Edited By Punjab Kesari,Updated: 22 Oct, 2017 10:18 AM
राज्य में पंजाबी भाषा लागू करने के लिए राष्ट्रीय मार्ग पर लगे साइन बोर्ड पर कुछ लोगों ने कालिख पोत दी जिसे लेकर विवाद बढऩे लगा। आज कुछ लोगों ने संगठनों को साथ लेकर राष्ट्रभाषा हिन्दी में लिखे गए बोर्डों पर काली पट्टी से उन्हें मिटा दिया व मांग की कि...
बठिंडा (विजय): राज्य में पंजाबी भाषा लागू करने के लिए राष्ट्रीय मार्ग पर लगे साइन बोर्ड पर कुछ लोगों ने कालिख पोत दी जिसे लेकर विवाद बढऩे लगा। आज कुछ लोगों ने संगठनों को साथ लेकर राष्ट्रभाषा हिन्दी में लिखे गए बोर्डों पर काली पट्टी से उन्हें मिटा दिया व मांग की कि इन बोर्डों को पंजाबी में लिखा जाए। जिलाधीश ने बताया कि उन्हें मांग पत्र मिला है जिस संबंधी सरकार को लिखकर भेज दिया गया है जबकि उपमंडल अधिकारी साक्षी साहनी ने कहा कि सरकारी प्रॉपर्टी को नुक्सान पहुंचाने की एवज में कार्रवाई की जाएगी। पी.डब्ल्यू.डी. विभाग ने आरोपियों के खिलाफ लिखित शिकायत पुलिस को दी जिस पर पुलिस ने मामला दर्ज किया परन्तु गिरफ्तारी किसी की नहीं हुई।
विवाद की आग भड़की
जिले के कुछ गांव जिनमें गोनियाना, भगता भाईका, रामपुरा में राष्ट्रीय राजमार्ग पर दल खालसा के बाबा हरदीप सिंह गुरुसर, मालवा यूथ फैडरेशन के लक्खा सिधाना ने दर्जनों लोगों को साथ लेकर बोर्ड में हिन्दी व अंग्रेजी में लिखे स्टेशनों के नाम पर काला पेंट करना शुरू कर दिया। इस दौरान जीवन सिंह, धर्म सिंह हररायपुर ने आरोप लगाया कि मां बोली पंजाबी को समाप्त करने की साजिश रची जा रही है। उन्हें हिन्दी व अंग्रेजी से कोई शिकायत नहीं है लेकिन वे साइन बोर्ड में सबसे पहले पंजाबी में स्टेशन का नाम लिखने की मांग कर रहे हैं। उन्होंने भाषा एक्ट के तहत पंजाब में स्थानीय भाषा को महत्व देकर उसे लागू करने की मांग की है। हररायपुर और अमरगढ़ गांव के लोगों ने सबसे पहले विरोध में दर्जनों साइन बोर्डों पर कालिख पोत दी। जब यह मामला भड़कने लगा तो लोक निर्माण विभाग के अधिकारियों ने यह मुद्दा नैशनल हाईवे अथॉरिटी के पास भी उठाया था। राष्ट्रीय राजमार्ग को चार मार्गीय बनाने वाली प्राइवेट कंपनी की तरफ से ही यह साइन बोर्ड लगाए जा रहे हैं। लोक निर्माण विभाग के मुख्य इंजीनियर ए.के. सिंगला का कहना था कि उन्होंने नैशनल हाईवे अथॉरिटी के अधिकारियों के पास पंजाबी का मुद्दा उठाया था परंतु उन्होंने साइन बोर्डों को तबदील करन से इंकार कर दिया है। उन्होंने इस बाबत लिखित रूप में मामला भेजने के लिए भी कहा है। ये साइन बोर्ड नैशनल हाईवे अथॉरिटी के निर्देश अनुसार लगाए गए हैं।