बिना लाइसैंस मैडीकल स्टोर चलाने वाले कारोबारियों को 3-3 वर्ष की कैद

Edited By Punjab Kesari,Updated: 26 Oct, 2017 10:15 AM

traders running non licensed medical stores are imprisoned for 3 3 years

माननीय एडीशनल जिला सैशन जज श्री संत प्रकाश सूद की अदालत ने 2 आरोपियों को बिना लाइसैंस मैडीकल स्टोर चलाने और दवाइयों का रिकार्ड पेश न करने के जुर्म में 3-3 वर्ष की कैद व जुर्माना देने की सजा का सुनाई है।

तरनतारन (रमन): माननीय एडीशनल जिला सैशन जज श्री संत प्रकाश सूद की अदालत ने 2 आरोपियों को बिना लाइसैंस मैडीकल स्टोर चलाने और दवाइयों का रिकार्ड पेश न करने के जुर्म में 3-3 वर्ष की कैद व जुर्माना देने की सजा का सुनाई है। 

इस संबंधी जिला ड्रग इंस्पैक्टर गुरप्रीत सिंह सोढी, जो उक्त दोनों केसों की पैरवी लगातार करते रहे, ने बताया कि 12 जनवरी 2011 को सी.एच.सी. सरहाली के बाजार में मौजूद दीप संधू मैडीकल स्टोर पर ड्रग इंस्पैक्टरों की संयुक्त टीम, जिसमें कुलविन्द्र सिंह, गुरबिन्द्र सिंह और करुण सचदेव शामिल थे, ने छापेमारी कर 12 किस्म की दवाइयां बरामद की थीं। उस समय फर्म में मौजूद इंचार्ज पुष्पिन्द्र सिंह पुत्र मुख्तार सिंह निवासी सरहाली कलां टीम के सामने दवाइयों संबंधी कोई भी रिकार्ड पेश नहीं कर पाया था। 

सोढी ने बताया कि इस दुकान के असली मालिक सर्बजीत सिंह की 2009 में मौत होने के बाद दुकान के लाइसैंस में संविधान की तबदीली नहीं की गई थी और फर्म बिना लाइसैंस चल रही थी। इस संबंधी ड्रग इंस्पैक्टर कुलविन्द्र सिंह द्वारा इस संबंधी 2013 में माननीय अदालत में केस दायर किया गया। केस की बारीकी से सुनवाई हुई। सबूतों को मुख्य रखते हुए जज साहिब ने उक्त फर्म के इंचार्ज पुष्पिन्द्र सिंह को सैक्शन 18-सी (बिना ड्रग लाइसैंस) के तहत 3 साल की कैद और 1 लाख रुपए जुर्माना (जुर्माना न देने की सूरत में 6 माह और कैद) और सैक्शन 18-ए (बिना रिकार्ड दवाइयां रखने) तहत 1 वर्ष की सजा का अहम फैसला सुनाया है। 

ड्रग इंस्पैक्टर गुरप्रीत सिंह सोढी ने बताया कि इसी प्रकार एक और केस, जिसमें 21 जनवरी 2010 को ड्रग इंस्पैक्टरों की संयुक्त टीम (गुरबिन्द्र सिंह व अमन वर्मा शामिल थे), ने गांव मनिहाला में स्थित बिना ड्रग लाइसैंस फर्म खैहरा मैडीकल स्टोर पर छापेमारी करके 37 किस्म की दवाइयां बिना रिकार्ड बरामद की थीं। फर्म में उस समय मौजूद यादविन्द्र सिंह पुत्र सुंदर सिंह निवासी गांव चूसलेवड़ कोई भी दस्तावेज पेश नहीं कर पाया था। यह केस भी 2013 में उस समय के ड्रग इंस्पैक्टर कुलविन्द्र सिंह द्वारा अदालत में दायर किया गया था।

बाद में उनके द्वारा इस केस की पैरवी की गई। केस की सुनवाई माननीय एडीशनल सैशन जज संत प्रकाश सूद द्वारा की गई और सबूतों को मुख्य रखते हुए जज साहिब ने उक्त फर्म के इंचार्ज यादविन्द्र सिंह को सैक्शन 18-सी (बिना ड्रग लाइसैंस) तहत 3 वर्ष की कैद और 1,41,047 रुपए नकद जुर्माना (जुर्माना न देने की सूरत में 6 माह और कैद) और सैक्शन 18-ए (बिना रिकार्ड दवाइयां रखने) तहत 1 वर्ष की सजा का अहम फैसला सुनाया है। ड्रग इंस्पैक्टर गुरप्रीत सिंह सोढी ने बताया कि माननीय अदालत में इस समय कुल 30 अन्य ऐसे केस चल रहे हैं, जिनकी सुनवाई माननीय अदालत द्वारा की जा रही है। 

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