Edited By Urmila,Updated: 10 Feb, 2024 02:18 PM
हालांकि न तो अभी अकाली दल और भाजपा के बीच कोई गठबंधन हुआ है और न ही अकाली दल और भाजपा ने अभी तक अमृतसर संसदीय सीट के लिए अपने उम्मीदवारों की घोषणा की है।
अमृतसर: भाजपा के वरिष्ठ नेता रह चुके और अब अमृतसर संसदीय क्षेत्र से शिरोमणि अकाली दल के प्रभारी पूर्व मंत्री अनिल जोशी के राजनीतिक भविष्य को लेकर अटकलें तेज हो गई हैं। सवाल उठ रहे हैं कि क्या शिरोमणि अकाली दल अमृतसर संसदीय क्षेत्र से जोशी को मैदान में उतारेगा या इस सीट के इतिहास के अनुसार जोकि परंपरागत रूप से भाजपा के कोटे में रही है, को देखते हुए अपने उम्मीदवार को चुनाव मैदान में उतारने की सहमति के लिए भाजपा से बात की जाएगी।
हालांकि न तो अभी अकाली दल और भाजपा के बीच कोई गठबंधन हुआ है और न ही अकाली दल और भाजपा ने अभी तक अमृतसर संसदीय सीट के लिए अपने उम्मीदवारों की घोषणा की है, लेकिन औपचारिक रूप से अधिकांश अकाली दल ने अपने निर्वाचन क्षेत्र प्रभारियों को अपना उम्मीदवार नामित किया है। हालांकि चर्चा ये है कि अगर दोनों पार्टियों के बीच गठबंधन होता है तो दोनों पार्टियां अनिल जोशी के नाम पर चर्चा कर सकती हैं।
वहीं पूर्व राजदूत तरणजीत सिंह संधू का नाम भी चर्चा में है, जिन्हें भाजपा यहां से मैदान में उतार सकती है। संधू गुरुद्वारा सुधार लहर में सरगर्मी से हिस्सा लेने वाले सिख नेता तेजा सिंह समुद्री के पोते और गुरु नानक देव विश्वविद्यालय के कुलपति बिशन सिंह समुंद्री के पुत्र हैं। जिन्होंने अमृतसर से संभावित संयुक्त उम्मीदवार के तौर पर देखा जा रहा है।
भाजपा नेता और राजनीतिक विश्लेषक सोमदेव शर्मा के अनुसार, अमृतसर में आम जनता के लिए संधू अपेक्षाकृत अनजान हैं, जबकि भाजपा को तब भी झटका लगा जब उसने राष्ट्रीय स्तर के दिग्गज दिवंगत अरुण जेटली को मैदान में उतारा, जो चुनाव हार गए। इसी तरह नौकरशाह हरदीप सिंह पुरी को भी हार का सामना करना पड़ा। हालांकि यहां नवजोत सिंह सिद्धू की जीत हुई थी।
उन्होंने कहा कि नौकरशाहों की जीवनशैली जनता से जुड़ने की उनकी क्षमता में बाधक है। उधर, सूत्रों ने बताया कि गठबंधन की स्थिति में अमृतसर के उम्मीदवार बारे विचार करने के लिए गुरुवार रात एक भाजपा नेता के घर पर इस संबंधी बैठक भी हुई है।
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