पंजाब में प्रचार की मजबूरी एस.वाई.एल. से दूरी?

Edited By Updated: 09 Jan, 2017 10:08 PM

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पड़ोसी राज्य पंजाब में हरियाणा के राजनीतिक दलों की भागीदा...

चंडीगढ़(अविनाश पांडेय): पड़ोसी राज्य पंजाब में हरियाणा के राजनीतिक दलों की भागीदारी काफी अहम रहती है, लेकिन इस बार पंजाब विधानसभा चुनाव में एस.वाई.एल. मुद्दा गरमाने के कारण हरियाणा के नेता खुद को असहज महसूस कर रहे हैं। हालांकि पंजाब चुनाव में प्रचार करना हरियाणा के कई दलों की मजबूरी है, लेकिन एस.वाई.एल. मामला उनके गले की फांस बना हुआ है। 

 

अपने प्रदेश में एस.वाई.एल. मुद्दे पर पंजाब के खिलाफ मुखर रहने वाले भाजपा व कांग्रेस के नेताओं को यह समझ में नहीं आ रहा है कि आखिर किस तरह से प्रचार किया जाए? खैर, कुछ दिन पहले तक पंजाब चुनाव में प्रचार करने से परहेज रखने की बात कहने वाले कांग्रेस नेताओं के सुर भी अब बदल चुके हैं। वहीं प्रदेश की मुख्य विपक्षी दल इंडियन नैशनल लोकदल एस.वाई.एल. मुद्दे पर पूरी तरह से मुखर है। इनैलो ने एस.वाई.एल. खोदने का ऐलान किया है जबकि भाजपा नेता हाईकमान के आदेशों की दुहाई दे रहे हैं। आम आदमी पार्टी की हरियाणा इकाई ने पंजाब में चुनाव प्रचार का ऐलान किया है। फिलहाल इन दलों के सभी नेता चुनाव प्रचार में एस.वाई.एल. पर चुप्पी साधते नजर आएंगे।


सबसे अधिक परेशानी में भाजपा 
हरियाणा की सत्ताधारी भाजपा के लिए पंजाब चुनाव में प्रचार करना सबसे मुश्किल काम है। वजह साफ है कि हरियाणा सरकार एस.वाई.एल. मुद्दे पर पंजाब सरकार के खिलाफ सुप्रीमकोर्ट में कानूनी लड़ाई लड़ रही है। सार्वजनिक मंचों से भी पंजाब सरकार की मुखालफत की जा रही है लेकिन हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने कहा है कि यदि हाईकमान उनकी ड्यूटी लगाता है तो वह पंजाब चुनाव में प्रचार करने जरूर जाएंगे। 


कुछ इसी तरह से हरियाणा भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष सुभाष बराला भी कह चुके हैं कि दोनों राज्यों के इश्यू अलग हैं और चुनाव प्रचार करना अलग है। खास बात यह है कि हरियाणा के वित्त मंत्री कैप्टन अभिमन्यु पंजाब चुनाव में भाजपा के सहप्रभारी हैं, लेकिन वह पंजाब में एस.वाई.एल. मुद्दे पर कुछ भी बोलने से परहेज कर रहे हैं। फिलहाल पंजाब चुनाव में प्रचार करना भाजपा नेताओं की मजबूरी है, लेकिन एस.वाई.एल. मुद्दे पर वह मौन नजर आएंगे।

 

हरियाणा कांग्रेस पूरी तरह से बंटी  
पंजाब में चुनाव प्रचार करने को लेकर हरियाणा कांग्रेस पूरी तरह से बंटी हुई है। हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा महीनों से यह कहते आ रहे हैं कि यदि हाईकमान उनकी ड्यूटी भी लगाता है तो भी वह पंजाब में चुनाव प्रचार करने नहीं आएंगे। हुड्डा का कहना है कि एस.वाई.एल. मुद्दे पर बादल सरकार का रवैया गलत है और हरियाणा को उसके हक का पानी मिलना चाहिए। 

 

वहीं, हरियाणा कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष अशोक तंवर इससे इत्तेफाक नहीं रखते। तंवर का कहना है कि यदि पार्टी हाईकमान उनकी ड्यूटी लगाता है तो वह प्रचार करने जरूर जाएंगे। सूत्रों की मानें तो पंजाब चुनाव के लिए जल्द ही कांग्रेस नेताओं की ड्यूटियां लगाई जाएंगी और नेता पंजाब में चुनाव प्रचार करते दिखाई देंगे। लेकिन कांग्रेसी भी एस.वाई.एल. मुद्दे पर पूरी तरह से चुप नजर आएंगे।


इनैलो एस.वाई.एल. मुद्दे पर पूरी तरह से मुखर
हरियाणा की मुख्य विपक्षी दल इनैलो एस.वाई.एल. मुद्दे पर पूरी तरह से मुखर है। इनैलो ने एस.वाई.एल. की खुदाई करने का ऐलान किया है। एस.वाई.एल. के मुद्दे पर इनैलो ने बीते विधानसभा सत्र में शिअद से गठबंधन तोड़ दिया था। हालांकि चौटाला परिवार और बादल परिवार से पारिवारिक रिश्ते हैं, लेकिन इस चुनाव में प्रचार को लेकर अभी तक संशय की स्थिति बनी हुई है। फिलहाल हरियाणा के हितों को लेकर नेता विपक्ष अभय चौटाला बेहद गंभीर नजर आ रहे हैं। इससे साफ होता है कि वह पंजाब चुनाव में पूरी तरह से दूरी बनाकर रख सकते हैं। 

 

पशोपेश में आम आदमी पार्टी
हरियाणा की आम आदमी पार्टी ने पंजाब चुनाव में प्रचार करने का ऐलान किया है। हरियाणा ‘आप’ के प्रदेशाध्यक्ष नवीन जयङ्क्षहद ने कहा कि उनकी टीम पंजाब चुनाव में पूरी तरह से मेहनत करेगी लेकिन हरियाणा के ‘आप’ नेता भी एस.वाई.एल. मुद्दे पर चुप्पी साधते दिखाई देंगे। वजह साफ है कि यदि एस.वाई.एल. मुद्दे पर किसी ने पंजाब के हितों की बात की तो उसे हरियाणा में उसका खमियाजा भुगतना पड़ सकता है। ऐसे में सभी दलों के लिए पंजाब चुनाव में प्रचार करना गले की फांस बना हुआ है।

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