Edited By Updated: 23 Feb, 2017 09:50 AM
पांच दरियाओं की धरती कहे जाने वाले पंजाब में भूमिगत जल स्तर जहरीला होने के कारण मालवा इलाका पूरी तरह से कैंसर की चपेट में आ चुका है।
श्री मुक्तसर साहिब (तनेजा): पांच दरियाओं की धरती कहे जाने वाले पंजाब में भूमिगत जल स्तर जहरीला होने के कारण मालवा इलाका पूरी तरह से कैंसर की चपेट में आ चुका है। चिंता की बात यह है कि बीते 2 दशक में मालवा इलाके में कैंसर रोगियों की तादाद में भारी वृद्धि दर्ज की गई है। मालवा इलाका बड़ा कपास उत्पादक होने के कारण इस क्षेत्र में धड़ल्ले से इस्तेमाल होने वाली कीटनाशक दवाइयों के चलते भूमिगत जल स्तर में अमोनियम नाइट्रेट की मात्रा बहुत अधिक पाई जा रही है जिस कारण हरित क्रांति लाने में अहम योगदान देने वाले पंजाब का यह इलाका कैंसर की बड़ी मार के नीचे आ गया है। दूषित पानी के अलावा निकोटिन व तम्बाकू युक्त खाद्य पदार्थों का सेवन भी कैंसर का बड़ा कारण बन रहा है।
भटिंडा और बीकानेर के बीच चलने वाली गाड़ी संख्या 54703 अबोहर-जोधपुर पैसेंजर गाड़ी जोकि कैंसर एक्सप्रैस के नाम से प्रख्यात है के माध्यम से पंजाब के कैंसर पीड़ित लोग इलाज करवाने के लिए बीकानेर जा रहे हैं। आम तौर पर लोगों में मुंह व गले का कैंसर होने की संभावना अधिक रहती है वहीं महिलाओं में स्तन व बच्चेदानी में कैंसर होने की संभावना ज्यादा होती है। कैंसर होने पर व्यक्ति की मौत निश्चित है परंतु कैंसर का प्राथमिक स्टेज पर पता चलने पर इसका इलाज किया जा सकता है जिसके बाद व्यक्ति आरामदायक जीवन व्यतीत कर सकता है। कैंसर का दूसरी स्टेज पर समय पर इलाज मिलने पर अगर सही तरीके से दवाइयां व परहेज किया जाए तो सहजता के साथ कई साल जीवन व्यतीत किया जा सकता है परंतु अंतिम स्टेज पता चलने पर मरीज के जीने की संभावनाएं कम हो जाती हैं।
क्या है इलाज
शरीर के किसी भी भाग पर ऊतकों का असामान्य रूप से गांठ उभरना कैंसर हो सकता है। इस बीमारी को अलग-अलग श्रेणियों में रखा जा सकता है। ये श्रेणियां शरीर के भाग के अनुसार निर्भर करती हैं। सबसे पहले कैंसर को ज्ञात करने के लिए बायोप्सी की जाती है। इसमें कैंसर का छोटा भाग निकाला जाता है और फिर उसका परीक्षण किया जाता है। अगर गांठ छोटी हो तो पूरी गांठ निकाल दी जाती है अगर गांठ बड़ी हो तो कुछ हिस्सा ही परीक्षण के लिए निकाला जाता है। कैंसर का पता लगने के बाद जो इलाज किया जाता है उसमें कीमोथैरेपी प्रमुख है। कीमोथैरेपी कैंसर के असर को कम करने के लिए दी जाती है। इसी तरह रोडियोथैरेपी शरीर में कैंसर के ऊतकों को कम करने के लिए दी जाती है।
चालू वर्ष के अंत तक बढ़ सकते हैं 18 से 20 प्रतिशत मरीज
देश में बीते वर्ष 2016 में कैंसर रोगियों की कुल संख्या साढ़े 14 लाख दर्ज की गई है जबकि 7.36 लाख लोग अब तक कैंसर से मर चुके हैं। सरकारी आंकड़ों के अनुसार देश में वर्ष 2012 में फेफड़े के कैंसर के मरीजों की संख्या 76,783 थी जबकि वर्ष 2013 में यह बढ़कर 79,883 हो गई और 2014 में यह संख्या 83935 तक पहुंच गई व 2015 में अकेले फेफड़ों के कैंसर पीड़ितों की संख्या 1 लाख पार कर गई। कैंसर के कुल मरीजों की संख्या से जुड़े आंकड़े भी कम हैरानीजनक नहीं हैं। 2013 में अधिकारिक तौर पर मरीजों की संख्या 10,86,783 थी जोकि 2014 में बढ़कर 11,48,692 हो गई। वर्ष 2015 में यह संख्या 13 लाख से अधिक दर्ज की गई। अगर लगभग डेढ़ महीने पूर्व शुरू हुए वर्ष 2017 की बात की जाए तो कैंसर की बढ़ती रफ्तार के चलते 18 से 20 फीसदी मरीजों की संख्या इस वर्ष के अंत तक बढऩे की संभावना है। बुजुर्गों में प्रोस्टेट व महिलाओं में छाती कैंसर आम तौर पर देखने को मिल रहा है।