भाजपा से टक्कर के लिए हिन्दू एजैंडे पर कांग्रेस

Edited By Naresh Kumar,Updated: 22 Apr, 2018 08:24 AM

punjab cabinet expansion

पंजाब में कैबिनेट के विस्तार के बाद एक बात साफ हो गई है कि राजनीतिक रूप से कांग्रेस हिन्दू एजैंडे पर चल रही है। प्रदेश में कांग्रेस के मुखिया सुनील जाखड़ हिन्दू हैं, विधानसभा के स्पीकर राणा के.पी. सिंह हिन्दू हैं, इसके अलावा कैबिनेट में शामिल किए गए...

जालन्धर(नरेश कुमार) : पंजाब में कैबिनेट के विस्तार के बाद एक बात साफ हो गई है कि राजनीतिक रूप से कांग्रेस हिन्दू एजैंडे पर चल रही है। प्रदेश में कांग्रेस के मुखिया सुनील जाखड़ हिन्दू हैं, विधानसभा के स्पीकर राणा के.पी. सिंह हिन्दू हैं, इसके अलावा कैबिनेट में शामिल किए गए 18 मंत्रियों में से 5 मंत्री हिन्दू हैं। अफसरशाही में पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों से लेकर विभिन्न विभागों के सचिव और मंत्रियों के अंडर सैक्रेटरी भी हिन्दू लगाए गए हैं। कैप्टन की पूरी सरकार हिन्दू एजैंडे के इर्द-गिर्द घूम रही है। इस रणनीति से लग रहा है कि कांग्रेस पंजाब में भाजपा का विकल्प बनने की कोशिश कर रही है और पंजाब को माडल बनाकर 2019 के चुनाव में केन्द्र में भी भाजपा को उसी के हथियार से टक्कर देने की तैयारी चल रही है।

भाजपा की सीटों पर जीती कांग्रेस
पंजाब में भारतीय जनता पार्टी 23 सीटों पर विधानसभा का चुनाव लड़ती है। इनमें से 5 सीटें रिजर्व हैं जबकि 18 जनरल सीटों पर पार्टी के उम्मीदवार उतारे जाते हैं। इन सभी सीटों पर भाजपा का सीधा मुकाबला कांग्रेस से होता है। पिछले चुनाव के दौरान कांग्रेस इनमें से 20 सीटें जीत गई थी और भाजपा के हिस्से केवल 3 सीटें आईं। मतलब साफ है कि जिस हिन्दू वोट के दम पर भारतीय जनता पार्टी पंजाब में राजनीति करती है, उस हिन्दू वोट पर कांग्रेस ने कब्जा कर लिया। राजपुरा से लेकर अमृतसर तक पूरी जी.टी. रोड बैल्ट पर (फगवाड़ा को छोड़कर) कांग्रेस के उम्मीदवार जीते। शायद यही कारण है कि कैबिनेट में विस्तार के दौरान हिन्दू चेहरों का खास ध्यान रखा गया। 

भाजपा की इन सीटों पर  जीती कांग्रेस
भोआ,पठानकोट, दीनानगर , अमृतसर वैस्ट , अमृतसर नार्थ , अमृतसर सैंट्रल ,अमृतसर ईस्ट , जालंधर वैस्ट , जालंधर सैंट्रल , जालंधर नार्थ ,मुकेरियां , दसूहा , होशियारपुर , आनंदपुर साहिब ,लुधियाना सैंट्रल , लुधियाना वैस्ट , लुधियाना नार्थ , फिरोजपुर , फाजिल्का , राजपुरा ।


सही साबित हुआ ‘पंजाब केसरी’ का विश्लेषण
ऑपंजाब में कैबिनेट की जो तस्वीर आज उभर कर सामने आ रही है, उसका विश्लेषण पंजाब केसरी ने 19 दिसम्बर 2016 के अपने अंक में कर दिया था। हमने लिखा था कि यदि कांग्रेस 2017 के विधानसभा चुनाव जीतकर सत्ता में आती है तो कैप्टन की कैबिनेट का स्वरूप हिन्दू हो सकता है। पंजाब केसरी ने लिखा था कि सत्ता हासिल होने की स्थिति में कांग्रेस के हिन्दू चेहरों ओ.पी. सोनी, राकेश पांडे, सुनील जाखड़, ब्रह्म महिन्द्रा, राणा के.पी. सिंह, अश्विनी सेखड़ी, मनीष तिवारी और विजय इंद्र सिंगला को सत्ता में हिस्सेदारी मिल सकती है। इनमें से सुनील जाखड़ चुनाव हार गए और बाद में उन्हें प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बना दिया गया जबकि राणा के.पी. सिंह को विधानसभा का स्पीकर तथा ब्रह्म महिन्द्रा को कैबिनेट में जगह मिली। मनीष तिवारी चुनाव नहीं लड़े थे, जबकि कैबिनेट विस्तार में विजय इंद्र सिंगला और ओ.पी. सोनी को मंत्री बनाया गया है। राकेश पांडे मंत्रिमंडल में जगह हासिल नहीं कर सके लेकिन उनकी जगह लुधियाना से ही भारत भूषण आशू को शामिल किया गया।

