40%किसानों ने पराली जलाए बिना हैप्पी सीडर से की गेहूं की बिजाई

Edited By swetha,Updated: 10 Jan, 2019 09:54 AM

wheat cultivation

पंजाब सरकार की ओर से खेतों में पराली को आग लगाने का रुझान रोकने के लिए किए गए प्रयासों तहत बेशक इस वर्ष 40 फीसदी किसानों ने खेतों में पराली को आग लगाने की बजाय हैप्पी सीडर और अन्य औजारों से गेहूं की बिजाई की है।

गुरदासपुर(हरमनप्रीत): पंजाब सरकार की ओर से खेतों में पराली को आग लगाने का रुझान रोकने के लिए किए गए प्रयासों तहत बेशक इस वर्ष 40 फीसदी किसानों ने खेतों में पराली को आग लगाने की बजाय हैप्पी सीडर और अन्य औजारों से गेहूं की बिजाई की है। मगर दूसरी तरफ पटियाला में कुछ किसानों द्वारा हैप्पी सीडर से बोई गई गेहूं सुंडी के हमले के कारण तबाह होने संबंधी किए जा रहे दावों के कारण समूचे पंजाब के किसान चिंता में डूबे दिखाई दे रहे हैं। इसके विपरीत जो किसान पिछले कई वर्षों से हैप्पी सीडर से सैंकड़ों एकड़ गेहूं बोते आ रहे हैं, वे यह भी दावा कर रहे हैं कि हैप्पी सीडर से बोई गई गेहूं में ऐसी कोई भी समस्या नहीं आती जिससे फसल बर्बाद हो जाए और उसे जोतना पड़ जाए। ऐसे किसान तो यहां तक दावा कर रहे हैं कि खेतों में पराली को आग लगाए बिना बोई गई गेहूं की पैदावार और मुनाफा ज्यादा होता है।  

9293 हैप्पी सीडर दिए सबसिडी पर
हैप्पी सीडर ऐसी मशीन है जिसकी सहायता से धान के खाली हुए खेत में पराली को आग लगाए बिना और खेत को जोते बिना ही गेहूं की बिजाई की जाती है। इस वर्ष खेतीबाड़ी विभाग ने पंजाब में 9293 हैप्पी सीडर मशीनें सबसिडी पर दी थीं। इसी तरह रोटावेटर, सुपर एस.एम.एस. और अन्य विभिन्न तरह के औजारों को मिलाकर इस सीजन में सरकार ने 27 हजार औजार और मशीनें सबसिडी पर दी हैं।

सिर्फ पटियाला में ही हुआ हमला
अभी तक सिर्फ पटियाला के एक किसान ने गेहूं की फसल पर सुंडी का हमला होने का दावा किया है जबकि गुरदासपुर और माझा के अन्य जिलों सहित पंजाब के बहुसंख्या इलाकों में ऐसी कोई भी शिकायत सामने नहीं आई।

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6 लाख हैक्टेयर में हुई है हैप्पी सीडर से बिजाई
पंजाब में इस वर्ष करीब 35 लाख हैक्टेयर रकबे में से 6 लाख हैक्टेयर में गेहूं की बिजाई हैप्पी सीडर से हुई है। बेशक इस साल हैप्पी सीडर खरीदने वाले किसानों की संख्या में भारी बढ़ौतरी हुई है, मगर खेतीबाड़ी विभाग से एकत्रित की जानकारी के अनुसार पंजाब के अधिकांश किसान ऐसे हैं जो पिछले कई वर्षों से हैप्पी सीडर से गेहूं की बिजाई करते आ रहे हैं और इस वर्ष किसान ऐसे भी हैं जिन्होंने 50-50 एकड़ रकबा हैप्पी सीडर से रोपा है।

