Edited By Punjab Kesari,Updated: 19 Feb, 2018 11:29 AM
सरकारी अस्पताल मानांवाला में स्टाफ की लापरवाही से बच्चे की मौत का मामला स्वास्थ्य विभाग के उच्चाधिकारियों तक पहुंच गया है। विभाग ने इस मामले की जांच के लिए सहायक सिविल सर्जन डा. रमेश के नेतृत्व में विशेष टीम का गठन किया है। आर.टी.आई. एक्टीविस्ट...
अमृतसर(दलजीत): सरकारी अस्पताल मानांवाला में स्टाफ की लापरवाही से बच्चे की मौत का मामला स्वास्थ्य विभाग के उच्चाधिकारियों तक पहुंच गया है। विभाग ने इस मामले की जांच के लिए सहायक सिविल सर्जन डा. रमेश के नेतृत्व में विशेष टीम का गठन किया है। आर.टी.आई. एक्टीविस्ट जयगोपाल लाली की अध्यक्षता में पीड़ित परिवार ने उच्चाधिकारियों को इस संबंध में शिकायत देते हुए न्याय की गुहार लगाई है।
जयगोपाल लाली ने अधिकारियों को दी शिकायत में बताया कि रमनप्रीत कौर पत्नी अमरजीत सिंह निवासी मेहरबानपुरा नजदीक जंडियाला गुरु पिछले 9 माह से सरकारी अस्पताल मानांवाला में अपना चैकअप करवा रही थी। तीसरे महीने में रमनप्रीत कौर के अस्पताल की गायनी विभाग की डाक्टर द्वारा बताए गए सभी टैस्ट करवाए गए, जबकि अल्ट्रासाऊंड दुबुर्जी स्थित एक प्राइवेट सैंटर से करवाने के लिए खास निर्देश दिया। अल्ट्रासाऊंड और अन्य टैसिं्टग रिपोर्ट देखने के बाद उसे 6 महीने बाद चैकअप के लिए बुलाया गया था, जिसमें जच्चा-बच्चा के ठीक होने की डाक्टर द्वारा पुष्टि की गई और 2 महीने बाद फिर बुलाया गया।
अमरजीत सिंह ने बताया कि जब 8 महीने हो गए तो उन्होंने डाक्टर को रमनप्रीत कौर के पेट में दर्द होने की बात कही, इस पर डाक्टर द्वारा दोबारा उक्त प्राइवेट सैंटर से अल्ट्रासाऊंड करवाने के लिए कहा गया और रिपोर्ट देखने के बाद 22 जनवरी को प्रसव के लिए दाखिल होने के लिए कहा गया। उन्होंने बताया कि डाक्टर द्वारा बताई तिथि को जब वह मरीज को अस्पताल लेकर आए तो उस समय प्रसव पीड़ा शुरू हो चुकी थी। ऐसे में डाक्टर ने मरीज को दाखिल करने की बजाय पहले 24 और फिर 26 जनवरी को बार-बार बुलाकर चैकअप कर 29 जनवरी को दाखिल करने की बात कही। मरीज की हालत दिन-प्रतिदिन बिगड़ती जा रही थी। 29 जनवरी को जब वह डाक्टर को सुबह 11 बजे मिलने आए तो उनकी मुलाकात दोपहर 2 बजे के बाद हुई। डाक्टर ने दोबारा प्राइवेट सैंटर से अल्ट्रासाऊंड करवाने के लिए भेज दिया, जब वह टैस्ट की रिपोर्ट लेकर करीब 3.30 बजे आए तो डाक्टर कमरे में नहीं था।
स्टाफ को पूछा तो पता चला कि डाक्टर चले गए हैं। लाली ने बताया कि स्टाफ द्वारा डाक्टर को प्रसव के लिए बुलाने की बजाय एक टीका लिख कर बाहर के स्टोर से लगवाने के लिए कहा गया, जब उसने पूछा कि आप क्यों नहीं टीका लगाते तो उन्होंने ठीक तरीके से बात नहीं की। मरीज की हालत हर पल गंभीर होती जा रही थी, उसके बार-बार कहने पर भी डाक्टर और स्टाफ नहीं आ रहे थे। स्टाफ द्वारा बताया टीका जब लगवाया गया तो मरीज की हालत और गंभीर हो गई। सरकारी स्टाफ द्वारा दाखिल न करने कारण उनको मजबूरन प्राइवेट अस्पताल में दाखिल करवाना पड़ा जहां इलाज दौरान मृत बच्चे ने जन्म लिया।
प्राइवेट अल्ट्रासाऊंड सैंटर पर मेहरबान डाक्टर
आर.टी.आई. एक्टीविस्ट जयगोपाल लाली ने कहा कि स्वास्थ्य विभाग द्वारा सरकारी अस्पतालों को खास आदेश
दिए गए हैं कि गर्भवतियों के अल्ट्रासाऊंड केवल सरकारी केंद्रों से ही मुफ्त में करवाए जाएं और 9 महीनों में 1 या 2 जरूरत अनुसार अल्ट्रासाऊंड करवाए जाएं, लेकिन मानांवाला अस्पताल में विभाग के आदेश की धज्जियां उड़ाते हुए डाक्टर प्राइवेट सैंटर से धड़ल्ले से अल्ट्रासाऊंड करवाकर मरीजों का शोषण कर रहे हैं।
ब्याज पर रुपए लेकर दी अस्पताल की फीस
आर.टी.आई. एक्टीविस्ट जयगोपाल की अध्यक्षता में उच्च अधिकारियों से मिले पीड़ित परिवार ने शिकायत देते हुए कहा कि स्वास्थ्य विभाग और पंजाब सरकार को उक्त मामले में विशेष जांच कर जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्रवाई की जाए तथा उन्हें इंसाफ दिलाया जाए। पीड़ित परिवार रमनप्रीत कौर का प्राइवेट अस्पताल में इलाज करवाने में असमर्थ है और अब तक 1 लाख से अधिक रुपए ब्याज पर लेकर अस्पताल की फीस जमा करवा चुका है। संबंधित डाक्टर और स्टाफ की लापरवाही को देखते हुए सख्त कार्रवाई करनी चाहिए।