सरकार ने नहीं दिया फंड, टीचर्स जेब से पैसे खर्च कर सजा रहे प्री-प्राइमरी कक्षाएं

Edited By Punjab Kesari,Updated: 14 Nov, 2017 02:32 PM

punjab government school

3 वर्ष की आयु से ही बच्चों को शिक्षा देने के उद्देश्य से पंजाब सरकार द्वारा 14 नवम्बर यानी चिल्ड्रन डे पर राज्य के सरकारी प्राइमरी स्कूलों में शुरू की जा रही प्री-प्राइमरी कक्षाएं पहले चरण में अध्यापकों की जेब पर बोझ से कम नहीं हैं, क्योंकि इन...

लुधियाना (विक्की): 3 वर्ष की आयु से ही बच्चों को शिक्षा देने के उद्देश्य से पंजाब सरकार द्वारा 14 नवम्बर यानी चिल्ड्रन डे पर राज्य के सरकारी प्राइमरी स्कूलों में शुरू की जा रही प्री-प्राइमरी कक्षाएं पहले चरण में अध्यापकों की जेब पर बोझ से कम नहीं हैं, क्योंकि इन कक्षाओं की शुरूआत के लिए स्कूलों को तैयारियों में जुटने के निर्देश देने वाले शिक्षा विभाग ने अभी तक 1 रुपए भी फंड के रूप में जारी नहीं किया है। ऐसे में मंगलवार से इन प्री-प्राइमरी कक्षाओं की शुरूआत अध्यापक अपनी जेब पर आर्थिक बोझ डालकर करने जा रहे हैं। यही नहीं पहली दफा स्कूल में आने वाले इन नौनिहालों को बिठाने के लिए सरकार ने कोई अलग से इंतजाम नहीं किए।

कई स्कूलों में एक कमरे में पढ़ेंगे दो कक्षाओं के बच्चे
प्री-प्राइमरी कक्षाओं के लिए आने वाले बच्चों को कमरों में बिठाने के लिए अधिकतर स्कूलों ने सरकार के आदेश लागू करने हेतु पहले से ही चल रही कक्षाओं में से एक कमरा खाली करवाकर वहां पढ़ रहे बच्चों को किसी अन्य क्लास के साथ एडजस्ट किया है, क्योंकि स्कूलों में कमरों की कमी की बात किसी से छिपी नहीं है। वहीं एक गांव के प्राइमरी स्कूल के हैड टीचर ने कहा कि विभाग ने बच्चों को बिठाने के लिए गद्दों का इंतजाम करने के लिए तो कह दिया है लेकिन उनके पास तो दरियां तक खरीदने के लिए फंड नहीं है। ऐसे में बच्चों को स्कूल में पहले से ही उपलब्ध दरियों पर ही बिठाया जा सकता है, क्योंकि प्राइमरी स्कूलों में पहले से ही डैस्कों का अभाव है।

बिना पैसे कहां से आएंगे खिलौने 
विभाग द्वारा जारी निर्देशों के मुताबिक स्कूलों को बच्चों के खेलने के लिए कुछ खिलौने भी कक्षाओं में रखने के लिए कहा गया है। वहीं कई तरह की गतिविधियां भी करवाने के आदेश जारी किए गए हैं। सोमवार को लुधियाना के साथ लगते विभिन्न गांवों में पड़ते सरकारी स्कूलों का दौरा करने पर देखा गया कि कई स्कूलों ने प्री-प्राइमरी कक्षाओं के लिए कमरों का इंतजाम तो कर लिया है लेकिन फंड के अभाव से कक्षाएं सजाने की पहलकदमी नहीं की। यही नहीं कुछ स्कूलों ने सरकार की ओर से कोई फंड जारी न किए जाने के चलते बाजार से खिलौने तक की खरीदारी नहीं की। नाम न छापने की शर्त पर स्कूलों के हैड टीचरों ने कहा कि अगर सरकार वास्तव में ही प्री-प्राइमरी कक्षाओं को सफल करना चाहती है तो निर्देशों के साथ-साथ स्कूलों के लिए फंड भी जारी करती लेकिन किसी भी स्कूल को फंड जारी नहीं किया गया है। इस पर अध्यापक अपनी जेब से कैसे व्यय करेंगे। 

लुधियाना के 1002 स्कूलों में होगी शुरूआत
बात अगर लुधियाना की करें तो यहां के 1002 प्राइमरी स्कूलों में प्री-प्राइमरी कक्षाओं की शुरूआत होनी है। इसमें अभी तक 6000 बच्चों की हुई रजिस्ट्रेशन हुई है। शिक्षा विभाग एलीमैंटरी के अधिकारी आज दिनभर इन स्कूलों में इनरोल हुए बच्चों संबंधी जानकारी जुटाते रहे। डिप्टी डी.ई.ओ. डिम्पल मदान ने बताया कि उन्होंने भी आज कई स्कूलों में विजिट करके देखा कि स्कूल प्री-प्राइमरी कक्षाओं में आने वाले बच्चों के स्वागत के लिए तैयारियों में जुटे हुए थे। उन्होंने कहा कि सरकार की ओर से स्कूलों को तैयारी पर आने वाले खर्च का फंड भी जारी किया जाएगा। 

 

स्कूल में कमरों की कमी, ऑफिस में बिठाऊंगा बच्चो को : हैड टीचर
सरकारी प्राइमरी स्कूल ललितों खुर्द के हैड टीचर अमनदीप सिंह ने कहा कि उनके स्कूल में स्टूडैंट्स को बिठाने के लिए कमरों की व्यवस्था नहीं है लेकिन वह प्री-प्राइमरी कक्षाओं के लिए इनरोल हुए 4 विद्यार्थियों को अपने ऑफिस में ही बिठाएंगे। उन्होंने कहा कि प्री-प्राइमरी कक्षाओं की शुरूआत में आने वाली संभावित अड़चनों के समाधान के लिए उन्होंने 30 अक्तूबर को अपने ब्लॉक के बी.पी.ई.ओ. को पत्र लिखा था लेकिन अभी तक उसका कोई जवाब नहीं आया। हैड टीचर के मुताबिक आंगनबाड़ी वर्कर पिछले कुछ दिनों से हड़ताल पर हैं और उन्होंने बच्चों संबंधी डिटेल देने से इंकार कर दिया है। अगर ऐसे में बच्चे जबरदस्ती प्राइमरी स्कूलों में लाए भी जाएं तो उनकी खुराक का भी प्रबंध करना चाहिए, क्योंकि 3 साल के बच्चे और 7 से 8 वर्ष के बच्चे की डाइट में काफी अंतर होता है। इसके अलावा अन्य कई मुद्दे ध्यान में लाकर उन्होंने इसका हल जानने की पहल की थी लेकिन कोई जवाब नहीं मिला।

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