34 दलित सीटें : 21 कांग्रेस जीती, मंत्री बनाए सिर्फ 3
पंजाब में जिस दलित समुदाय ने 2017 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को सर आंखों पर बिठाया, उसी को सत्ता में हिस्सेदारी देते वक्त कांग्रेस दरकिनार कर गई। कैबिनेट विस्तार के साथ ही पंजाब में मंत्रिमंडल पूरा हो गया है और पंजाब कैबिनेट के 18 मंत्रियों में से सिर्फ 3 मंत्री दलित समुदाय से बनाए गए हैं। सत्ता में दलित समुदाय की हिस्सेदारी करीब 4 फीसदी बनती है। अब यदि चुनाव के नतीजों का विश्लेषण किया जाए तो कांग्रेस द्वारा जीती गई 77 विधानसभा सीटों में से 21 रिजर्व सीटों पर पार्टी के उम्मीदवार जीते थे। यानी कुल 77 सीटों में से 21.56 फीसदी सीटें पार्टी को रिजर्व सीटों में से मिली हैं परन्तु सत्ता में हिस्सेदारी सिर्फ 4 फीसदी बनती है।

दलितों में ‘आप’ का प्रभाव, 9 सीटें जीतीं
पंजाब में विधानसभा की कुल 117 सीटों में से 34 सीटें रिजर्व कैटेगरी की हैं। 2017 के चुनाव में इन 34 में से 21 सीटों पर कांग्रेस ने कब्जा किया जबकि 9 सीटों पर आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार जीते। शिरोमणि अकाली दल के हिस्से 3 सीटें आईं जबकि 1 सीट पर भारतीय जनता पार्टी को जीत हासिल हुई। 

दलित वोटरों को लेकर आश्वस्त कांग्रेस!
पंजाब का दलित वोटर पारम्परिक रूप से कांग्रेस का पक्का समर्थक रहा है लेकिन जब-जब रा’य में दलित राजनीति उभर कर सामने आई है, यह वोटर अन्य पाॢटयों में शिफ्ट होता रहा है लेकिन फिर यह वोटर कांग्रेस के पास वापस आ जाता है। 2017 के चुनाव में भी ऐसा ही हुआ। राष्ट्रीय स्तर पर दलित राजनीति के उभार से कांग्रेस दलित वोटों को लेकर चिंतामुक्त हुई प्रतीत हो रही है। कांग्रेस को लग रहा है कि केंद्र में सत्ता पर काबिज भाजपा के खिलाफ दलितों में गुस्सा है। लिहाजा 2019 के लोकसभा चुनाव में दलित कांग्रेस का ही साथ देंगे। शायद यही कारण है कि 2017 के विधानसभा चुनाव में दलितों द्वारा कांग्रेस को भरपूर समर्थन दिए जाने के बावजूद पार्टी ने उन्हें सत्ता में बनती हिस्सेदारी नहीं दी है।  

इन रिजर्व सीटों पर जीती कांग्रेस
भोआ, दीनानगर,  श्रीहरगोबिन्दपुर ,  जंडियाला,  अमृतसर वैस्ट ,  अटारी,बाबा बकाला ,  करतारपुर ,  जालंधर वैस्ट ,शाम चौरासी,  चब्बेवाल, चमकौर साहिब, बस्सी पठाना , गिल ,  पायल ,  फिरोजपुर रूरल, बल्लुआना,  मलोट , भुच्चों मंडी,नाभा, शतुराना
 

Trending Topics

IPL
Chennai Super Kings

176/4

18.4

Royal Challengers Bangalore

173/6

20.0

Chennai Super Kings win by 6 wickets

RR 9.57
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!