पंजाब में इंडस्ट्री की समस्या का मुद्दा भी चुनाव में खूब उछलेगा

Edited By swetha,Updated: 18 Mar, 2019 08:37 AM

the issue of industry problem in punjab will also pick up in elections

कर्ज तले दबे किसानों की आत्महत्या, नशाखोरी व बेरोजगारी के साथ-साथ इंडस्ट्री की समस्या जैसे मुद्दे भी पंजाब में चुनावों दौरान खूब उछलेंगे। विपक्ष भी अन्य राष्ट्रीय मुद्दों के साथ-साथ स्थानीय मुद्दों पर भी सरकार को घेरने का प्रयास करेगा।

चंडीगढ़(शर्मा): कर्ज तले दबे किसानों की आत्महत्या, नशाखोरी व बेरोजगारी के साथ-साथ इंडस्ट्री की समस्या जैसे मुद्दे भी पंजाब में चुनावों दौरान खूब उछलेंगे। विपक्ष भी अन्य राष्ट्रीय मुद्दों के साथ-साथ स्थानीय मुद्दों पर भी सरकार को घेरने का प्रयास करेगा। 80 के दशक में आतंकवाद के दौर के पश्चात राज्य में इंडस्ट्री का विकास लगातार गिरता गया। सरकार द्वारा समय-समय पर जारी इंडस्ट्रीज पॉलिसी में राहत प्रदान करने के बावजूद राज्य में रोजगार के अवसर बढ़ाने में कारगर औद्योगिक विकास रफ्तार नहीं पकड़ सका है। 

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पंजाब सरकार द्वारा राज्य में औद्योगिक विकास के लिए बनाई गई सरकारी कार्पोरेशन पंजाब स्टेट इंडस्ट्रीयल डिवैल्पमैंट कार्पोरेशन (पी.एस.आई.डी.सी) तथा पंजाब फाइनैंशियल कार्पोरेशन (पी.एफ.सी) स्वयं न सिर्फ वर्षों से घाटे में चल रही हैं, बल्कि सरकार ने पी.एफ.सी. के विनिवेश की भी योजना तैयार कर ली है। कभी इंडस्ट्रीयल प्रोजैक्टों के लिए इक्वीटी में निवेश करने और कर्ज देने के लिए महत्वपूर्ण योगदान देने वाली कार्पोरेशन ने कई वर्षों से नए इंडस्ट्रीयल प्रोजैक्टों में निवेश नहीं किया है। उलटा इन कार्पोरेशनों के सैंकड़ों करोड़ रुपए की रिकवरी नहीं हो पाई है। यही नहीं इन कार्पोरेशंस की अपनी देनदारियां भी सैंकडों करोड़ में है। इस स्थिति से निपटने के लिए सरकार ने हाल ही में ओ.टी.एस. नीति लागू कर बंद पड़ी या बंद होने के कगार पर पहुंची डिफाल्टर कम्पनियों को पुनर्जीवित करने का प्रयास किया है लेकिन अभी तक इसके सार्थक परिणाम सामने नहीं आए हैं।

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बगैर प्रामाणिक डाटा कैसे पूरा होगा रोजगार मिशन
पंजाब सरकार घर-घर रोजगार के अपने चुनावी वायदे को पूरा करने का दावा कर रही है, लेकिन राज्य में बेरोजगारों के संबंध में प्रामाणिक डाटा उपलब्ध न होने के कारण सरकार के दावे पर सवाल उठाए जा रहे हैं। राज्य सरकार ने बजट सत्र दौरान माना था कि बेरोजगारों के संबंध में ताजा प्रामाणिक डाटा उपलब्ध नहीं है और वह इस संबंध में केंद्रीय श्रम एवं रोजगार मंत्रालय की वर्ष 2015 की रिपोर्ट, 2011 की जनगणना के आंकड़ों व पंजाब उद्योग विभाग की ओर से किए गए अध्ययन की रिपोर्ट पर निर्भर है। सरकारी अंदाजे के अनुसार इस वक्त राज्य में 14.19 लाख बेरोजगार हैं और इसमें हर वर्ष 2 लाख की बढ़ौतरी हो रही है। अर्थशास्त्री प्रो. रणजीत सिंह घुम्मण का कहना है कि राज्य में बेरोजगारी पर वर्ष 1998-2000 के दौरान अंतिम वार सर्वेक्षण किया गया था।

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मैगा रोजगार मेलों को लेकर सरकार के दावे कुछ और विपक्ष उठा रहा सवाल 
सरकार का दावा है कि अप्रैल, 2017 से जनवरी, 2019 तक राज्य में 5.34 लाख बेरोजगारों को रोजगार दिलाया गया, जिनमें से 3.65 लाख स्वरोजगार योजना के तहत बैंकों से मिले कर्ज के लाभार्थी भी शामिल हैं। 1.29 लाख वह बेरोजगार हैं जिन्हें ‘अपनी गड्डी अपना रोजगार’ योजना तहत लाभ मिला। हालांकि सरकार द्वारा आयोजित किए जाने वाले मैगा रोजगार मेलों में बेरोजगार युवाओं के उत्साह में कमी योजना की सफलता पर सवाल खड़े कर रही है। यही कारण है कि राज्य में बेरोजगारी की समस्या के हल के लिए औद्योगिक विकास को महत्वपूर्ण माना जा रहा है।

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