Edited By Punjab Kesari,Updated: 13 Nov, 2017 11:48 AM
कभी जालंधर को पंजाब के सबसे सुंदर शहरों में से एक गिना जाता था क्योंकि यहां सड़कें और बाजार इत्यादि बाकी शहरों की अपेक्षा काफी सिस्टेमैटिक हैं परन्तु आजकल शहर की सड़कों के साथ-साथ शहर के बाजार भी राम भरोसे होते जा रहे हैं। शहर के प्रमुख रैनक बाजार...
जालंधर(खुराना) : कभी जालंधर को पंजाब के सबसे सुंदर शहरों में से एक गिना जाता था क्योंकि यहां सड़कें और बाजार इत्यादि बाकी शहरों की अपेक्षा काफी सिस्टेमैटिक हैं परन्तु आजकल शहर की सड़कों के साथ-साथ शहर के बाजार भी राम भरोसे होते जा रहे हैं। शहर के प्रमुख रैनक बाजार क्षेत्र में संडे बाजार तो वर्षों से लगता आ रहा है परन्तु आजकल हर रविवार को इस बाजार में सोढल मेले जैसे हालात देखने को मिलते हैं।
ऐसे लगता है जैसे दूसरे शहरों से भी हजारों-लाखों लोग एक साथ खरीदारी करने हेतु इन बाजारों में आ गए हों। बाजार की दुकानें तो बंद होती हैं परन्तु दुकानदार अपनी दुकानों के आगे वाली जगह फडिय़ों वालों को अलाट कर देते हैं और बदले में उनसे हफ्ता वसूली की जाती है। पैसे देकर फडिय़ां लगाने वाले अपनी मनमर्जी पर उतर आते हैं और सड़क के बीचों-बीच आड़ी-टेढ़ी चारपाइयां इत्यादि लगाकर सारा रास्ता रोक लिया जाता है। अगर आप ज्योति चौक की ओर से या नाज सिनेमा की ओर से रैनक बाजार या शेखां बाजार में एंट्री करें तो आपको पैदल चलना भी मुश्किल हो जाएगा। इन फडिय़ों पर कपड़ों के साथ-साथ हर तरह की चीज बेची जाती है।
संडे बाजार का दायरा काफी बढ़ा
पहले यह संडे बाजार सिर्फ रैनक बाजार और शेखां बाजार की सड़कों पर लगा करता था परन्तु अब धीरे-धीरे इसका दायरा कई किलोमीटर दूर तक बढ़ गया है। ओल्ड जी.टी. रोड की बात करें तो प्लाजा चौक से लेकर पुली अली मोहल्ला तक संडे बाजार लगने लगा है। ’योति चौक से लेकर लवली स्वीट्स से आगे तक आपको संडे बाजार की फडिय़ां देखने को मिल सकती हैं। ऐसे में इन बाजारों में वाहन लेकर चलना अत्यंत मुश्किल है जिस कारण क्षेत्र के दुकानदारों और अन्य निवासियों को काफी समस्याएं आती हैं।
प्रशासन कहीं नजर नहीं आता : हरीश कुमार
शहर के अंदरूनी क्षेत्र के निवासी हरीश कुमार बताते हैं कि दिन-ब-दिन संडे बाजार न केवल बढ़ता जा रहा है बल्कि इस पर प्रशासन का कंट्रोल बिल्कुल खत्म होकर रह गया है। जिला प्रशासन, पुलिस तथा नगर निगम का कोई कर्मचारी या अधिकारी इस स्थिति की ओर ध्यान नहीं दे रहा जिस कारण कई बार लॉ एंड ऑर्डर की समस्या सामने आती है। भीड़भाड़ के चलते न केवल जेब कतरों का धंधा खूूब फल-फूल रहा है बल्कि छीना-झपटी की वारदातें और लड़ाई-झगड़े भी आम बात हो गई है। प्रशासन और निगम को चाहिए कि वे बाजारों की स्थिति को कुछ कंट्रोल करें ताकि लोगों के चलने के लिए कोई सड़क तो बच सके।