14 लाख हैक्टेयर में पराली को आग लगाए बिना हुई गेहूं की बिजाई
पंजाब में वर्ष 2016-17 दौरान 21 लाख 39 हजार हैक्टेयर रकबे में पराली को आग लगाई थी जबकि वर्ष 2017-18 दौरान धान तले कुल 30 लाख 60 हजार हैक्टेयर रकबे में से 19 लाख 77 हजार हैक्टेयर रकबे में किसानों ने पराली को आग लगाकर निपटारा किया था। मगर गत वर्ष 2018 दौरान किसानों ने पंजाब में धान तले 30 लाख 42 हजार हैक्टेयर रकबे में से 17 लाख 80 हजार हैक्टेयर रकबे में ही आग लगाई है। जिस कारण राज्य में करीब 58 से 60 फीसदी खेतों में इस साल भी आग लगाकर पराली का निपटारा किया गया जबकि 38 से 40 फीसदी खेत ऐसे हैं जिनमें किसानों ने आग लगाए बिना ही विभिन्न विधियों के जरिए गेहूं की बिजाई की है।

ऐसे हो सकता है नुक्सान?
कई किसानों ने बताया कि आमतौर पर हैप्पी सीडर से बीजी गई गेहूं को बहुत कम पानी लगाना पड़ता है लेकिन इसके विपरीत खेत में पराली होने से जब किसान कम पानी लगाते हैं तो दूसरे सिरे तक पानी पहुंचता ही नहीं। इस कारण जब ज्यादा पानी लगाया जाता है तो वह बाद में खेत में नमी पैदा कर देता है जिस कारण फसल पीली पड़ जाती है। इस तरह जब खेत को जोते बिना हैप्पी सीडर से गेहूं की बिजाई कर दी जाती है तो चूहों के बिल खेत में रह जाते हैं। इतना ही नहीं खेतों में बिखरी पराली भी चूहों के छिपने का स्थान बन जाती है। कई किसानों ने यह भी बताया कि खेतों में डाली जाने वाली खाद का काफी हिस्सा पराली पर ही रह जाता है।

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ये हैं फायदे?
खेती माहिरों के अनुसार हैप्पी सीडर से गेहूं की बिजाई का सबसे बड़ा फायदा यह है कि किसान खेत में पराली को आग लगाए बिना गेहूं की बिजाई कर सकते हैं जिससे पर्यावरण में फैल रहे प्रदूषण को रोका जा सकता है। इस विधि से खेत को जोतना नहीं पड़ता। जिस कारण खेती खर्चा भी कम होता है। खासतौर पर बाद में गेहूं की फसल में गुल्ली-डंडा नाम के नदीन को रोकने में भी यह विधि बहुत ही लाभदायक सिद्ध होती है। खेती माहिरों का मानना है कि जब भूमि की स्तह पर पराली की परत होती है तो नदीन नहीं उगते। इससे गेहूं की पैदावार भी बढ़ती है, क्योंकि पौधे कतारों में होने से सही ढंग से बढ़ते हैं।

इस साल 50 हजार स्थानों पर लगी थी आग
पंजाब के खेतीबाड़ी विभाग के डायरैक्टर जसबीर सिंह बैंस ने बताया कि प्रत्येक वर्ष आग लगने की घटनाओं की कुल संख्या कम रही है जिसके तहत वर्ष 2016-17 दौरान 81 हजार स्थानों पर आग लगी थी जबकि 2017-18 दौरान आग लगाने वाली घटनाओं की संख्या 45 हजार थी। इस साल भले ही इन स्थानों की संख्या 50 हजार तक पहुंच चुकी है, मगर विभाग इस बात को लेकर राहत महसूस कर रहा है कि इन स्थानों का कुल रकबा पिछले साल आग के हवाले किए गए रकबे से कम है और आने वाले समय में विभाग को और सफलता मिलने की उम्मीद है।

