट ऊंची लोहे की सलाखें लगाई गई हैं।