पंजाब के गांवों में प्रदूषित हो चुका है हैंडपंप का पानी

Edited By Vatika,Updated: 13 Mar, 2019 01:18 PM

water pollution

पंजाब में जहां धरती निचले पानी का गिर रहा स्तर आने वाली पीढ़ी के लिए गंभीर खतरे का संकेत है, वहीं मौजूदा समय में पंजाब के विभिन्न गांवों में लोगों द्वारा पिए जा रहे पानी में खतरनाक तत्वों की मौजूदगी सामने आने का मामला भी चिंता का विषय बना हुआ है।

गुरदासपुर(हरमनप्रीत): पंजाब में जहां धरती निचले पानी का गिर रहा स्तर आने वाली पीढ़ी के लिए गंभीर खतरे का संकेत है, वहीं मौजूदा समय में पंजाब के विभिन्न गांवों में लोगों द्वारा पिए जा रहे पानी में खतरनाक तत्वों की मौजूदगी सामने आने का मामला भी चिंता का विषय बना हुआ है। बहुत से गांवों के हालात ऐसे हैं कि हैंडपंप के बोर गहरे करवाने के बावजूद पानी में आर्सेनिक, फ्लोराइड, नाइट्रेट, यूरेनियम तथा निक्कल समेत कई विषैले तत्व मिल रहे हैं।
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मानव स्वास्थ्य के लिए खतरनाक सिद्ध होने वाले ऐसे तत्वों से मिश्रित पानी पीने वाले लोग कैंसर जैसी नामुराद बीमारी की जकड़ में आ रहे हैं।इसके साथ ही कई इलाके के लोगों को दिल और त्वचा संबंधी बीमारियों के अतिरिक्त अन्य कई बीमारियां घेर रही हैं। इस मामले में बड़ी त्रासदी यह है कि ऐसे तत्वों की मात्रा लगातार बढऩे के बावजूद अभी भी बहुत से गांवों में न तो सरकार शुद्ध पानी के लिए आर.ओ. सिस्टम लगा सकी है और न ही लोगों ने अपने स्तर पर घरों में शुद्ध पानी का कोई प्रबंध किया है। 

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स्वास्थ्य के लिए खतरनाक हैं पानी में घुले कई तत्व
विशेषज्ञों के अनुसार पीने वाले पानी में मिल रहे आर्सेनिक, फ्लोराइड,  यूरेनियम, एल्यूमीनियम, सिक्का, निक्कल तथा नाइट्रेट जैसे तत्व स्वास्थ्य के लिए बेहद ही हानिकारक हैं। इनमें से नाइट्रेट जैसे तत्व खेतों में इस्तेमाल किए जा रहे खाद और दवाइयों के कारण बढ़े हैं, जबकि कई हानिकारक तत्व पानी में परोक्ष या अपरोक्ष तौर पर डाले जा रहे कैमीकल व अन्य सामान के कारण बढ़ रहे हैं। डाक्टरों का दावा है कि अगर पीने वाले पानी में आर्सेनिक तत्व की मात्रा बढ़ जाए तो ऐसे पानी को लगातार पीने वाले लोग कैंसर, शूगर तथा दिल की बीमारियों से पीडि़क हो जाते हैं। इसी तरह अगर फ्लोराइड की मात्रा बढ़ जाए तो रीढ़ की हड्डी प्रभावित होनी शुरु हो जाती है और मरीज की पीठ तथा टांगों में दर्द रहने लगता है। यहां तक कि समय पर ईलाज न होने से टांगें काम करना बंद कर देती हैं। इसी तरह दांत कमजोर हो जाते हैं तथा पीले पडऩे शुरू हो जाते हैं।

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गुरदासपुर के 142 गांवों को दिया जाएगा नहरों का पानी
पंजाब के जल सप्लाई व सैनीटेशन विभाग ने कुछ समय पहले पंजाब के करीब 2 हजार गांवों में से पानी के नमूने लेकर उनके पानी की जांच की थी, जिसके अंतर्गत जिला गुरदासपुर के 206 गांवों के नमूने लिए गए थे, जिनमें से अधिकतर गांवों में आर्सेनिक, फ्लोराइड और सिक्के की बहुतायत मिली थी। इस पर सरकार ने जिला गुरदासपुर में लोगों को पीने वाला शुद्ध पानी मुहैया करवाने के लिए करीब 142 गांवों में नहरों का पानी साफ करके पहुंचाने का फैसला किया है, जिसके अंतर्गत ब्लाक डेरा बाबा नानक और फतेहगढ़ चूडिय़ां के 40 गांवों को पीने वाला शुद्ध पानी मुहैया करवाने के लिए अलीवाल को जाती नहर के पानी के साफ करके एक बड़े प्लांट में शुद्ध किया जाएगा।इसके उपरांत वाटर सप्लाई पाइप के माध्यम से इन्हें गांवों के घरों तक पहुंचाया जाएगा। इसी तरह ब्लाक धारीवाल, कलानौर, गुरदासपुर तथा डेरा बाबा नानक के 102 गांवों को शुद्ध पानी मुहैया करवाने के लिए अपरबारी दोआब नहर में से कुंजर पुल के पास नहर का पानी लिया जाएगा, जिसको बड़े ट्रीटमैंट प्लांट में शुद्ध करके आगे सप्लाई किए जाने का कार्यक्रम बनाया गया है।

अन्य गांवों की स्थिति 
भले ही सरकार ने कुछ गांवों को तो पीने वाला शुद्ध पानी मुहैया करवाने के लिए प्रोजैक्ट तैयार करवाना शुरु कर दिया है, मगर शेष गांवों की स्थिति अभी भी गंभीर बनी हुई है। यह भी बात सामने आई है कि मालवा में यूरेनियम तथा अन्य खतरनाक तत्वों की बहुतायत के कारण सरकार ने अधिकतर आर.ओ. सिस्टम मालवा के गांवों में ही लगवाए हैं, जबकि माझा के गांवों में सिर्फ गहरे बोर वाले सरकारी हैंडपंप लगाए गए थे, मगर उन्होंने हैंडपंप का पानी भी पूरी तरह से शुद्ध न माने जाने पर ऐसे हैंडपंप भी लगाने बंद कर दिए।

कई जिलों में भी दूषित है पानी
पंजाब के जल सप्लाई तथा सैनीटेशन विभाग ने पिछले वर्ष करीब 2 हजार गांवों में से पानी के नमूने लेकर उनकी जांच की जिसमें यह भयावह सच्चाई सामने आई थी कि अमृतसर जिले के 82 गांवों में आर्सेनिक, सिक्का, एल्यूमीनियम व फ्लोराइड की मात्रा अत्यधिक पाई गई। इसी तरह होशियारपुर जिले के 150 गांवों में की गई जांच के दौरान पानी में क्रोमियम, सिक्का, सिलैनियम, निक्कल व आर्सेनिक की मात्रा अधिक पाई गई। जालंधर के 165 गांवों में की गई जांच में अधिकतर गांवों के पानी में सिक्का व सिलैनियम अधिक पाया गया, जबकि कुछ गांवों में एल्यूमिनियम व निक्कल की मात्रा भी मिली। इसी तरह कपूरथला के 67 गांवों में, लुधियाना के 95, मोगा के 26, पठानकोट के 113, पटियाला के 411, रोपड़ के 290, फिरोजपुर के 89, फतेहगढ़ साहिब के 51 गांवों के पानी में उपरोक्त किसी न किसी तत्व की बहुतायत मिली, जबकि बठिंडा के 11 व फाजिल्का के 22 गांवों में यूरेनियम की मात्रा काफी ’यादा पाई गई। 

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