हैप्पी सीडर पर बोले किसान

गुरदासपुर के पास गांव वाड़ा में पिछले 4 वर्षों से 50 एकड़ रकबे में हैप्पी सीडर से गेहूं की बिजाई करता आ रहा है, मगर किसी भी साल किसी भी खेत में न तो सुंडी की कोई समस्या आई और न ही नमी या कोई अन्य परेशानी का सामना करना पड़ा है, बल्कि हैप्पी सीडर से बोई गई गेहूं की पैदावार भी ज्यादा होती है और खर्चा भी कम होता है।  -शरणजीत सिंह, किसान

गुरदासपुर और अमृतसर में कई किसान हैप्पी सीडर से गेहूं की बिजाई कर रहे हैं। मगर कई वर्षों से हैप्पी सीडर से गेहूं की बिजाई करते हुए मैंने किसी किसान को कोई समस्या पेश आती नहीं देखी। पटियाला में किसान को जो समस्या आई है, हो सकता है कि उसका कोई और कारण हो, मगर इसे हैप्पी सीडर और पराली की आग से जोड़कर देखना ठीक नहीं। - गुरबिंदर सिंह बाजवा, किसान 

पटियाला के किसान हैप्पी सीडर से बिजाई करके संतुष्ट नहीं हैं। जब हैप्पी सीडर से गेहूं की बिजाई की जाती है तो उस समय खेत में नमी कम होती है। बाद में जब हैप्पी सीडर को पहला पानी बहुत कम मात्रा में लगाने की जरूरत होती है तो उस समय खेत में बिखरी पराली के कारण काफी ज्यादा मात्रा में पानी लगाना पड़ता है। यह पानी बाद में पराली के कारण खेत में नमी का कारण बन जाता है और परिणाम स्वरूप गेहूं पीली पड़ जाती है।  -राजमोहन सिंह कालेका, स्टेट अवार्डी किसान (पटियाला)

मैं भी हैप्पी सीडर से गेहूं की बिजाई करता हूं, मगर इस विधि से बोई गेहूं में जहां पानी अधिक मात्रा में लगाना पड़ता है, वहीं यूरिया खाद व दवाइयों की स्प्रे भी पराली पर गिरकर फसल को पूरा फायदा नहीं देती। जब कबूतर व अन्य जानवर खेत में दाने चूगने के लिए आते हैं तो वह पराली को एक तरफ हटाने के लिए पौधों पर फैंक कर पौधों को नुक्सान पहुंचाते हंै। भले ही नदीन कम उगते हैं।-गुरदीप सिंह मुसताबाद,
 
किसान नेता विशेषज्ञों की राय
आग न लगाने के लिए किसानों को जागरूक करने संबंधी शुरू की गई मुहिम के सार्थक परिणाम सामने आए हैं और पंजाब के कुछ ही खेतों में सुंडी की समस्या सामने आई है। मगर खेतीबाड़ी विभाग और यूनिवर्सिटी के माहिर किसानों की हर समस्या के समाधान के लिए वचनबद्ध हैं। इसके तहत सुंडी के खात्मे के लिए भी विभाग किसानों को पूरी तरह से जागरुक करके हर सहयोग देगा। 
- डा. जसबीर सिंह बैंस, खेतीबाड़ी विभाग पंजाब के डायरैक्टर  

पी.ए.यू. लुधियाना ने पहले ही लिखित रूप में किसानों को जागरूक किया था कि हैप्पी सीडर से बोई गई फसल में दीमक और सुंडी जैसे कीड़ों की समस्या आ सकती है। उन्होंने कहा कि जिन खेतों में इस सुंडा का हमला देखने को मिला है, वहां किसानों को घबराने की आवश्यकता नहीं है और वे तुरंत यूनिवर्सिटी के नजदीक के क्षेत्रीय केंद्र से संपर्क कर सकते हैं ताकि इसका सही ढंग से इलाज किया जा सके। -वाइस चांसलर डा. बलदेव सिंह ढिल्लों, पी.ए.यू. लुधियाना

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