Edited By Updated: 29 Dec, 2016 07:49 AM
अन्ना हजारे के आंदोलन के बाद जन्मी आम आदमी पार्टी संभवत: देश की सबसे छोटी उम्र की सत्ताधारी पार्टी होगी
चंडीगढ़ (रमनजीत सिंह): अन्ना हजारे के आंदोलन के बाद जन्मी आम आदमी पार्टी संभवत: देश की सबसे छोटी उम्र की सत्ताधारी पार्टी होगी,लेकिन अब तक की इस छोटी-सी सियासी पारी में भी आम आदमी पार्टी ऐसा कर चुकी है कि पारंपरिक पार्टियों के नेता हैरान हैं। हम यहां बात कर रहे हैं आम आदमी पार्टी के उन नेताओं की,जो पार्टी के जन्म पूर्व, बचपन से ही इसके साथ जुड़े थे, लेकिन अब साथ नहीं हैं।
‘इंडिया अगेंस्ट करप्शन’ संघर्ष के बाद नवम्बर 2012 में जब ‘टीम केजरीवाल’ ने अन्ना हजारे के विरोध के बावजूद सक्रिय राजनीति में जाने का निर्णय लिया था तो तब योगेंद्र यादव व प्रशांत भूषण जैसे नाम भी पार्टी में थे, लेकिन समय के फेर में ये दोनों बड़े नाम पार्टी से अलग हो गए।
ऐसा ही कुछ पंजाब में भी हुआ है। दिल्ली विधानसभा चुनाव जीतने के बाद लोकसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी ने पंजाब की सभी 13 सीटों पर प्रत्याशी उतारे। इनमें कई बड़े व्यक्तित्व भी शुमार थे लेकिन अब आलम यह है कि पंजाब की 13 लोकसभा सीटों पर पार्टी प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लडऩे और अच्छे-खासे वोट हासिल करने वाले आधे से ज्यादा ‘नेता’ पार्टी के चुनाव प्रचार,रोजमर्रा के क्रियाकलापों में भी शामिल नहीं हैं। इनमें से कुछेक तो खुद ही पार्टी को ‘डिक्टेटरशिप’ जैसी स्थिति में कहते हुए अलविदा बोल गए। कुछ को पार्टी नेताओं ने खुद ही बाहर का रास्ता दिखा दिया और जिन्हें ‘बाहर’ नहीं कर सकते थे,उन्हें सस्पैंड करके ‘न इधर का न उधर का’ करके रख दिया है।
1. 2 अक्तूबर 2012 को अरविंद केजरीवाल ने राजनीतिक पार्टी बनाने का ऐलान किया
2. 24 नवम्बर 2012 को संविधान अडॉप्ट किया और 26 नवम्बर को पार्टी की घोषणा
3. मार्च 2013 में आम आदमी पार्टी चुनाव आयोग द्वारा रजिस्टर्ड पार्टी बनी
4. 18 मई 2013 को अमरीका की धरती पर समर्थकों ने बड़ी रैली का आयोजन किया
5. 28 दिसम्बर 2013 को अल्पमत की सरकार गठित, केजरीवाल पहली बार सी.एम. बने।
6.‘जनता दरबार’ का आइडिया अव्यवस्था की भेंट चढ़ा, दोबारा नहीं हुआ
7. फरवरी 2014, ‘आप’ ने दिल्ली विधानसभा में जन लोकपाल बिल लाने का प्रयास किया, विरोधी दलों और लैफ्टिनैंट गवर्नर नजीब जंग के विरोध के बाद अरविंद केजरीवाल की 49 दिन की सरकार ने इस्तीफा दिया।
2013 दिल्ली विधानसभा चुनाव
2013 के दिल्ली विधानसभा चुनाव में चुनाव आयोग से ‘झाड़ू’ निशान की मंजूरी मिली और ‘आप’ ने पहला चुनाव लड़ा।
लोकसभा चुनाव में ‘आप’ ने कुल 434 प्रत्याशी उतारे। 414 की जमानतें जब्त हुईं, पंजाब से 4 प्रत्याशियों को जीत मिली।
‘आप’ ने दिल्ली विस चुनाव में 70 में से 67 सीटें जीतीं। अरविंद केजरीवाल जबरदस्त बहुमत के साथ दोबारा सी.एम. बने।
13 में से 7 पार्टी प्रत्याशी बोले ‘हम आप के है कौन’
पार्टी टिकट पर गुरदासपुर से सुच्चा सिंह छोटेपुर, खडूर साहिब से भाई बलदीप सिंह, अमृतसर से डा. दलजीत सिंह, जालंधर से ज्योति मान, फिरोजपुर से सतनाम पाल कंबोज, होशियारपुर से यामिनी गोमर, आनंदपुर साहिब से हिम्मत सिंह शेरगिल, फतेहगढ़ साहिब से एच.एस. खालसा, पटियाला से डा. धर्मवीर गांधी, लुधियाना से एच.एस. फूलका, संगरूर से भगवंत मान, फरीदकोट से प्रो. साधु सिंह, भटिंडा से जस्सी जसराज ने लोकसभा का चुनाव लड़ा था। इनमें से जस्सी जसराज, ज्योति मान, डा. दलजीत सिंह और भाई बलदीप सिंह को ‘पार्टी विरोधी गतिविधियों’ पर बाहर कर दिया गया। वहीं, हाल ही में यामिनी गोमर ने ‘आप’ छोड़ कांग्रेस ज्वाइन कर ली है। प्रो. साधु सिंह और गांधी सस्पैंड हैं।
कार्यकर्ताओं ने खुद को पार्टी से अलग किया
बीते समय के दौरान आम आदमी पार्टी की विधानसभा चुनाव प्रत्याशियों की सूचियां आनी शुरू होने के साथ ही मची खींचतान के दौरान भी बड़ी संख्या में कार्यकत्र्ताओं ने खुद को पार्टी से अलग किया। 13 में से 7 जोनल इंचार्ज जसबीर सिंह धालीवाल आनंदपुर साहिब जोन, हरजिंद्र सिंह चीमा जालंधर जोन, गरिंद्र सिंह बाजवा अमृतसर जोन, नरिंदर पाल भगता भटिंडा जोन, अमनदीप सिंह गुरदासपुर जोन, इकबाल सिंह भागोवालिया खडूर साहिब जोन व गुरप्रीत सिंह संधू फिरोजपुर जोन ने भी पार्टी से किनारा कर लिया।