दो साल के भीतर सरबत खालसा के जत्थेदारों में पड़ने लगी दरार,अजनाला हुए  अलग

Edited By Punjab Kesari,Updated: 13 Nov, 2017 02:13 PM

sarbat khalsa

सरबत खालसा के  जत्थेदारों में दो साल के भीतर ही दरार पड़ गई है। 10 नवंबर 2015 को जिस मकसद को लेकर यह लोग चुने गए थे

अजनाला/अमृतसरः सरबत खालसा के  जत्थेदारों में दो साल के भीतर ही दरार पड़ गई है। 10 नवंबर 2015 को जिस मकसद को लेकर यह लोग चुने गए थे उस पर खरे न उतरने के कारण यह अलग-थलग पड़ने लगे हैं। इन्हीं में शुमार तख्त श्री केसगढ़ साहिब के जत्थेदार अमरीक सिंह अजनाला ने खुद माना है कि आपसी वैचारिक मतभेद के कारण वह लोग पंथ की कसौटी पर खरे नहीं उतर सके। 

 

अमृतसर में सिख प्रचारक संत रणजीत सिंह ढडरियावाला के समागम को लेकर कुछ दिनों से इन जत्थेदारों में कशमकश पैदा हो गई थी। जत्थेदार अमरीक सिंह अजनाला ने ढडरियावाला के समागम का विरोध खुलकर किया था जबकि अन्य जत्थेदार इस बारे चुप्पी साधे हुए थे। हालांकि समागम को दूसरे गर्मख्याली संगठनों, एस.जी.पी.सी. और यहां तक कि अकाली दल के दबाव के चलते रद्द कर दिया गया लेकिन इस दौरान सरबत खालसा के जत्थेदारों के मतभेद खुलकर सामने गए। 

 

पांच सिंह साहिबान के समानांतर सरबत खालसा के जत्थेदारों ने भी सोमवार बैठक बुला रखी है लेकिन रविवार को जत्थेदार अमरीक सिंह अजनाला ने वैचारिक मतभेद की बात कहकर आपसी फूट को उजागर कर दिया। ऐसे में इनका इकट्ठा हो पाना मुश्किल है। उनके साथी जत्थेदार बाबा बलजीत सिंह दादूवाल ने यह कहकर बैठक को स्थगित किए जाने का संकेत दिया कि सरबत खालसा में चुने गए श्री अकाल तख्त साहिब के कार्यकारी जत्थेदार भाई ध्यान सिंह मंड की तबीयत खराब है और शायद वह सकें। 

 
 

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