Edited By Punjab Kesari,Updated: 02 Feb, 2018 03:25 PM
पंजाब में नकल के कोहड़ को समाप्त करने के लिए प्रदेश भर में अब तक बनी विभिन्न सरकारों ने कई प्रयास व एक्सपेरिमेंट करके पंजाब में....
दीनानगर(कपूर): पंजाब में नकल के कोहड़ को समाप्त करने के लिए प्रदेश भर में अब तक बनी विभिन्न सरकारों ने कई प्रयास व एक्सपेरिमेंट करके पंजाब में लाइलाज बन चुकी बिमारी को समाप्त करने के जितने भी अब तक प्रयास किए गए हैं, अधिकांश प्रयास फेल ही साबित हुए हैं।
10 वर्षों बाद सत्ता में काबिज हुई कांग्रेस सरकार पंजाब के लोगों का मन जीतने के लिए कुछ अलग करने के मूड़ में है तथा वह पंजाब में एजुकेशन सिस्टम को पटरी पर लाने के लिए लगातार प्रयास कर रहे हैं, इसी कड़ी के तहत 3 किलोमीटर दूर अन्य स्कूल में 10वीं व 12वीं का परीक्षा सैंटर बनाने के लिए किए गए तीखे फैसले से पंजाब में एजुकेशन सिस्टम में सुधार हो पाता है या नहीं, इसको लेकर कुछ बुद्धिजीवियों ने पंजाब केसरी के माध्यम से अपनी प्रतिक्रिया प्रकट की है।
अभिभावकों के लिए बनेगी परेशानी
सरकार के इस निर्णय से नकल रूक पाएगी या नहीं परन्तु परीक्षार्थियों व उनके अभिाभावकों को मात्र परेशानी खड़ी कर दी गई है। सरकार पहले परीक्षार्थियों को परीक्षा केन्दों तक पहुंचाने की जिम्मेवारी उठाए। (लेक्चरर संदीप कौर)
कलस्टर इन्चार्जों को परीक्षा केन्द्रों में नकल रोकने की सौंपी जाए जिम्मेवारी
परीक्षा के लिए स्कूलों में कलस्टर इन्चार्ज बनाए गए हैं, सरकार को चाहिए कि इन कल्स्टरों को जिम्मेवारी सौंपी जाए कि वह परीक्षा केन्द्रों की जांच करें कि नकल रोकने के लिए किस चीज को फोकस करना है। यह उनकी जिम्मेवारी हो कि उस स्कूल के अपने ही भवन में क्या-क्या इंतजाम किए जाएं जिससे वहां पर नकल न हो सके। (प्रिंसीपल रेणु बाला)
भवन बदलने से नहीं रूकेगी नकल
सिर्फ भवन बदलने से ही नकल नहीं रूकेगी। यदि सरकार ने नकल रोकनी है तो बच्चों को नकल न करने के लिए तैयार किया जाए नाकि सैशन के अन्त में नकल के नाम पर प्रत्येक बच्चे को परेशान किया जाए। (प्रिंसीपल प्रतिभा नंदा)
अब हर बच्चे का पढ़ाई की तरफ रहेगा फोकस
पंजाब सरकार ने शिक्षा का स्तर ऊंचा उठाने के लिए परीक्षा केन्द्रों को एक्सचेंज करने के लिए गए निर्णय की जितनी सराहना की जाए कम हैं, क्यों इस फैसले से बच्चे खुद ब खुद अपनी पढ़ाई की तरफ फोकस रखेंगे। क्योंकि उसको पहले से ही पता होगा कि मेरी परीक्षा अपने स्कूल की बजाए किसी अन्य स्कूल में होगी तथा वह पढ़ाई करेगा तो ही परीक्षा में बढिय़ा अंक ले पाएगा। क्योंकि बहुत से ऐसे परीक्षा सैंटर होते हैं जहां के बच्चे सिर्फ इसीलिए अपनी पढ़ाई की तरफ ध्यान नहीं देते कि अपने स्कूल में किसी तरीके से वह पास हो जाएंगे। (प्रिंसीपल डा. ज्योति ठाकुर)
जिन घरों में वाहन नहीं उनके लिए सरकार का फैसला बनी सजा
प्राइवेट या सरकारी स्कूलों के परीक्षार्थी कैसे अपने सैंटरों में पुहंच सकेंगे। अगर सरकार को ऐसा फैसला लेना था, तो क्यों नहीं पहले इन बच्चों को अन्य स्थानों पर पहुंचाने के लिए कोई प्रबन्ध किया गया। पंजाब में बहुत से ऐसे गांव है, जिन घरों में साइकिल भी नहीं है, तथा प्रात: कई गांवों में बस, टैंपू की सुविधा भी उपलब्ध न हो पाने के कारण उन बच्चों को परीक्षा देने के लिए कहीं दूर भेजना किसी सजा से कम नहीं होगा। (सुप्रिया शर्मा)
कलस्टर इन्चार्ज वैरीफिकेशन करके स्कूलों को जोडऩे का करें काम
सरकार द्वारा परीक्षाओं हेतु जो कलस्टर इन्चार्ज तैनात किए गए हैं, यह मात्र उनकी जिमेवारी होनी चाहिए कि उनको इसकी वैरीफिकेशन करनी है कि नकल रोकने के प्रबन्धों को ध्यान में रखते हुए किस स्कूल को कहां पर जोड़ा जाए जिससे परीक्षार्थियों को तथा उनके अभिभावकों को भी कोई परेशानी पेश न आए। (लेक्चरर वन्दना कुमारी)
बच्चों की परीक्षा पर पड़ेगा इसका बुरा असर
नकल रोकने के लिए सरकार द्वारा लिए गए फैसले का यह सही समय नहीं हैं, क्योंकि परीक्षा दौरान बच्चों को मैंटली रिलैक्स करवाया जाता है जबकि सरकार ने बच्चों को तीन किलोमीटर दूर के स्कूल में पहुंच कर परीक्षा देने के अहम मौके पर सुनाए गए फरमान से बच्चे एकदम सहमें हुए हैं, जिससे उनकी परीक्षा पर इसका बुरा असर पड़ेगा। क्योंकि बहुत सारे ऐसे गांव हैं जहां बसों के अभाव, ट्रैफिक व टूटी फूटी सड़क के चलते कई बार 5 मिन्ट के सफर को 20 मिन्ट में तय करना पड़ता है। (प्रिंसीपल रेणु कश्यप)
गड़बड़ा जाएगा परीक्षा परिणाम
परीक्षा केन्द्र बदलने से नकल रोकने का सरकार का लक्ष्य पूरा चाहे न हो परन्तु परीक्षार्थियों को पेश आने वाली परेशानी से परीक्षा परिणाम अवश्य गडबड़ा सकता है। क्योंकि प्रदेश के इतिहास मुताबित नकल रोकने के अब तक अधिकांश प्रयास फेल ही हुए हैं तथा हर प्रयास में नकल की बजाए परिणाम पर ही उसका असर नजर आता रहा है। (सरपंच स्वर्ण सिंह)